संसद की गिरती साख को बचाने की चिन्ता हर एक राजीनीतिक दल को है। लेकिन किया क्या जाए इसको लेकर स्थिित क्या करें, क्या न करें जैसी है। सरकार सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने की अपनी जिम्मेदारी को तो मानती है मगर हंगामें में अपनी भूमिका को सिरे से खारिज करती है। उधर विपक्ष में बैठे राजनीतिक दल इस आरोप को गले उतारने को राजी नही। उसकी माने तो हंगामें के कारणों में जाना चाहिए
और इसका रास्ता सरकार की गलियों से होकर गुजरता है। की वजह सरकार हेाती है। दरअसल यह समस्या के लिए जिम्मेदार कोई एक राजनीतिक दल नही। सत्ता में रहते हुए ज्ञान बांटना और विपक्ष में रहते हुए शोर करना रणनीति का एक हिस्सा बन गया है। सच्चाई यह है कि सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी जितनी सत्तापक्ष की है उतनी ही विपक्ष की है।
और इसका रास्ता सरकार की गलियों से होकर गुजरता है। की वजह सरकार हेाती है। दरअसल यह समस्या के लिए जिम्मेदार कोई एक राजनीतिक दल नही। सत्ता में रहते हुए ज्ञान बांटना और विपक्ष में रहते हुए शोर करना रणनीति का एक हिस्सा बन गया है। सच्चाई यह है कि सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी जितनी सत्तापक्ष की है उतनी ही विपक्ष की है।
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