शनिवार, 30 मई 2009
बेमेल गठबंधन
उत्तर प्रदेश में माया मुलायम की लडाई। बीजेपी ने अजीत प्रेम में डूबकर जीतरस की रट लगाई। कांग्रेसी पहलवानों के भी क्या कहने। अमेठी रायबरेली के बाहर भी देखने लगे है। अब जरा जानते है कि पॉंच साल में क्या बदला है। पिछले चुनाव में अजीत मुलायम के जय हो के नारे लग रहे थे। जनता ने दोनों कोे मिलकर 38 सीटों का प्रसाद दिया। अकेले 35 मुलायम के पास। बीजेपी और कांग्रेस से भी दुखी नही, कहने को राश्ट्रीय पाट्री। मगर विश्वास संतोशम परम सुखम पर। तभी तो 10 और 9 पर ही ख्ुाश रहे। हाथी कीे धमक का अहसास 19 सीटों में हुआ। फर्क सिर्फ इतना है तब साइकिल का राज था अब हाथी दनदना रहा है। माया को विश्वास अपने सर्वजनों पर। प्रधानमंत्री बनने की चाहत लिए उनका नारा साफ है। सर्वजन शंख बजायेगा, हाथी दिल्ली जायेगा। मुलायम का एजेंड साफ है। यूपी को माया की माया से बचाओ दिल्ली में हमें करीब पाओं। मुलायम खुद इस उहापोह में है कि कल्याण उनका कितना कल्याण करेंगे। डर भी सता रहा है कि कही मस्लिम प्रेम में दरार न आ जाये। सूकून इस बात का है कि अपनों की सीट में जरूर के यानि कल्याण फैक्टर असर डालेगा। कांग्रेसी दिग्गजों का उत्साह भी जबरदस्त है। हांलाकि नतीजों से पहले यह हमेशा देखा गया है मगर उम्मीद का परसेंटेज इस बार ज्यादा है। तीन त्रिदेव का भी मिलन हुआ है। लालू पासवान और मुलायम । इतिहास देखें तो डर लगता है कि कब ये आपस में ही न भीड जाऐं। ख्ौर तीनों की हालत पतली है। अच्छी बात है। दुख के सब साथी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें