देश भर में सडक हादसों से जुडे मामलों में भारत की स्थिति खासा खराब है। साल 2004 में 92618 लेाग सडक हादसो में मारे गये। विश्व स्वास्थ संगठन के मुताबिक 2002 में ये आंकड़ा 84674 था। यानि दो सालों में सडक में मौत का तांडव कम होने के बजाय ज्यादा हुआ। 2009 में यह आंकड़ा 1 लाख 25000 के आसपास तक पहुंच गया। योजना आयोग की रिपोर्ट 2002 की रिपोट के मुताबिक भारत का 55000 करेाड रूपये सलाना इन दुर्गघटनाओं की भेंट चढ जाता है। यानि जीडीपी की तीन फीसदी का सलाना नुकसान सड़क हादसों के चलते हमें झेलना पड़ता है। इन सब के लिए जिम्मेदार जो भी हो लेकिन जानमाल के नुकसान के साथ साथ आर्थिक नुकसान किसी भी उभरती हुई अर्थव्यवस्था की सेहत के लिए ठीक नही। इन आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि हालात को सुधारने के लिए ठोस रणनीति बनाने की जरूरत है। इसके लिए सुन्दर समिति का गठन किया गया था जिसकी सिफारिश सरकार के पास मौजूद है। इसमें कानून का बेहतर कार्यान्वयन, सड़कों के बेहतर डिजाइन, डाइवरों की प्रशिक्षण, शराब पीकर गाड़ी चलाने पर सख्त कार्यवाही आदि हैं। इसके अलावा लोगों को भी इस कार्य में बड़चड़कर हिस्सा लेना होगा। ज्यादातर मामलें सावधानी हटने से होती है। लिहाजा हादसों को रोकने की जिम्मेदारी हमसबपर होती है।
मंगलवार, 20 सितंबर 2011
बड़ते सड़क हादसे
देश भर में सडक हादसों से जुडे मामलों में भारत की स्थिति खासा खराब है। साल 2004 में 92618 लेाग सडक हादसो में मारे गये। विश्व स्वास्थ संगठन के मुताबिक 2002 में ये आंकड़ा 84674 था। यानि दो सालों में सडक में मौत का तांडव कम होने के बजाय ज्यादा हुआ। 2009 में यह आंकड़ा 1 लाख 25000 के आसपास तक पहुंच गया। योजना आयोग की रिपोर्ट 2002 की रिपोट के मुताबिक भारत का 55000 करेाड रूपये सलाना इन दुर्गघटनाओं की भेंट चढ जाता है। यानि जीडीपी की तीन फीसदी का सलाना नुकसान सड़क हादसों के चलते हमें झेलना पड़ता है। इन सब के लिए जिम्मेदार जो भी हो लेकिन जानमाल के नुकसान के साथ साथ आर्थिक नुकसान किसी भी उभरती हुई अर्थव्यवस्था की सेहत के लिए ठीक नही। इन आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि हालात को सुधारने के लिए ठोस रणनीति बनाने की जरूरत है। इसके लिए सुन्दर समिति का गठन किया गया था जिसकी सिफारिश सरकार के पास मौजूद है। इसमें कानून का बेहतर कार्यान्वयन, सड़कों के बेहतर डिजाइन, डाइवरों की प्रशिक्षण, शराब पीकर गाड़ी चलाने पर सख्त कार्यवाही आदि हैं। इसके अलावा लोगों को भी इस कार्य में बड़चड़कर हिस्सा लेना होगा। ज्यादातर मामलें सावधानी हटने से होती है। लिहाजा हादसों को रोकने की जिम्मेदारी हमसबपर होती है।
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