भारत में सड़क हादसे एक गंभीर समस्या बनते जा रहे हैं। कल दिल्ली में बेदर्द दिल्ली की जो तस्वीर सामने आई वो मानवता को शर्मसार करने वाली थी। सड़क पर घायल पड़े व्यक्ति को किसी ने अस्पताल नही पहुंचाया। टक्कर मारने वाले से लेकर वहां से गुजरते राहगीरों ने तक जहमत नही उठाई। एक रिक्शे वाला रूका मगर मोबाइल चुराकर चलता बना। यह सबकुछ एक सीसीटीवी में कैद हो गया। यह भी तब जब सुप्रीम कोर्ट से लेकर सरकार तक सड़क पर पड़े घायलों की मदद के लिए निर्देश दे चुकी है। एक पर के लिए किसी ने नही सोचा का घायल पड़ व्यक्ति किसी का बेटा पति या पिता होगा। आखिरकार ज्यादा खून बहने से उसकी मौत हो गई। इन तस्वीरों ने पूरे भारत को हिला दिया। हाल ही में सरकार ने मोटर वेहिकल एक्ट में संशोधन कर हिट एन रन केस में मुआवजा 25 हजार से बढ़ाकर 2 लाख कर दिया है और सड़क हादसों में जान गंवाने वालों को 10 लाख का मुआवजा देने की बात कही है। भारत में हर साल 5 लाख सड़क हादसों में 1.5 लाख लोग अपनी जान गंवा देते हैं। भारत में हर 1 मिनट में सड़क हादसा होता है। हर 1 घंटे में 18 मौत हो जाती है। इस लिहाज़ से दुनिया में सड़क हादसों में सबसे ज्यादा लोग भारत में मारे जाते हैं। जबकि भारत में दुनिया के सिर्फ 1 फीसदी वाहन हैं। 10 फीसदी सड़क हादसे होते है और 6 प्रतिशत मौंते हो जाती हैं। इनमें 78.7 प्रतिशत हादसे ड्राइवर की गलती से होते हैं। भारत में 2011 में 136834 मौतें जबकि 2012 में 139091 मौतें हुई। 2015 में यह आंकड़ा बढ़कर 1.5 लाख तक पहुंच गया। यानि तमाम उपायों के बावजूद भारत में सड़क में होने वाली मौतें कम होने के बजाय बढ़ रही हैं...मसलन जिस दिन सड़क हादसे की वजह से केन्द्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की मौत हुई थी उस दिन सड़क हादसों में कुल 400 लोग मारे गए थे। बीते 10 साल में या तो 55 लाख लोग गंभीर रूप से घायल हो गए या विकलांग हो गए। हादसो पर अगर गौर करें तो सबसे ज्यादा 23.2 प्रतिशत हादसे दुपहिया वाहन से होते हैं। 19.2 प्रतिशत हादसे ट्रकों से होते हैं। नेशनल हाइवे में 30.1 प्रतिशत हादसे होते हैं जिसमें 37.1 लोगों की मौत हो जाती है। स्टेट हाइवे 24.6 प्रतिशत हादसे में 27.4 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है। हादसो में 51.9 पीड़ित 25 से 65 साल के होते हैं जबकि 30.3 प्रतिशत हादसों में पीड़ित 15 से 29 साल के बीच के होते हैं। 15 प्रतिशत हादसों में पीड़ित महिलाऐं होती हैं। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि भारत में 5 से 20 प्रतिशत हादसे की वजह शराब पीकर वाहन चलाना है। सड़क दुर्घटना से केवल जनहानि का नुकसान नही बल्कि सालाना 3 लाख करोड़ का नुकसान या 3 प्रतिशत जीडीपी का सालाना नुकसान होता है। हमारे देश में सड़क हादसों को लेकर आमतौर पर जितनी संवेदनशीलता दिखनी चाहिए उतनी दिखती नहीं..एक अनुमान के मुताबिक सड़क हादसों में 50% लोगों की मौत सिर्फ इसलिए हो जाती है क्योंकि उन्हें वक्त पर अस्पताल नहीं पहुंचाया गया । सेव लाइफ फांउडेशन के 2013 में हुए सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ कि 74 फीसदी भारतीय रोड एक्सीडेंट विक्टिम की मदद करने के लिये आगे नहीं आते। इनमें से 88% राहगीर पुलिस की पूछताछ और कोर्ट कचहरी के चक्कर से बचने के लिए घायलों को अस्पताल नहीं ले जाते हैं...सर्वे के मुताबिक दिल्ली में एक्सीडेंट की सूरत में 96% लोग मदद करने आगे नहीं आते...जबकि मुंबई में करीब 90% लोग रोड एक्सीडेंट की मदद करने को तैयार नहीं होते...हैदराबाद में करीब 68% जबकि कोलकाता में करीब 59 फीसदी लोगों के मदद ना करने की बात सामने आई थी...बहरहाल सरकार सड़क हादसों में अगले 5 साल में 50 फीसदी की कमी लाना चाहती है। मगर देखना होगा क्या उसकी सोच जमीन पर उतर पाती है।
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