क्या आपको पता है की संसदीय कार्यसूचि में प्रतिदिन 20 लिखित सवाल पूछे जाते है। इन सवालों के लिए सांसदों को 21 दिन का नोटिस देना होता है। ताकि मंत्रालयों को जवाब तैयार करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। संसद का पहला घंटा यानि 11 से 12 बजे प्रश्नकाल के लिए होता है। इसमें लगभग 20 मौखिक सवाल पूछे जाते है। इसका निर्धारण लौटरी द्धारा किया जाता है। जिस सांसद ने सवाल के लिए नोटिस भेजा होता है उसे एक सवाल और एक अनुपूरक यानि कुल दो सवाल पूछने का मौका दिया जाता है। और बाकि सासंदों के एक- एक सवाल पूछने का मौका दिया जाता है। इसके लिए बकायदा उन्हें नोटिस देना होता है। साल में सदन के तीन सत्र होते हैं। बजट सत्र मानूसून सत्र और शीतकालिन सत्र पहला और सबसे महत्वपूर्ण बजट सत्र। इसे दो भागो में बांटा गया है। दरअसल सभी मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर मंत्रालयों से जुड़ी स्थाई समिति विचार करती है। तब जाकर सदन इन मांगों पर विचार कर इन्हें पारित करता है। इसलिए इसे दो चरणों में विभाजित किया गया है। सदन सोमवार से शुक्रवार तक चलता है। यानि कुल सप्ताह में पांच दिन। इस लिहाज से प्रतिदिन मंत्रालयों को सवालों के जवाब देने के लिए बांटा गया है। यानि विभिन्न मंत्रालयों को दिन के हिसाब से बांट दिया गया है। आइये जानते है संसदीय कार्य का सबसे रोचक और महत्वपूर्ण घंटे के बारे में। साथ की किस दिन किस मंत्रालयों को अपने सवालों के जवाब देने होते हैं।
सोमवार को वाणिज्य और उद्योग, रक्षा, पर्यावरण और वन, श्रम और रोजगार, सड़क परिवहन और राजमार्ग,पोत परिवहन, सामाजिक न्याय और अधिकारिता, इस्पात, और वस्त्र मंत्रालय को सवालों के जवाब देने होते हैं।
मंगलवार को कृषि, उपभोक्ता मामले खाद्य और सार्वजनिक वितरण, संस्कृति, उत्तर-पूर्व क्षेत्र विकास, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, गृह, आवास और शहरी गरीबी उपशमन, सूचना और प्रसारण, शहरी विकास, युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय को सांसदों के सवालों से जूझना होता है।
बुधवार को प्रधानमंत्री, परमाणु ऊर्जा, नागर विमानन, कोयला, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी, विदेश, मानव संसाधन विकास, प्रवासी भारतीय कार्य, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, योजना और अंतरिक्ष मंत्रालय को सवालों से दो चार होना पड़ता है।
गुरूवार को रसायन और उर्वरक, कार्पोरेट कार्य, पेयजल और स्वच्छता, पृथ्वी विज्ञाान, भारी उद्योग और लोक उद्यम, विधि और न्याय, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, अल्पसंख्यक कार्य, संसदीय कार्य, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, रेल, ग्रामीण विकास, विज्ञाान और प्रौद्योगिकी, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन और जल संसाधन मंत्रालय को संासदों द्धारा उठाये गए सवालों पर पसीना बहाना पड़ता है।
शुक्रवार को वित्त, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, खान, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा, पंचायती राज, विद्युत, पर्यटन, जनजातीय कार्य, महिला और बाल विकास मंत्रालय की बारी होती है। इस तरह सप्ताह में पांच दिन सांसदों के तीखे सवालों से मंत्रियों को दो चार होना पड़ता है।
सोमवार को वाणिज्य और उद्योग, रक्षा, पर्यावरण और वन, श्रम और रोजगार, सड़क परिवहन और राजमार्ग,पोत परिवहन, सामाजिक न्याय और अधिकारिता, इस्पात, और वस्त्र मंत्रालय को सवालों के जवाब देने होते हैं।
मंगलवार को कृषि, उपभोक्ता मामले खाद्य और सार्वजनिक वितरण, संस्कृति, उत्तर-पूर्व क्षेत्र विकास, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, गृह, आवास और शहरी गरीबी उपशमन, सूचना और प्रसारण, शहरी विकास, युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय को सांसदों के सवालों से जूझना होता है।
बुधवार को प्रधानमंत्री, परमाणु ऊर्जा, नागर विमानन, कोयला, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी, विदेश, मानव संसाधन विकास, प्रवासी भारतीय कार्य, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, योजना और अंतरिक्ष मंत्रालय को सवालों से दो चार होना पड़ता है।
गुरूवार को रसायन और उर्वरक, कार्पोरेट कार्य, पेयजल और स्वच्छता, पृथ्वी विज्ञाान, भारी उद्योग और लोक उद्यम, विधि और न्याय, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, अल्पसंख्यक कार्य, संसदीय कार्य, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, रेल, ग्रामीण विकास, विज्ञाान और प्रौद्योगिकी, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन और जल संसाधन मंत्रालय को संासदों द्धारा उठाये गए सवालों पर पसीना बहाना पड़ता है।
शुक्रवार को वित्त, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, खान, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा, पंचायती राज, विद्युत, पर्यटन, जनजातीय कार्य, महिला और बाल विकास मंत्रालय की बारी होती है। इस तरह सप्ताह में पांच दिन सांसदों के तीखे सवालों से मंत्रियों को दो चार होना पड़ता है।
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