सरकार ने 11वी पंचवर्षिय योजना में कृषि क्षेत्र में 4 फीसदी विकास दर हासिल करने का लक्ष्य रखा था। इसके लिए बाकायदा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय खाघ सुरक्षा मिशन और राष्ट्रीय हाल्टीकल्चर मिशन जैसे भारी भरकम कार्यक्रमों की शुरूआत की गई। मगर इस क्षेत्र में कुछ बड़ा बदलाव देखने को नही मिला। खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मुताबिक 11वीं पंचवर्षिय येाजना में केवल 3 फीसदी विकास दर हासिल हो पायेगी। अच्छी खबर यह है कि इस वर्ष 241 मिलियन टन रिकार्ड तोड़ खाघन्न उत्पादन की संभावना है। जबकि 2020 तक यह मांग 280 मिलियन टन तक बढ़ जायेगी। इसके लिए जरूरी होगा प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में सुधार लाया जाए। उत्पादकता के मामले में विकसित देशों के मुकाबले हम काफी पीछे हैं। अगर 1997 से 2007 तक की बात की जाए तो खाघान्न उत्पादन की दर महज 1 फीसदी रही है। आज कृषि में सबसे बड़ी समस्या निवेश की कमी है। साथ ही किसानों को समय से बीज, उवर्रक, सस्ता ऋण और तकनीक नही पहुंच पा रही है। सवाल उठता है कि जिले में कृषि विज्ञान केन्द्र की मौजूदगी के बावजूद यह हालात क्यों हैं। बहरहाल बजट 2011-12 में सरकार ने इसे क्षेत्र के लिए कई नई घोषणाऐं की है। इनमें प्रमुख है पूर्वी क्षेत्र में हरित क्रांति लाना, 60 हजार दलहन ग्रामों का एकीक्रत विकास, आयल पाम का संवर्धन, सब्जी समूह संबंधी कार्यक्रम, पोषक अनाज कार्यक्रम, राष्ट्रीय प्रोटीन सम्पूरण मिशन, त्वरित चारा विकास कार्यक्रम। इधर सरकार ने 12वीं पंचवर्षिय योजना में भी कृषि विकास दर का लक्ष्य 4 फीसदी रखने की बात कही है।
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