सुषमा स्वराज ने ललित मोदी की मदद क्यों की। मानवीय आधार पर या किसी और आधार पर। बस यही सवाल हर कोई पूछ रहा है। सुषमा स्वाराज का कहना है कि कैंसर पीड़ित पत्नी के कैंसेंट पेपर साइन करने के लिए टैवल वीजा डाक्यूमेंट दिलाने में मदद की। मगर जब बात उनके पति और बेटी की आती है तो मामले उतना सीधा नहीं लगता जितने सामान्य तरीके से सुषमा स्वराज बता रहीं हैं। क्योंकि ललित मोदी पर गंभीर आरोप है और ईडी उन्हें तलाश रहा है। इस बात की जानकारी होने के बावजूद सुषमा ने मोदी की मदद की कांग्रेस अगर आज हमलावर है तो बीजेपी को भी उन दिनों की याद करनी चाहिए जब रेलमंत्री बंसल और कानून मंत्री अश्विनी कुमार के इस्तीफे को लेकर बीजेपी ने सड़क से संसद तक कोहराम मचा दिया। बीजेपी अध्यक्ष का ये कहना कि क्वात्रोक्कि और एंडरसन मललब बोफोर्स और भोपाल गैस कांड के आरोपियों को कांग्रेसियों ने भगाया। इस तर्क के आधार पर कल कोई यह कहने लगे की कांग्रेस की सरकार ने लाखों करोड़ों के घोटाले किये और हमने हजारों में कर लिये तो क्या गलत। दरअसल इस समस्या की जड़ में है मंत्रियों के पास मौजूद
विशेषाधिकार जो गाहे बगाहे वो अपने परिजनों और रिश्तेदारों को मदद करने के लिए इस्तेमाल में लाते हैं। प्रणव मुखर्जी के नेतृत्व वाली समिति ने इनको खत्म करने की सिफारिश की थी। यूपीए इसपर फैसला नही कर पाई। क्या मोदी इस पर गौर करेंगे? दूसरा ये पूरी कहानी बीजेपी के अंदरूनी झगड़े की भी है। मसलन कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान एक मंत्री मीडिया के जरिये दूसरे मंत्री को नीचा दिखाने में लगे रहते थे। इस पुरानी बीमारी के शिकार मोदी के मंत्री भी हैं। बहरहाल असली सच देश के सामने आना चाहिए। आप भी अपनी राय साझा करें।
विशेषाधिकार जो गाहे बगाहे वो अपने परिजनों और रिश्तेदारों को मदद करने के लिए इस्तेमाल में लाते हैं। प्रणव मुखर्जी के नेतृत्व वाली समिति ने इनको खत्म करने की सिफारिश की थी। यूपीए इसपर फैसला नही कर पाई। क्या मोदी इस पर गौर करेंगे? दूसरा ये पूरी कहानी बीजेपी के अंदरूनी झगड़े की भी है। मसलन कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान एक मंत्री मीडिया के जरिये दूसरे मंत्री को नीचा दिखाने में लगे रहते थे। इस पुरानी बीमारी के शिकार मोदी के मंत्री भी हैं। बहरहाल असली सच देश के सामने आना चाहिए। आप भी अपनी राय साझा करें।
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