शिक्षा का अधिकार कानून 1 अप्रैल 2010 से लागू हो चुका है। इसके तहत शिक्षा 6 से 14 साल के उम्र के बच्चे का कानूनी हक बना गया है। बहरहाल इंतजार इसी बात का है कि वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी इसके लिए कितना धन मुहैया कराते हैं। यूपीए सरकार जब 2004 में सत्ता में आई तो उसने 1966 में आई कोठारी कमीशन की सिफारिशोंको लागू करने की बात कही थी। मगर 45 सालों के बाद भी हम इन सिफारिशों से दूर है। बहरहाल वर्तमान में सरकार जीडीपी का 3.23 फीसदी पैसा शिक्षा में खर्च कर रही है। जबकि कोठारी कमीशन ने इसके लिए जीडीपी का 6 फीसदी खर्च करने की सिफारिश की थी। अगर बजट के कुल खर्च में शिक्षा का हिस्सा देखा जाए तो यह 2009-10 में 3.88 फीसदी से बड़कर 2010-11 में 4.5 फीसदी पहुंच गया। साथ ही प्राथमिक शिक्षा के लिए 13वें वित्त आयोग की सिफारिश के चलते राज्यों को 3675 करोड़ रूपये का अतिरिक्त अनुदान मिल सकेगा। इस कानून को लागू करने के लिए 10 लाख शिक्षकों का जरूरत है। साथ ही इसका अनुमानित बजट पहले पांच सालों में 34000 करोड़ प्रतिवर्ष के आसपास होना चाहिए। हालांकि 2010-11 में इसके खाते में 15000 करोड़ रूपये आए। इस कानून का अर्थिक भार केन्द्र और राज्यों के बीच 55ः45 के अनुपात में होगा, जबकि पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 90 फीसदी धन का इंतजाम केन्द्र सरकार करेगी। इस कानून को लागू करने में सबसे बड़ी चुनौति बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है।
सर्व शिक्षा अभियान- 11वीं पंचवर्षीय योजना में इस योजना में 71 हजार करोड़ रूपये खर्च करने का फैसला किया गया। पहले पांच सालों में इसे 54371 हजार करोड़ रूपये यानि कुल तय राशि का 76.57 फीसदी ही आवंटित किया गया है।
मीड डे मील योजना- 2007 से 2012 तक इस योजना पर 48000 करोड़ रूपये खर्च किए जाने है। फिलहाल अभी तक इसके खाते में 34177 करोड़ रूपये ही आ पाए है। यानि कुल आवंटन का 65.57 फीसदी।
शिक्षकों का प्रशिक्षण- इसे योजना को पांच साल में 4000 करोड़ रूपये मिलने थे । मगर अब तक सरकार का आवंटन महज 1444 करोड़ रूपये ही हो पाया है।
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान- कुल 22260 करोड़ रूपये में से इसे अभी तक 2762 करोड़ का आवंटन ही हो पाया है। यानि कुल तय राशि का 12.21 फीसदी।
नवोदय विद्यालय- इस मद में सरकार पहले 4 सालों में ही 106.34 फीसदी पैसा दे चुकी है। इसके लिए 11वीं पंचवर्षीय योजना में 4600 करोड़ दिए जाने थे जिसमें अब तक सरकार 4892 करोड़ रूपये दे चुकी है।
यूजीसी- इसके खाते में 11524 करोड़ रूपये आए है। यानि कुल तय हुआ 25012 करोड़ का 46.07 फीसदी।
तकनीकि शिक्षा- सरकार ने 2022 तक 50 करोड़ युवाओं को राष्ट्रीय कौशल विकास कार्यक्रम से जोड़ने का लक्ष्य रखा है। ताकि बाजार में युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध हो सके। इसमें 23654 करोड़ में से 12380 करोड़ खर्च किए जा चुके है।
सर्व शिक्षा अभियान- 11वीं पंचवर्षीय योजना में इस योजना में 71 हजार करोड़ रूपये खर्च करने का फैसला किया गया। पहले पांच सालों में इसे 54371 हजार करोड़ रूपये यानि कुल तय राशि का 76.57 फीसदी ही आवंटित किया गया है।
मीड डे मील योजना- 2007 से 2012 तक इस योजना पर 48000 करोड़ रूपये खर्च किए जाने है। फिलहाल अभी तक इसके खाते में 34177 करोड़ रूपये ही आ पाए है। यानि कुल आवंटन का 65.57 फीसदी।
शिक्षकों का प्रशिक्षण- इसे योजना को पांच साल में 4000 करोड़ रूपये मिलने थे । मगर अब तक सरकार का आवंटन महज 1444 करोड़ रूपये ही हो पाया है।
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नवोदय विद्यालय- इस मद में सरकार पहले 4 सालों में ही 106.34 फीसदी पैसा दे चुकी है। इसके लिए 11वीं पंचवर्षीय योजना में 4600 करोड़ दिए जाने थे जिसमें अब तक सरकार 4892 करोड़ रूपये दे चुकी है।
यूजीसी- इसके खाते में 11524 करोड़ रूपये आए है। यानि कुल तय हुआ 25012 करोड़ का 46.07 फीसदी।
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