आखिरकार काले धन पर सरकार लम्बे इंतजार के बाद श्वेत पत्र लेकर आई। इस श्वेत पत्र में कहा गया है कि स्वीस बैंक एसोशियेशन के मुताबिक विदेशी बैकों में 1500 बिलियन से 1900 बिलियन यूएस डालर के बीच काला धन हो सकता है। ग्लोबल फाइनेंशनल इंटी्रगिटी के मुताबिक 1948 से लेकर 2008 तक 213 डालर यूएस बिलियन विदेशी बैकों में जमा कराए गए जिसकी कीमत आज 462 बिलियन यूएस डालर के आसपास है। वहीं बीजेपी टास्क फोर्स के मुताबिक यह धन 500 से 1400 बिलियन यूएस डालर के बीच है। बहरहाल सरकार ने कितना पैसा विदेशी बैकों में जमा है इसको जानने के लिए नेशलन इंस्टिीटीटयूट और पब्लिक फाइनेंस पालिसी, नेशलन इंस्टीटयूट आफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट और नेशनल काउंसिल फार अप्लाइड इकोनोमिक रिसर्च को यह जिम्मा सौंपा है। सरकार ने इस श्वेत पत्र में काले धन को देश में लाने के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र भी किया है। मसलन सरकार पांच सूत्रीय एजेंडा के साथ आगे चल रही है। सवाल यह है की जानकारी कैसे प्राप्त की जा सकती है। एक और सवाल में यहां उठाना चाहता हंू कि एक दौर में
हाइलेवल टैक्सेशन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाता था। 1991 के बाद हम इसमें सुधार करते गए मगर आंकड़े यह कहते है 1991 के बाद काल धन ज्यादा पैदा हुआ। बहरहाल डबल टैक्सेसन अवईडेंस एग्रीमेंट के सहारे सरकार जानकारी जुटाने में लगी है। साथ ही अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी इन मुददों को उठाया गया है। इसमें अक्टूबर 2008 लंदन समिट में जी- 20 में इस मुददे को उठाया गया। साथ ही स्वीजरलैंड क साथ हमारा एग्रमेंट है। अक्टूबर 2011 में यह रैटीफाई हुआ। सरकार के मुताबिक यह जानकारी 1 अपै्रल 2011 से प्राप्त होगी। इस श्वेत पत्र में कालाधन कैसे बनता है इसका भी जिक्र है। डरटी मनी जो दवाओं और मादक पदार्थ की तस्करी से पैदा हुए है उसपर रोक लगाने के लिए नार्काेटिक एण्ड सादकोटेपिक सब्सटेंस बिल लोकसभा में पेश हो चुका है। जहां तक नाम जो हमें प्राप्त हुए है उनको सार्वजनिक करने को लेकर सरकार ने तर्क दिया है कि जो नाम हमारे पास उपलब्ध है उनको सार्वजनक करने पर आगे हमें हमें किसी भी तरह की जानकारी नही मिल पाएगी। बहरहाल सरकार ने 66000 करोड रूपये का पता लगाया है। सरकार ने इनकम टैक्स डिर्पाटमेंट के तहत एक क्रीमिनल विंग बनाया है जो देश में कालेधन के प्रवाह को लेकर नजर रखेगा। इस समय देश में लड़ाई कर चोर और कर कानून के बीच की है। हमारे पास करचोरो को पकड़ने के लिए पर्याप्त कानून का अभाव है या उसे लागू वाली एजेंसियों में दमखम का अभाव। बात चाहे कुछ भी हो मगर कालधन इस देश की अर्थव्यवस्था को खोखला कर रहा है। ऐसा लगता है की देश में कालेधन की एक समानान्तर सत्ता चल रही है। काले धन के मामले में हमें दो सवालों का जवाब तलाशना हैं? कैसे कालेधन को वापस लाया जाए? और कैसे कालेधन के प्रसार पर रोक लगाई जाए? जवाब एक ही है कालेधन को देश में लाकर इसे राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कर सारा पैसा विकास कार्यो में लगाया जाए।