महंगाई बढ़ने का कारण जमाखोरी है। राज्य सरकारें इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है। केन्द्र सरकार का तंत्र महंगाई रोकने में फेल हो चुका है। केन्द्र और राज्यों ने मिलकर चंद मुनाफाखोरों के लिए आखें मूंद ली है। कितने लोगों को जमाखोरी के चलते जेल भेजा गया। अगर कोई मंत्री और सचिव महंगाई रोकने में नाकामयाब है तो उसके बने रहने का क्या मतलब। भारत की संसद 13 बाद 2004 से महंगाई पर चर्चा कर चुकी है। मित्रों इस देश में महंगाई रोकने के लिए एक भारी भरकम तंत्र काम करता है जिसमें 24 आवश्यक वस्तुओं के दामों पर प्रतिदिन और सप्ताह वार नजर रखी जाती है। इसमें शामिल हैं उपभोक्ता मंत्रालय, कृषि मंत्रालय वित्त मंत्रालय सचिवों का समूह मंत्रियों का समूह, कैबीनेट कमिटि आन प्राइसेसे और राज्य सरकारें। इन सबसे ज्यादा आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के प्रावधान। अगर महंगाई नही रोक पा रही सरकारें तो उन्हें पद छोड़ देना चाहिए। आज आम आदमी की महंगाई ने कमड़ तोड़ दी है। नेता रैलियों में लच्छेदार भाषण दे रहें है मगर इस समस्या का समाधन कोई निकालना नही चाहता। क्योंकि जमाखोरी और चुनावी चंदे का रिश्ता सीधा है। इसलिए प्रधानमंत्री जी और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री जी अगर आप लोगों के आवश्यक वस्तुओं के आसमान छूते दामों को पर लगाम नही लगा पा रहे हो तो आपसे कैसी अपेक्षा।
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