गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

जापानी बुखार का कहर


जपानी बुखार देश के बड़े हिस्से में एक बड़ी समस्या बन चुका है। देश के आधे से ज्यादा राज्यों में इसका कहर देखने को मिल रहा है। असम, बिहार, गोवा, हरियाणा, तमिलनाडू और उत्तर प्रदेश में जापानी बुखार के सैकड़ों मामले साल दर साल सामने आते रहे हैं। लेकिन इसमे सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की है। जापानी बुखार के 70 से 75 फीसदी मामले उत्तर प्रदेश में हैं। आकंड़ों पर नजर डाले तो -

2007 में 3024 मामलें सामने आए जिनमें 645 बच्चों की मौत हुई। 2008 में 3012 मामलों में 537 बच्चों को जान गंवानी पड़ी। 2009 नवबंर तक 2936 मामलों में 520 बच्चों की मौत हो चुकी थी। 2010 में 5149 मामले सामने आए जिनमें 677 मौत हुई। इस साल 6297 मामले सामने आ चुके हैं और 500 से ज्यादा मौत हो चुकी हैं।

दरअसल में इस बुखार की चपेट में 15 साल के बच्चे ज्यादा आते हैं। इनमें 25 फीसदी बच्चों की मौत हो जाती है जबकि 30 से 40फीसदी बच्चे दिमागी या शारिरिक समस्या के शिकार बन जाते हैं। बिडंबना ये है कि अब तक इस बीमारी से निपटने के लिए कोई सटीक दवाईं खोजी नहीं जा सकी हैं। हांलाकि बचने के लिए वैक्सीन तो है लेकिन उसके लिए भी चीनी कंपनी पर निर्भर रहना पड़ा है। बहरहाल कागजी दावों की कोई कमी नहीं है। केन्द्र ने इस मुददे पर एक और जीओएम बना दिया है। संबधित मंत्री प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर चुके हैं। पीने के साफ पानी और साफ सफाई की बात की जा रही है। लेकिन अफसोस कि इस जानलेवा बीमारी पर भी काम कम और राजनीति ज्यादा हो रही है। केन्द्र सरकार की मानें तो राज्यों को इसके लिए पर्याप्त फंड मुहैया कराया जा रहा है। इसके उपचार के लिए बनाई गई दवा जीव के जल्द बाजार में आने की उम्मीद है।

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