सोमवार, 19 जुलाई 2010
राजनीतिक सुधार जरूरी
कर्नाटक में अवैध खनन से जुडे मामलों में रेडडी बंधुओं पर लगे अरोपों को बीजेपी ने दरकिनार जरूर कर दिया है। मगर राजनीति में धनबल के बड़ते दवाबों ने राजनीतिक सुधार की बहस जरूर गर्मा दी है। इसमें कोई दो राय नही कि ब्रहमा भी जमीन में आकर बीजेपी को कह दें की अवैध खनन में रेडडी बंधुओं न सिर्फ जुडे है बल्कि इतना बडा सामराज्य उन्होंने इसी के बल पर खडा कर रखा है।उनके बचाव में बकायदा मुख्यमन्त्री बीएस येदयुरप्पा सामने आ गयें है जिन्होनें कुछ महिने पहले रेडडी बन्धुओं पर अरोप लगाया था की वो सरकार की स्थिरता के लिए खतरा है। केवल कर्नाटक में ही क्यों उत्तराखण्ड में ऋशिकेश में जमीन आवंटन और पनबिजली परियोजनाओं में अनियमिताओं के आरोप लगे। यह आरोप किसी और पर नही खुद मुख्यमन्त्री रमेश पोखरयाल निशंक पर लगे। कुंभ के दौरान किए गए निर्माण कार्यो में ज्यादातर की गुणवत्ता खराब पाई गई। उपर से अब बिहार में नीतिश कुमार को भी कैग की एक रिपोर्ट ने कटघरे में खडा कर दिया है। इधर राजनीति में अपराधियों की घुसपैठ कितनी तेजी से बडी है उत्तरप्रदेश इसका जीता जागत प्रमाण है। माया सरकार के एक मन्त्री को बम से उड़ाने की कोिशश क्या दिखाता है। जिस तरह मायावती ने संवाददाता सम्मेलन में इसके तार समाजवादी के एक विधायक से जुडे होने का आरोप लगाया क्या वह काफी नही है यह बताने के लिए की राजनीति आज अपराधियों के लिए सुरक्षित पनाहागाह बना गई है। ऐसा नही की यह मामला केवल एक राजनीतिक दल से जुडा है। आज कोई भी राजनीतिक दल इससे अछूता नही है। अपराधी राजनीतिक संरक्षण के तहत कानून से बेखौफ दनदनाते फिर रहे है। कानून के रखवाले सबकुछ जानते हुए भी अपने को अहसाय महसूस करते है। कुछ महिनों पहले गृहमन्त्री पी चिदंबरम ने राज्यों के पुलिस निरिक्षकों के सम्मेलन में कहा था कि पुलिस अधिकारियों को राज्यों ने फुटबाल बना दिया है। यानि जब जिसका मन आये किसी का भी तबादला कर दो। आज देश को जरूरत है इन सुधारों के प्रति गंभरता से आगे बडने की। वरना कानून तोडने वालों को कानून बनाने वाली पंचायत में आने से कोई नही रोक पायेगा।
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