मंगलवार, 20 सितंबर 2011

खनन पर मनन


भारत में पहली खनन नीति 1993 में आई। 1994 में इसमें पुर्नविचार किया गया। इसके दरवाजे निजि निवेश और विदेशी निवेश के लिए खोल दिये गये। पहले ही खनिज सम्बन्धी खान और खनिज विनियमन और विकास अधिनियम 1957 अस्तित्व में आया। इसमें 1972 में पहला संशोधन हुआ। इसके बाद 1986, 1988, 1994 और 1999 में कानून में जरूरी बदलाव हुए। अब सरकार नया एमएमडीआर कानून लाने जा रही है जिसमें मुनाफे का 26 फीसदी हिस्सा उस जगह में रह रहे लोगों के विकास के लिए खर्च करना होगा।

कौन क्या करता है।
जीएसआई क्षेत्रीय ज्ञान सम्बन्धी खनीज पदार्थो की जानकारी उपलब्ध कराता है।
इंडियन ब्यूरो आफ माइन्स निगरानी के साथ साथ खोज सम्बन्धी जानकारी भी उपलब्ध कराता है।


क्या हैं प्रावधान।
सुरक्षा मानकों को ताक में रखना।
पुर्नवास है एक बडी समस्या।
राज्य सरकारों की सुस्ती।
पर्यायवरण प्रदूषण।
सालाना 1800 करोड़ के कोयले के अवैध कारोबार पर अंकुश  लगाना।
हाल ही में सीएसई ने उठाये कई सवाल।
माइन्स में काम करने वालों की संख्या 10 लाख।
ज्यादातर इलाके की आर्थि  स्थिति खराब।
रोजगार के अवसर लगातार घट रहे हैं।

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