बुधवार, 17 जुलाई 2013

मुददों से मुंह चुराती राजनीति

नरेन्द्र मोदी को इसी महिने के अंत तक बीजेपी अपना 2014 का प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर देगी। संघ बीजेपी का चुनावी प्लान तैयार कर चुका है। यानि बीजेपी की चुनावी वैतरणी पार लगाने की जिम्मेदारी नरेन्द्र मोदी के कंधे पर होगी। दिलचस्प बात यह है की 6 करोड़ गुजरातियों की अस्मिता की बात करने वाले मोदी देश कि 1 अरब 21 करोड़ के देश में बीजेपी के लिए कोई चमत्कार कर पाऐंगे? बीजेपी के रणनीतिकार मोदी मैजिक को लगातार हवा दे रहें है। वैसे देखा जाए 2014 का चुनाव सही मायने में देश के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नही होगा। 2004 और 2009 में यूपीए के पक्ष में मतदान करने वाली जनता का इस गठबंधन से मोहभंग हो गया है। ढलान की ओर जा रही अर्थव्यवस्था, सिमटते रोजगार, आसमान छूती महंगाई, भ्रष्टाचार, महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अत्याचार, आतंकवाद और नक्सलवादी घटनाओं में बढ़ोत्तरी और विदेश नीति के स्तर पर कमजोर पड़ती साख ने यूपीए को जनता के बीच नापसंद बना दिया है। 2009 में जिस प्रधानमंत्री की ईमानदारी को लोग ने सराहा वह आज उन्हे अलीबाबा की संज्ञा दे रहें है। 2जी, राष्टमंडल खेल, कोलगेट, रेलगेट वीवीआइपी हेलीकाप्टर डील, मनरेगा, ऋण माफी योजना जैसे घोटालों ने लोगों की नजर में यूपीए सरकार की छवि धूमिल हो गई है। यूपीए की साख को जो बटटा लगा है उसे निकलना मुमकिन नही। लूट की इन खबरों ने उसके पिछले 9 साल के महत्वकांक्षी कार्यक्रमों सूचना का अधिकार, रोजगार का अधिकार शिक्षा का अधिकार और अब भोजन का अधिकार संबंधी कानूनों की हवा निकाल दी। हाल ही में देश के कई जिलों में लागू योजना आपका पैसा आपके हाथ भी सरकार की इस धूमिल छवि को संभाल पाएगी, ऐसा लगता नही है? मगर यूपीए गल्ती से दुबारा सत्ता में आता है तो उसका सारा श्रेय में नरेन्द्र मोदी
को जाएगा। यानि मोदी आज एक ऐसी शख्सियत बन गए है जो देश की राजनीति के केन्द्र में हैं। उनके पिल्ले के मरने में भी दुख होता है संबधी बयान का मतलब जो भी निकाला जाए मगर उनके राजनीतिक विरोधी इसे मुस्लिम विरोधी बयान ही बतायेंगे बल्कि भुनाऐंगे। ठीक वैसे ही जैसे मोदी के लिए उनका नकारात्मक प्रचार किसी वरदान से कम साबित नही होता। मौत का सौदागर वाले बयान को गुजरात चुनाव में उन्होने किस तरह से भुनाया, यह हर कोई जानता है। इशरत जहां मुठभेड़ मामले में भी बात उनके पक्ष में जाएगी और इस बात का एहसास कांगेस को है। बावजूद उसके वह सब काम कर रही है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ध्रवीकरण केभरोसे है। कांगे्स को लगता है की मोदी मुस्लिमों को उनके पक्ष में लामबंद करने में मदद करेंगे। और धर्मनिरपेक्षता के कार्ड की आड़ में वह यूपीए को फिर केन्दे में ला सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं की 1984 के सिख विरोधी दंगे और  2002 के दंगे इस देश के लिए धब्बा हैं। नरेन्द्र मोदी उस समय मुख्यमंत्री थे और सही मायने में उन्होने राजधर्म का पालन नही किया। न ही इसके लिए उन्होंने कभी माफी मांगी और लगता नही वह कभी मांफी मागेंगे। हिन्दू राष्टवादी कहलाने में अपनी शान समझने वाले नरेन्द्र मोदी क्या नही जानते की क्षमा मांगना और करना हिन्दुओं का गहना है। कोई हिन्दु राष्टवादी इन मूल्यों का महत्व नही समझता और खासकर नरेन्द्र मोदी यह समझ से परे है। और यह देश केवल हिन्दुत्व के नाम पर वोट डाल देगा ऐसा सोचने वाले मतदाताओं को मूर्ख न समझे। इस देश के मतदाता अगर सही में भारत निर्माण का स्व्प्न देखते है तो उन्हे संपूर्ण भारतवर्ष के सर्वसमावेशी विकास की बात करनी होगी। जाति और धर्म के नाम पर इस देश में वोट डालने वाले अपनी और आने वाल पीढ़ी के विनाश का रास्ता तैयार कर रहे हैं। कांग्रेस के कुप्रशासन को गाली देना समस्य का समाधान नहीं?  बीजेपी के पास देश के सामूहिक विकास का क्या रोडमैप
है किसी को नही मालूम। क्या देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने का कोई एजेंडा बीजेपी के पास है? देश की आन्तिरक सुरक्षा से निपटने के लिए बीजेपी क्या करेगी? काला धान कैसे  वापस लाएगी? महंगाई कम कैसे करेगी? देश का साख जो अंतराष्टीय स्तर पर कमजोर हुई है उसे वह दुबारा कैसे लाएगी? इसका रोडमैप नदारद है फिर भी बीजेपी कांग्रेस का विकल्प है? केवल कांग्रेस को कोसने से देश का भला नही हो सकता। या नरेन्द्र मोदी एकमात्र देश की समस्या का समाधान है ऐसा नही कहा जा सकता। जो लोग राम मंदिर के निर्माण की बात करते हैं वह केवल भावनाओं को भड़काने का काम करेंगे? भारत के हित चाहते वाला व्यक्ति
सिर्फ एक संप्रदाय का भला नही सोच सकता। उसके भीतर अगर सर्वे भवन्तु सुखिनः का भाव नही है तो देश के लिए हितकर नही होगा। भारत की असली शक्ति उसका धर्मनिरपेक्ष छवि है और इसको बनाये रखना नितान्त आवश्यक है। मगर इसकी रक्षा न कांग्रेस ने की न ही बीजेपी ने। दोनों ने इस भाव को अपने राजनीति स्वार्थ के चलते रौंद दिया। क्षेत्रिय पार्टिया इस काम में और आगे है उदाहरण कोई हिन्दु का नेता है कोई मुस्लिम का नेता है कोई यादवों का कोई दलितों का मसीहा है कोई कुर्मियों का रखवाला है। इन सब की असलियत यह है की इन सबहों ने अपने राजनीति स्वार्थ के लिए इन भावनात्मक मुददों को हवा दी। इस समुदाय के लिए कुछ नही किया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का यह कहता की देश के संसाधनों में अल्पसंख्यकों का पहला हक है क्या बताता है। मोदी अपने को हिन्दु राष्टवादी होने का खुद सटिफिकेट दे रहें है। कोई जाति सम्मेलन कर रहा है। कोई महादलित प्रेम को दर्शा रहा है लेकिन कोई यह नही कहता दिखाई दे रहा है अखंड भारत समृ़द्व भारत। दुर्भाग्य देश का यह है की मतदाता इसे समझते हुए भी इनके रचे
प्रपंच में फंस जाते है। भारत के नगारिकों को समाज में एक सम्मान की जिन्दगी जीने का मौका कैसे मिलेगा। कौन सा राजनीतिक दल इसे मूर्तरूप दे सकता है। राम मंदिर बनाने से क्या 48 फीसदी कुपोषित बच्चों का भला हो जाएगा? मस्जिद गिराने का क्या हिन्दु खुश होता है? देश के युवाओं को राम मंदिर से
 ज्यादा अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधा, रोजगार, साफ हवा, पानी और सुरक्षा चााहिए। दुर्भाग्य देखे इन मुददों पर कोई चुनाव नही लड़ता चाहता। यह हवा प्रचलित है की यह मुददों चर्चा का विषय हो सकते है मगर वोट पाने के लिए यह विषय बेदम हैं। ऐसी मानसिकता रखने वाले देश का भला नही कर सकते। भारत आज घोर आपदा में घिरा हुआ है। आम आदमी हतप्रभ है यह देखकर की संसाधनों की लूट मची है किसान आदिवासी दलित आत्महत्या कर रहा है मगर राजनीति यह देख नही पर रही। महिलाओं पर अपराध बढ़ते जा रहे है मगर राजनीति इसमा समाधान कानून में खोजती है। युवाओं का धैर्य जवाब दे रहा है मगर राजनीति को यह सब सोशल साइटस का प्रपंच लगता है। देश के शक्ति बोध और सौंदर्य बोध आज खतने में है इसलिए मतदाता भारत के सुनहरे भविष्य की इबारत लिखते वक्त जरूर ध्यान दें की वह किसे और क्यों वोट दे रहें हैं?

1 टिप्पणी:

  1. गजर घास
    खिसयानी बिल्लीअब क्यो! खम्बा नोच रही है
    इस लोकपाल मे! सबकी अपनी सोच रही है
    क्यो! बाप छोड़कर चले गये,ये पछतावा है
    तुम तो बस, चिन्गारी थे अन्ना लावा है

    अह!कार मे! घर से निकलो बदनामी है
    फटी ल!गोटी बडे़ आदमी की दामी है
    आम आदमी बनकर अब तुम खास हो गये
    जिसने छोडा बाप ,सभी उपहास हो गये

    लोकपाल मे! अब क्यो! कमिया! ढू!ढ रहे हो
    इस जनता पर रहम करो क्यो! मू!ड रहे हो
    अच्छी खासी छोड़ चाकरी डाकु पकडे़
    कविराज षिक्षक थे अब सडको पर अकडे़

    कुछ पत्रकार थे सम्मानित थे कुद पडे़थे
    ये राजनीति की लाइन मे! चुपचाप खडे़थे
    क!ही बीजेपी,क!ही का!ग्रेस,क!ही ,कू!आ खायी
    धरी रह गयी च!चल मन की सब चतुरायी

    सरकार बनाने निकले थे ,सरकार बनाओ
    सर आ!खो! पर रखा था अब ठोकर खाओ
    पहले जनमत मा!गा था,अब चिटठी,पत्री
    ये सूनामी है ,काम नही आयेगी छतरी

    जब अन्ना को छोडा था, जनता से पूछा
    जब राजनीति मे! आये,क्या जनता से पूछा
    जब आप पार्टी बने स्वय! ,जनता से पूछा
    जब राश्ट्रपति से मिले थे क्या जनता से पूछा

    का!ग्रेस ,बी. जे. पी. को, क्यो! चिटठी डाली
    क्या जनता से पूछी थी करतूते! काली
    गले मे! हड्डी फ!सी पडी है क्यो! रोते हो
    क्यो! तर्को औेर कूतर्को से गरिमा खोते हो

    नवजात षिषू हो ,घर मे! बैठो निप्पल चूसो
    राजनीति के ग्रास, गले मे! और ना ठूसो
    बची,खुची इज्जत और अपनी लाज बचाओ
    तुम हार गये हो,मौन रहो ,ना झे!प मिटाओ

    बुनियादो! क े बिना भवन खुद गिर जाते है!
    मजबूत जडो! के वृक्ष हमेषा लहराते है!
    अब राजनीति मे! आये ,हो बुनियादे! डालो
    कवि ‘आग’ कहता है,ये विशधर मत पालो!!
    राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा(आग)
    ऋशिकेष
    मो09897399815

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