खुद सोचिये कि आज गाँधी के रस्ते पर चल कर कौनसा काम हो सकता है .... हा गाँधी के सहारे (नोटों के सहारे ) सब हो सकता है ..जनाब दुनिया में …कम से कम भारत में तो सत्य और अहिंसा नहीं बची है ….. और रही बात गाँधी की तो गाँधी सिर्फ नोट पर ही रह गया है ….
खुद सोचिये कि आज गाँधी के रस्ते पर चल कर कौनसा काम हो सकता है .... हा गाँधी के सहारे (नोटों के सहारे ) सब हो सकता है ..
जवाब देंहटाएंजनाब दुनिया में …कम से कम भारत में तो सत्य और अहिंसा नहीं बची है ….. और रही बात गाँधी की तो गाँधी सिर्फ नोट पर ही रह गया है ….