गुरुवार, 4 अप्रैल 2013

तारीख पर तारीख

लंबित मुकदमें।
सुप्रीम कोर्ट -46 हजार मामले।
हाई कोर्ट -3957016
निचली अदालतें -25504926

10 लाख की आबादी में कितने जज?
भारत    13
यूके      22
ब्राजील   77
अमेरिका  110
चीन     159

अकेले दिल्ली में तकरीबन 9 लाख मामले लम्बित है।
संसाधन की भारी कमी से जूझ रही है न्यायपालिका।
जजों की कमी और कर्मचारियों का टोटा
आधे मामले दिल्ली में चैक बाअंस के जबसे इसे अपराध की श्रेणी में लाया गया।
संसद और विधानसभाऐं कानून बना तो देती है। मगर उससे अदालतों की सेहत पर क्या असर पडेगा इसकी किसी को कोई चिन्ता नही।

सुप्रीम कोर्ट द्धारा गठित टास्क फोर्स की सिफारिश
जूडिशियल इंपेक्ट आफिस खोला जाए। इसके तहत संसद और राज्य विधानसभाओं से पारित होने वाले कानून के अदालत पर पडने वाले वित्तीय प्रभाव का मूल्यांकन किया जाए। विशेषज्ञ मानते है कि न्यायपालिका को आर्थिक संसाधन नही मुहैया कराये गए तो लोगों को सिर्फ तारीख पर तारीख मिलेगी।
सालाना होनी चाहिए जजों की संख्या की समीक्षा। 2 से 3 प्रतिषत जजों की बढोत्तरी की जाए। साथ ही न्यायपालिका पर बजट बढ़ाया जाय।



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