5 फरवरी से 15 वी लोकसभा का आखिरी सत्र होने जा रहा है। पूरे 15 वी लोकसभा को अगर देखा जाए तो 2जी स्पैकटम, कोयला आवंटन मामला, महंगाई, राष्टमंडल खेल में घपला, आदर्श सोसाइटी घोटाला और वीवीआइपी हेलीकाप्टर डील में कथित अनियमितता को लेकर खासा हंगामा हुआ। खासकर 2जी मामले को लेकर जांच पीएसी से हो या जेपीसी से इसको लेकर कई सत्रों तक संसद नही चल पाई। इस दौरान महंगाई भ्रष्टाचार आंतरिक सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े मामलों में सरकार की खूब किरकिरी हुई। यही कारण रहा है की सरकार इन मुददों में इतना उलझ गई कि निवेश से जुड़े मामलों में फैसला नही कर पाई। नतीजा आर्थिक विकास दर 5 फीसदी से कम रहने की उम्मीद है। चाहे अद्योगिक उत्पादन की बात हो या सेवा क्षेत्र
की हर जगह गिरावट देखने को मिली। हालांकि बात में सरकार ने निवेश के मामलों को देखने के लिए एक कैबीनेट समिति का गठन किया जो अब तक पांच लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश से जुड़े मामलों को हरी झंडी दे चुकी है। सरकार के सामने राजकोषिय घाटे को जीडीपी के 4.8 फीसदी तक रखने की चुनौति है। साथ ही उपभोक्त मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई को 4 फीसदी से कम रखने की है। मगर लगता नही की सरकार यह कर पाएगी। क्योंकि महंगाई रोकने के लिए आरबीआई 2009 से अब तक 18 बार नीतिगत दरों में परिवर्तन कर चुका है। आज रेपो रेट 8 फीसदी है। यानि कर्ज की मांग कम होने के चलते मांग को रफतार नही मिल पा रही है। कच्चे तेल के दाम अब भी अंतराष्टीय बाजार में 100 डालर प्रति बैरल से उपर है। तेल पदार्थों में सब्सिडी 2013 -14 में 1.5 लाख करोड़ के आसपास रहने का अनुमान है। सरकार के लिए राहत की बात यह है कि सीएडी के मामले में उसके लिए थोड़ा राहत है। सोने में शुल्क बढ़ाने से इसके आयात में कमी आई जिससे सरकार अब सीएडी को कम कर पाई है। मगर लम्बे समय के लिए सरकार को कुछ और उपाय करने होंगे। क्योंकि ऐसे कदमों से सोने की कालाबाजारी को बढ़ावा मिलता है। कुल मिलकार एफडीआई से जुड़े मामले, वस्तु और सेवा कर, डारेक्ट टैक्स कोड बिल जैसे बड़े मुददे सरकार के सामने हैं। अब देखना यह होगा की इस आखिरी सत्र में सरकार क्या रास्ता अख्तियार करती है।
की हर जगह गिरावट देखने को मिली। हालांकि बात में सरकार ने निवेश के मामलों को देखने के लिए एक कैबीनेट समिति का गठन किया जो अब तक पांच लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश से जुड़े मामलों को हरी झंडी दे चुकी है। सरकार के सामने राजकोषिय घाटे को जीडीपी के 4.8 फीसदी तक रखने की चुनौति है। साथ ही उपभोक्त मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई को 4 फीसदी से कम रखने की है। मगर लगता नही की सरकार यह कर पाएगी। क्योंकि महंगाई रोकने के लिए आरबीआई 2009 से अब तक 18 बार नीतिगत दरों में परिवर्तन कर चुका है। आज रेपो रेट 8 फीसदी है। यानि कर्ज की मांग कम होने के चलते मांग को रफतार नही मिल पा रही है। कच्चे तेल के दाम अब भी अंतराष्टीय बाजार में 100 डालर प्रति बैरल से उपर है। तेल पदार्थों में सब्सिडी 2013 -14 में 1.5 लाख करोड़ के आसपास रहने का अनुमान है। सरकार के लिए राहत की बात यह है कि सीएडी के मामले में उसके लिए थोड़ा राहत है। सोने में शुल्क बढ़ाने से इसके आयात में कमी आई जिससे सरकार अब सीएडी को कम कर पाई है। मगर लम्बे समय के लिए सरकार को कुछ और उपाय करने होंगे। क्योंकि ऐसे कदमों से सोने की कालाबाजारी को बढ़ावा मिलता है। कुल मिलकार एफडीआई से जुड़े मामले, वस्तु और सेवा कर, डारेक्ट टैक्स कोड बिल जैसे बड़े मुददे सरकार के सामने हैं। अब देखना यह होगा की इस आखिरी सत्र में सरकार क्या रास्ता अख्तियार करती है।
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