रविवार, 15 अगस्त 2010

ममता का मिशन लालगढ़



ममता बनर्जी का लालगढ़ दौरा विवादों से भरा रहा। नक्सली कमाण्डर आजाद पर दिया उनका बयान दूसरे दलों के नेताओं में बदहजमी पैदा कर गया और उसका असर संसद में दिखाया दिया। लगे हाथों बीजेपी ने सरकार खासकर प्रधानमन्त्री से स्पश्टीकरण की मांग कर डाली। किसी तरह यूपीए के संकटमोचक प्रणव मुखर्जी बयान देकर मामले की आग को ठण्डा किया। ऐसा लग रहा है कि दूर सबेर ममता कांग्रेस के लिए ऐसी मुिश्कलें खड़ी करती रहेंगी। वह भी तब तक जबतक उनका मिशन बंगाल पूरा नही हो जाता। दरअसल ममता लालगढ़ को अपने कब्जे में करना चाहती है जो वामपन्थियों का मजबूत गड़ है। यहां बड़े पैमाने पर अनुसूचित जाति और जनजाती की जनसंख्या है जिसपर पूरी तरह वामपन्थियों का कब्जा है। मौजूदा समय में वामपन्थी नीतियों के खिलाफ चल रही हवा को वह और आग देना चाहती है ताकि इसकी तपिस कामरेडो के 33 साल के राज के अन्त में आखिरी कील साबित हो। पिश्चम बंगाल में कुल 292 विधानसभा सीटें है। जादुई आंकड़ा 147 का है यानि ममता के अपने मिशन को हकीकत में बदलना है तो 147 सीट तक पहुंचना होगा। इसमें से अकेले लालगढ़ में 41 और 6 लोकसभा सीटें है। 2009 के लोकसभा चुनाव में सीपीएम इसमें पांच लोकसभा सीटें पुरूलिया, बांकुरा, झारग्राम, घाटल और मिदनापुर जीतेने में कामयाब रही। टीएमसी में खाते में केवल बीशनपुर सीट आई। जबकि 2004 के लोकसभा चुनाव में सभी 6 सीटें सीपीएम के पक्ष में थी। 2001 में जब टीएमसी और कांग्रेस ने गठबंधन में साथ मिलकर चुनाव लड़ा था तो उन्हें 41 में से महज़ 4 सीटों पर सन्तोश करना पड़ा। 2006 के विधानसभा चुनाव में दोनों साथ नही थे मगर कांग्रेस के खाते में 3 सीटें आई जबकि ममता के हाथ कुछ नही लगा। राजनीतिक जानकार ममता की लालगढ़ रैली के पीछे यही एक वजह मानते है।  लोकसभा चुनाव के हिसाब से ममता के पास इस समय 130 विधानसभा सीटें है। यानि पूर्ण बहुमत से 17 सीटें दूर। इन 17 सीटों की कसक ममता लालगढ़ से पूरी करना चाहती है।

1 टिप्पणी:

  1. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आपको बहुत बहुत बधाई .कृपया हम उन कारणों को न उभरने दें जो परतंत्रता के लिए ज़िम्मेदार है . जय-हिंद

    जवाब देंहटाएं