यूपीए के दूसरे कार्यकाल में सड़क एवं परिवहन मंत्रालय का जिम्मा सभालने के बाद कमलनाथ ने प्रतिदिन 20 किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य रखा। यह वह समय था जब यूपीए सरकार सडकों को बनाने के धीमी प्रगति के चलते विपक्ष का निषाना बना रही थी। यही कारण था की जानकारों और खुद योजना आयोग इस लक्ष्य को महत्वकांक्षी मान रहा था। बहरहाल जो तस्वीर समाने है उसमें 12.3 किलोमीटर प्रतिदिन सड़को का निर्माण कराया जा रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्राधिकरण के मुताबिक जमीन अधिकरण में देरी, भारी बारिश, समय से पर्यायवरण अनाप्प्ति प्रमाण पत्र का न मिलना, कानून व्यवस्था और कुशल मानव संसाधन की कमी सड़क बनाने की धीमी प्रगति का मख्य कारण है। अक्टूबर 2009 से सितंबर 2010 तक कुल 201 परियोजनाओं का ठेका दिया गया है। इन परियोजनाओं की कुल लम्बाई 9923 किलोमीटर है। कुल मिलाकर इस समय 14704 किलोमीटर सड़क कार्य का काम प्रगति में है। इस समय राष्ट्रीय राजमार्ग का चार चरणों में काम कराया जा रहा है और चारों ही चरणों
में काम की प्रगति काफी धीमी है। अकेले 2010-11 में 25000 मिलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य रखा गया था मगर सितंबर महिने तक यानि पहले 6 महिने में 691 किलोमीटर ही सड़कों का निर्माण हो पाया है। इस मद में इस साल 36524 करोड़ का आवंटन किया गया है मगर पहले 6 महिने में सिर्फ 7389.91 करोड़ की खर्च हो पाये हैं। अब सवाल यह उठता है की मंत्रालय निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति क्या बचे हुए 6 महिनों में कर पायेगा।
आज भारत सड़कों के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है। देष भर में फैली सड़कों की कुल लम्बाई 33.4 लाख किलोमीटर है।
विष्व का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क
कुल लम्बाई 33.4 किलोमीटर के आसपास
राष्ट्रीय राजमार्ग 66590
राज्य राजमार्ग 128000
प्रमुख जिला सड़कें 470000
ग्रामीण व अन्य सड़कें 2650000
राष्ट्रीय राजमार्ग का नेटवर्क 2 प्रतिशत से कम है परन्तु यह कुल यातायात का 40 प्रतिशत भार वहन करता है। आज 65 फीसदी माल की ढुलाई और 80 फीसदी यात्री यातायात इन्ही सडको पर होता है। जहां सड़को पर यातायात 7 से 10 फीसदी सालाना आधार पर बढ़ रहा है। वही वाहनों की संख्या में तेजी 12 फीसदी के आसपास रही है। यही कारण है की अर्थव्यवस्था की गति को तेजी से बड़ाने के लिए सडकों का तेजी से निर्माण जरूरी है।
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