जी 20 सम्मेलन 18 और 19 तारीक को मक्सीकों के
अन्तर्राष्टीय सहयोग का प्रसिद्ध फोरम
इसके तहत 19 सदस्य देश और यूरोपीय यूनियन है।
90 फीसदी जीडीपी का
80 फीसदी अन्तराष्टीय व्यापार
दो तिहाई विश्व की जनसंख्या इससे स्पष्ट हो जाता है कि इस फोरम की महत्वत्ता क्या है।
बैठक का एजेंडा
वैश्विक अर्थव्यवस्था को किस तरह से सुधारा जाए और आर्थिक वृद्धि दर बढ़ाया जाए।
यूरो कैसे डालेगा विश्व अर्थव्यवस्था को मुश्किल में
विश्व जीडीपी में इन देशें की भागीदारी मतलब ईयू की 26 फीसदी है।
और यूरोजोन की 19.4 फीसदी
ग्लोबल इक्वीटी मार्केट टर्नओवर में 10 फीसदी हिस्सा
ग्लोबल रिजर्व होल्ंिडग में 26 फीसदी हिस्सा।
विकास और रोजगार बढ़ाने पर रहेगा जोर
ग्रोथ कैसे सस्टेन हो।
विश्व के दिग्गजों की मुलाकात एक ऐसे समय में हो रही है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट देखने
को मिल रही है। यूरोजोन और वैश्विक अर्थव्यवस्था के मद्देनजर यह बैठक महत्वपूर्ण होने जा रही है।
मुश्किल में यूरोप
यूरोन डाल रहा है सबकेा मुश्किल में। यूरोप इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था में उसका
अपना बड़ा अंश है। भारत के लिहाज से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत का बड़ा व्यापार और
निवेश का साझीदार है। इसलिए यहां उपजी दिक्कतों के चलते भारत की वृद्धि दर प्रभावित हो रही है।
प्रधानमंत्री ने मैक्सिकों में जाने से पहले क्या कहा
इस फोरम के सामान वैश्विक अर्थव्यवस्था को पटरी में लाने की चनौतियेां से निपटने की रणनीति तैयार करना होगा।
फ्रेमवर्क एक मजबूत टिकाउ और संतुलित विकास के लिए जो रूपरेखा तैयार की जा रही है उसको भारत को चेयर कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका जोर विकास के र्मोचें पर आगे बढ़ने और मांग में बढोत्तरी के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश करने पर
जोर देना होगा।
यूरो क्राइसेस
1999 में यूरो लांच हुआ
ग्रीस आयरलैंड पुर्तगाल स्पेन और हाल में में इटली ।
सोवरेन डैट की रेटिंग डाउनग्रेड कर दी, जिसके चलते डिफाल्टर होने का भय, और कर्ज में भारी बढोत्तरी।
यह क्राइसेस केवल सोवरेन डैट और बैकिंग फाइनेंशियल तक सीमित नही है बल्कि इसकी जड़े कही ंऔर है यानि स्टैक्चलन प्रोबलम से जुड़ा
हुआ मुददा है।
भारत और यूरोप
भारत के निर्यात का हिस्सा 20.2 फीसदी
आयात का हिस्सा 13.3 फीसदी
द्धिपक्षिय व्यापार 2006-10 तक 9.6 फीसदी
एफडीआई की बात करें 3 बिलियन एफडीआई ईयू से आई औश्र .6 बिलियन यहां से गई।
चीन और यूरोप
अमेरिका और यूरोप
अमेरिका के सबसे ज्यादा आर्थिक हित यहां लगें है। अमेरिका के बैंक के 600 बिलियन डालर यहां लगे है।
सबसे बड़ा टेडिंग पाटर्नर और निवेश के लिए मुफीद जगह।
सोवरेन डेट क्या होता है
जब कोई सरकार विदेशी मुद्रा में बांड इश्यू करती है ताकि देश की आर्थिक वृद्धि दर को बनाए रखने के लिए वित्त की व्यवस्था की जा सके।
विकासशीन देशों के सोवरेन डैट को रिस्क्यिर माना जाता है जबकि विकसित देश के डैट को सेफ।
सरकार की स्थिरत इस में बहुत बढ़ा रोल अदा करती है।
सोवरेट के्रडिंट ऐजेंसी के माध्यम से आप इसकी स्थिति का पता लगा सकते है।
आरबीई की तिमाहिक मौद्रिक नीति
ब्याज़ दरों में कोई बदलाव नही। निराशा खासकर वर्तमान माहौल में।
रेट ने घटाने के पीछे क्या कारण है। महंगाई
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