लाहौर हाइकोर्ट से जमात उद दावा के चीफ हाफिज मुहम्मद सईद के रिहाई का आदेश भारतीय कूटनीतिकारों के लिए एक बढा झटका है। झटका इसलिए भी क्योंकि पहली बार नानुकूर करने वाले पाकिस्तान को भारत ने मजबूर कर दिया यह मानने के लिए कसाब उनके देश का नागरिक है। 26 ग्यारह हमले को अंजाम पाकिस्तान की जमीन से दिया गया। जमात उद दावा पर प्रतिबंध लगाने से लेकर उसके चीफ हाफिज मुहम्मद सईद की गिरफतारी को भारत एक बडी कामयाबी के तौर पर देख रहा था। हाल ही में अमेरिका कांग्रेस की रिपोर्ट में यह भी खलासा हुआ कि पाक के 60 परमाणु मिसाइलों का मुंह भारत की ओर है। इतना ही नही इस रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान गुपचुप तरीके से परमाणु प्रसार में लगा है। वो पाकिस्तान जिसे अपनी माली हालत सुधारने के लिए समय समय पर अमरीका का मुहं देखना पडता है। कहानी यही खत्म नही होती लश्करे तैयब्बा से जुडा आजम चीमा और जैश ए मुहम्मद का चीफ मौलान मसूर अजहर पर पाबंदी लगाने के लिए ब्रिटेन और चीन ने और सबूत की मॉग की है। भारत ने इस मामले की अपील संयुक्त राश्ट्र में की थी। यह उस पाकिस्तान की कहानी है जिसके प्रधानमंत्री से लेकर राश्ट्रपति और आर्मी चीफ आतंकियों को निस्तोनाबूद करने की कसम खा रहे है। और इस अभियान में उनका सबसे बडा साथी अमेरिका है। इन सारे घटनाक्रमों के बाद पाकिस्तान की कथनी और करनी में एक बार फिर अंतर दिखाई देने लगा है। अब देखना यह होगा कि पाकिस्तान के इस रवैये को देखते हुए भारत का अगला कदम क्या होगा।
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