सरकार ने 2006 में 4 राज्यों के 31 जिलों में 16978.69 करोड़ का पुर्नवास पैकेज दिया। इन जिलों में किसानों ने सबसे ज्यादा आत्महत्या की थी। अब किसान इस पुर्नवास पैकेज का फायदा 30 सितंबर 2011 तक ले सकते हैं। सरकार ने इसकी अवधि 2 साल के लिए और बड़ा दी है। किसान ऋण माफी योजना जो 2008 में शुुरू की गई से तकरीबन 3.69 करोड़ किसानों को फायदा पहुंचा। इस योजना में 65318.33 करोड़ खर्च किया गया।
इतना ही नही जो किसान अपने तीन लाख तक का ऋण समय से जमा कर देंगे उसे 2 फीसदी ब्याज पर सब्सिडी दी जायेगी। यानि किसान को अब 3 लाख तक के लोन पर 5 फीसदी का ही ब्याज देना होगा बस उसे अपना ऋण समय पर चुकाना होगा। यह पहल किसान आयोग की उस सिफारिश पर की जा रही है जिसमें किसानों को 4 फीसदी की ब्याज पर लोन देने की सिफारिश की गई है। इसके अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी पिछले कुछ सालों में भारी बढोत्तरी की गई है। अच्छी खबर यह है कि इस साल दालों का रिकार्ड उत्पादन होने का अनुमान है। यह अनुमान 16.5 मिलियन टन के आसपास रखा गया है। यह एक अच्छी खबर है। हमारे देश में दालों की खपत 17 मिलियन टन के आसपास है। जबकि हम 14 मिलियन टन के आसपास उत्पादन कर पाते हंै। बाकी के लिए हमें आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। बहरहाल बड़े हुए उत्पादन से आयात में कमी आएगी। वर्तमान में देश भर में दालों का रकबा 23 लाख हेक्टेयर के आसपास है। साथ ही 2010-11 के बजट में प्रथम हरित क्रांति का विस्तार पूर्वी क्षेत्रों में बिहार झारखंड पूर्वी उत्तर प्रदेष, छत्तीसगढ़, ओडिसा और पश्चिम बंगाल तक ले जाने की घोषणा की गई थी। इसके अलावा दलहन और तिलहन के उत्पादन के लिए 60 हजार गांवों को चिन्हित किया जाएगा। इन दोनों योजनाओं के लिए बकायदा बजट में 450 और 300 करोड़ का आवंटन किया गया है। ऐसा लगता है इन दोनों मदों में इस बार अच्छी बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी।
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