मित्रों आजादी के 67 साल के बाद भी हम गरीबी से नही लड़ पा रहें है। गरीबी हटाओं नारे के बावजूद गरीब बढ़ते जा रहें हैं। सरकार के आंकड़ों में जरूरी गरीबी कम हो रही है मगर उससे ज्यादा तेजी से लोग गरीबी रेख के नीचे जीवन यापन करने के लिए मजबूर हैं। सोचिए जिसे देश में गरबी के घर के लिए इंदिरा आवास योजना 80 के दशक से चल रही है वहां 20 करोड़ से ज्यादा के पास अपना घर नही। शौचालय के लिए निर्मल भारत अभियान के 30 साल बाद भी 67 फीसदी आबादी के लिए शौचालय की व्यवस्था नही। रोजगार के लिए महात्मा गांधी नरेगा है, शिक्षा के लिए सर्व शिक्षा अभियान अब शिक्षा का अधिकार है और बच्चों के भोजन के लिए मीड डे मील योजना है। पीने के पानी के लिए राष्टीय शुद्ध पेयजल मिशन है। स्वास्थ्य के लिए राष्टीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन है। महिलाओं के लिए एकीकृत बाल विकास योजना, जननी सुरक्षा योजना जैसी योजनाऐं है। पेट भरने के लिए खाद्य सुरक्षा कानून है वहां समाज के बड़ा तबका इतना परेशान क्यों है। यहां बिजली भी राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतिकरण योजना है। वहां लाखों गांव में उजाला नही है। कहने से तात्पर्य यह है की आजादी के बाद भारती की समस्यओं का हल योजनाओं में ढूंढा गया। नतीजा समस्या कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है। आखिर ऐसा क्यों?
I can understand ur feeling RameshSab par Hamari Sarkare Itne Unche Sinhasan par Virajman hoti hai ki wah hameri Avaz sun nahi Sakti
जवाब देंहटाएंइस देश में कागजों में नीतियाँ बहुत ही बेहतरीन होती हैं. लेकिन इनका कार्यान्वयन असली समस्या हैं . इसके लिए इन योजनाओ की मोनेटरिंग को दुरुस्त करना होगा. साथ ही धन आवंटन और खर्चो में अधिक पारदर्शिता होनी चाहिए. RTI इस मामले में एक अच्छा कदम था. लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना है. वो राजीव गाँधी ने कहा था अगर एक रुपया केंद्र से निकलता हैं वो नीचे पहुचते पहुचते 10 पैसा ही रह जाता हैं.
जवाब देंहटाएंजब तक कार्य शैली और नीतियों में सुधार नही आएगा, तब तक ग़रीबी कम होने का सवाल ही पैदा नही है... दोस्तो
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