सोमवार, 24 मई 2010
यूपीए का एक साल
यूपीए सरकार ने 22 मई को अपना दूसरे कार्यकाल का पहला जन्मदिन मनाया। वर्तमान हालात में सरकार के पास वैसे तो कहने के लिए बहुत कुछ नही था। मगर ऐसे मौकों पर ही कोिशश की जाती है की जनता को एक अच्छा सन्देश जाए। लिहाजा प्रधानमन्त्री ने देशभर के पत्रकारों के बेबाकी से जवाब दिए। सवाल भी कई तरह से थे। मसलन महंगाई से लेकर नक्सलवाद तक और विदेश नीति से लेकर भ्रष्टाचार तक प्रधानमन्त्री ने सबके जवाब दिए। मगर शायद जवाबों में वह बात नही जो अमूमन देखने को मिलती है। महंगाई के चलते जनता बेहाल है। नक्सलवाद से निपटने के लिए दो सूत्रीय नीति काम करती नही दिखाई दे रही है। सरकार में मन्त्री बेलगाम है और कुछ तो भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे है। सरकार और संगठन कई मुददों के लेकर आमने सामने है। विदेश नीति अमेरिकी प्रेम से ओतप्रोत है। प्रधानमन्त्री ने खुशी इस बात की जताई को वैिश्वक आर्थिक तंगी के चुंगल से निकलने में हम कामयाब हो पाये। वह यह भी बताना नही भूले के ऐसा करने वालों में उनका देश का दूसरा स्थान है। नक्सलवाद को उन्होंने पहले के ही तर्ज पर गम्भीर खतरा बताया। पाकिस्तान के मामले में विश्वास की कमी को दूर करने के लिए उन्होंने बातचीत जारी रखने बात कही। अमेरिका के पिछल्गू से जुडे सवाल पर उनका कहना कि उसी नीति का समथर्न किया हो जिसका सीधा सम्बन्ध राश्ट्रीय हित से जुडा हो। सहयोगियों के एक दूसरे के विभाग के उपर टिप्पणी को उन्होन खराब परंपरा बताया। सराकर और संगठन के बीच किसी भी बात को लेकर कोई दूरियां नही है। विभिन्न मुददों पर यूपीए अध्यक्ष सोनियां गांधी से वो साप्ताहिक मुलाकात करते है। सीबीआई के दुरूपयोग पर प्रधानमन्त्री ने कहा कि हर मामले में सीबाआई ईमानदारी से अपना काम कर रही। कट मोशन के दौरान माया मुलायम के साथ आने को सीबीआई के दवाब को वह गलतफहमी कहकर टाल गए। 2 जी स्पेक्टम को लेकर भी उनका जवाब सन्तुश्ट न करने वाला था। बहरहाल इस साल की समात्ती में जो सबसे बडी उपलब्घी है वह है शिक्षा का अधिकार और प्रधानमन्त्री महमोहन सिंह का पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी के 6 साल के कार्यकाल का रिकार्ड तोडना।
शुक्र है अभी दो साल हुए हैं / पाँच साल होने दीजिये फिर देश में सत्य,न्याय और इंसानियत का हाल देखिएगा ? शर्मनाक है ये दो साल इंसानियत के लिए /
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