शनिवार, 21 अगस्त 2010
बढ़ती युवा पीढ़ी और रोजगार
श्रम और रोजगार मन्त्रालय भारत की एक बड़ी आबादी को ध्यान में रखकर अपनी नीतियां बनाता है। देश का असंगठित क्षेत्र मतलब 39 करोड़ से ज्यादा लोग इस मन्त्रालय के अधीन आता है। जिसके लिए सरकार 2008 में सामाजिक सुरक्षा विधेयक भी लेकर आई है। असंगठित क्षेत्र की स्थिति पर एक नज़र डालें तो मालूम चलता है कि लोग इसमें कितनी तादाद में किन कामों में लगे हुए है। मसलन 62 फीसदी खेती में, 16 फीसदी वेतन भोगी, 11 फीसदी उद्योगों से जुड़े है। एक दूसरा आंकड़ा यह कहता है कि देश में ज्यादातर आबादी यानि 53 फीसदी स्वरोजगार पर निर्भर है। असंगठित क्षेत्र में महिलाओं की तादाद पुरूषों से ज्यादा है। मन्त्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक रोजगार के लिहाज से सालाना 2.5 फीसदी रोजगार में वृद्धि होनी चाहिए। मगर इसके लिए जरूरी है सालाना 9 फीसदी की विकास दर। सरकार ने हर साल 1 करोड़ 20 लाख के रोजगार सृजन का लक्ष्य रखा है। गौरतलब है कि 2001 में 15 से 59 वर्ष की आयु के कामगारों का प्रतिशत 58 फीसदी था जो 2021 में चलकर 64 फीसदी हो जायेगा। लिहाजा मन्त्रालय के सामने एक बड़ी आबादी के लिए रोजगार पैदा करने की चुनौति होगी। इतना ही नही 2020 में हर भारतीय की औसत उम्र 29 साल होगी जबकि चीन और अमेरिका में 37 जबकि जापान की बात करें तो यह होगी 48 साल। यानि भारत कहलायेगा विश्व का सबसे युवा प्रदेश। श्रम मन्त्रालय के सामने दूसरी बड़ी चुनौति 2022 में 50 करोड़ कामगारों को दक्ष बनना, जिसके लिए सरकार राष्ट्रीय कौशल विकास परिषद बनाने की घोषणा कर चुकी है। वह भी इस बात को ध्यान में रखकर की 97 फीसदी कामगारों के पास कोई तकनीकी शिक्षा उपलब्घ नही है। देखना दिलचस्प यह होगा कि क्या सरकार अपने इन लक्ष्यों को पूरा कर पाती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें