रविवार, 28 फ़रवरी 2010

बजटवाणी भाग 3


किसान को क्या मिला।
बजट में किसान के लिए क्या है। वो भी तब जब 1990-91 से लेकर 2000-01 तक 80 लाख किसान खेती छोड चुके है। एनएसएसओ के सर्वे के मुताबिक विकल्प मिलने पर 40 फीसदी किसान किसानी छोडना चाहते है। 1997 से लेकर 2007 के बीच 187000 से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके है। किसानों की एक बडी आबादी साहूकारों के कर्ज के नीचे दबी पडी है। 81 फीसदी किसान के पास 1 हेक्टेयर से कम जमीन है। यानि जमीन पर दबाव लगातर बड़ रहा है। इन्ही पर 1 अरब से ज्यादा की जनसंख्या और 50 करोड़ पशुओं के पेट भरने की जिम्मेदारी है। यह विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है मगर क्या हम इनके साथ न्याय कर रहे है। तो सवाल उठता है इनके चेहरे में खुशी लाने के लिए बजट में क्या करना चाहिए। क्या किसान 4 फीसदी की ब्याज दर में कर्ज लेने का हकदार नही है। सरकार ने इस वशZ फिर कृिश ऋण प्रवाह बड़ाकर 375 हजार करोड़ का लक्ष्य निर्धारित किया है। जो पिछले साल 325 हजार करोड़ था। मगर बजटवाणी में सिर्फ इतना कहा गया की जो किसान समय से अपना फसल ऋण बैंक को चुकायेगा उसको 2 फीसदी ब्याज़ दर की राहत दी जायेगी। पिछने साल यह राहत तीन लाख पर 1 फीसदी की थी। जहां किसान की लागत दिन पर दिन बडती जा रही है वहां सरकार इस तीन लाख की सीमा बडाने को तैयार नही है। हालांकि ऋण माफी और ऋण राहत योजना के तहत ऋण अदायगी की समय सीमा 30 जून 2010 तक के लिए बडा दी गई है। इससे पहले यह योजना का लाभ 31 दिसम्बर 2010 तक के लिए थी। हमारे देश में सालाना 50 हज़ार करोड़ रूपये का अनाज उचित भण्डारण के अभाव में नश्ट हो जाता है। इसलिए सरकार ने भण्डारण सुविधाओं को मजबूत बनाने के लिए रियायतों की घोशणा की है। किसान को फसल का बेहतर दाम और उपभोक्ता को सही कीमत पर अनाज कैसे मिले इसका भी इन्तजाम किया गया है। यानि सरकार रिटेल चेन को प्रोत्साहित कर बिचोलियों पर सरकार नकेल कसेगी। बजट में उत्पादन बडाने के नाम पर 400 करोड़ से देश के पूर्वी क्षेत्रों जिसमें बिहार, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पिश्चम बंगाल और उड़ीसा ‘ाामिल है। सवाल आप कर सकते है 400 करोड़ से हरित क्रान्ति का सपना कितना जायज़ है। 300 करोड़ रूपये से वशाZपोिशत क्षेत्रों में 60 हज़ार दलहन और बीज ग्रामों की स्थापना की जायेगी। जल प्रबन्धन और उसके बेहतर इस्तेमाल के साथ ज़मीन की उर्वरकता ‘ाक्ति को बनाये रखने के लिए एक तन्त्र विकसित किया जायेगा। 200 करोड़ की मदद से पहली हरित क्रांन्ति लाने वाले क्षेत्रों के उत्पादन को बनाये रखने का काम किया जायेगा। भण्डारण की सुविधा को बढ़ाया जायेगा ताकि सालाना 50 हज़ार करोड़ के फसलों के नुकसान से बचा जा सके।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें