कोलकाता में नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि प्रणव मुखर्जी को जानबूझकर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नही बनने दिया। जबकि इंदिरा गांधी की मौत के बाद और 2004 में वह सबसे योग्य उम्मीदवार थे। उन्होने कहा की कांग्रेस किसी भी बड़े नेता को आगे बढ़ने देना नही चाहती जिससे गांधी परिवार को कोई खतरा हो। मगर यह सवाल का जवाब नरेन्द्र मोदी के पास नही है की उनकी महत्वकांक्षा के चलते आडवाणी जी का स्वप्न चकनाचूर हो गया। यहां तक की आडवाणी जी ने खत लिखकर भी सार्वजनिक तौर पर बीजेपी अध्यक्ष की कार्यशैली पर सवाल उठाये। यानि पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता को राजनाथ और मोदी ने संघ के साथ मिलकर अलग थलग कर दिया। कमसे कम कांग्रेस के पास कहने के लिए तो है कि उन्होने प्रणबदा का राष्टपति बना दिया। देश का प्रथम नागरिक। मोदी राजनीति में कुछ करने की बात तो करते हैं मगर उनका एक मात्र लक्ष्य है।प्रधानमंत्री पद येन केन प्रकारेण। इसलिए महिला सुरक्षा के लिए बदनाम पश्चिम बंगाल पर ममता सरकार पर वह मेहरबान रहे। 35 साल तक राज करने वाले वामदलों को खरी खोटी सुनाई मगर ममता को कुछ नही कहा। यानि वह जानते है की दीदी की जरूरत आने वाले दिनों में पड़ सकती है।
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