भारत में सरकारी योजनाओं का रिकार्ड बदनाम रहा है। योजनाओं का क्रियान्यवयन हमेशा सवालों के घेरे में रहा है। मगर उतराखण्ड में 108 अपातकालिन सेवा का क्रियान्वयन बेहतरीन रहा है। मैनें खुद उतराखण्ड में जाकर इस योजना के प्रति लोगों के उत्साह को महसूस किया है। सबसे बड़ी बात की योजना में तकनीक का बेहतरीन इस्तेमाल है। कह सकते हैं कि यह एक अनोखा नीजि सावर्जनिक भागीदारी के तहत चलते वाल जबरदस्त कार्यक्रम है। इस पहले भाग में इस सेवा के बारे में जानते हैं। 108 अपातकालीन सेवा। दुर्घटना की स्थिति में आपका सुरक्षा कवच। पहाडी राज्य खासकर उत्तराखंड के लिए किसी वरदान से कम नही। योजना की उम्र महज तीन साल । मगर कारनामों की एक लम्बी फेहरिस्त। उपलब्धियो को देख 10 साल का समय भी बौना लगने लगता है। कई रिकार्ड तोड़ चुकी आज यह अंबुलेंस सेवा न सिर्फ कामयाब है, बल्कि राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। खासकर पहाड़ी इलाकों में रह रहे लोग इस सेवा का भरपूर लाभ उठा रहे है। अब पेड़ से गिरकर किसी महिला की इलाज के अभाव में मौत नही होती। अब जंगली जानवर का शिकार बने घायल व्यक्ति को पलक झपकते ही प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध होती है। बदलाव बड़े पैमाने पर आया है। पहले बिना इलाज के कइ जाने चली जाती थी। कारण अस्पताल तक का सफर घंटों का होता था। सोचकर ही दिमाग थक जाता था। मगर आज हालात बदल चुके हैं। अब 108 को फोन लगायें, पलक झपकते ही सायरन बजाती यह एंबुलेंस सेवा आप तक पहुंच जायेगी। आज से लगभग तीन साल पहले 8 मार्च 2008 को जीवीके ईएमआरआई और उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग के के बीच इस सेवा को लेकर समझौता हुआ। उत्तराखंड में फिलहाल इस सेवा की 108 गाडियां हैं। यह सेवा निजि सार्वजनिक भागीदारी के तहत चलती है। फर्क सिर्फ इतना है कि यहां समझौते का मकसद लाभ कमाना नही बल्कि दुर्गम स्थानों में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाऐं मुहैया कराना है।
RAMESH JEE,
जवाब देंहटाएंmujhe nhi pata ki tulaanaa kitni sahi kitni galat hai.apr mujhe lagata hai ki kendra sarkaar ne jo achcha kaam MNAREGA ko lakaar kiya hai usse bhi achcha kaam uttarakhand sarkaar ne 108 ko lakar kiya hai.sewa behad khoob hai.iski khoobi bani rahe balki badhati rahe iski ummeed ki jani chahiye.
par aapke turant upchar vali baat main kahana chahata hun ki mera gaon aaj bhi road se 6 km door hai.mera gaon bhi yada kada 108 ki sewa leta hai par use road main pahuchane tak 2 ghante tak ka samay lag jata hai.han jo log pahale se road main hain unko 108 ka intzaar karate karate 2 ghante lg jate hain.aur rogi ke liye pahale 2 ghante ki ahamiyat koi doctor behtar samajha sakata hai.aise main khoobiyon ke beech sewa ko jansulabh banane ki jarurat hai.