प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहाकार परिषद ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अवसंरचना में विकास का अभाव भारत की 9 फीसदी विकासदर को पाने के रास्ते में सबसे बड़ रोड़ा है। अवसंरचना के लिए भारी भरकम धन की जरूरत होती है। भारत सरकार 12वीं पंचवर्षिय में 50 लाख करोड़ खर्च करेगी। इस धनराशी का 50 फीसदी निजि क्षेत्र से आऐगा। 11 वीं पंचर्षिय योजना के मुकाबले यह रकम दुगनी है।इंडिया इंन्फ्रास्टकचर फाइनेन्स कंपनी लिमिटेड जिसकी स्थापना अवसंरचना से जुड़े कार्याे को फंड करने के लिए हुई है कि नियमों में
ठील दी गई है। नए नियम के मुताबिक बीडिंग से पहले कर्ज की सिद्धान्तिक मंजूरी ली जा सकती है। पिछले कई महिनों से कोयले की की के चलते बिजली के उत्पादन में दिक्कतें आ रही थी। इस बजट में कहा गया है की कोल इंडिया लिमिटेड को पावर प्लांटों के साथ समझौता हस्ताक्षर करना होगा। बशर्ते इन पावर प्लांटों को डिस्काम के साथ एक दीर्घकालिक पावर खरीद समझौता करना पड़ेगा जो 31 मार्च 2015 को चालू हो जाएगा। साथ ही पावर प्रोजक्ट को फाइनेन्स करने के लिए इीसीबी के रूट को खोला गया है। सड़कों को बनाने के लक्ष्य में बढोत्तरी की गई है। 2011-12 में 7300 के मुकाबले 8800 किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य रखा गया है। 2010-11 में 5082 किलोमीटर सड़कें का निर्माण किया गया था। इसके लिए 25360 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। नागर विमानन क्षेत्रकी अगर बात की जाए तो इंडियन कैरियर सीधे एटीएफ का आयात कर सकते हैं। कार्यशील पूंजी की जरूरतों की पूर्ति के लिए नागरविमानन उद्योग इसीबी के जरिये नकदी की जरूरत को पूरा कर सकता है मगर यह राशि एक बिलियन से कम नही होनी चाहिए। 49 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को हरि झंडी देने पर सरकार विचार कर रही है। 2011-12 में सरकार ने 30 हजार करोड़ रूपये के टैक्स फ्री बांड की घोषण की थी। इस बार इसे बढ़ाकर 60 हजार करोड़ रूपये कर दिया गया है। एनएचएआइ को 10 हजार करोड़, भारतीय रेलवे वित्त संस्थान को 10 हजार करोड़ आइआइएफसिएल को 10 हजार करोड़ हुडको को 5000 करोड़, नेशनल हाउसिंक बैंक, सीडबी को 5000 करोड़, पोर्ट को 5000 करोड और उर्जा क्षेत्र 10 हजार करोड़ रूपये बाजार से टैक्स फ्री बांड के जरिये ले सकता है।
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