केन्द्र सरकार खाघान्न की खरीद भंडारण और राज्यों और संध के नामित डिपुओं तक इनकी ढुलाई तथा आकस्मिक लागतों पर होने वाले खर्च को वहन करती है। जबकि डीलरों के कमीशन नामित डिपुओं से आवंटित खाद्यान्नों की ढुलाई और राज्यों के अंदर इनके वितरण पर होने वाला खर्च राज्यों संघ राज्य क्षेत्रों द्धारा वहन किया जाता है। डीलरों का कमीशन और ढुलाई प्रभारों आदि को ध्यान में रखकर राज्यों को अंतिम खुदरा मूल्य निर्धारित करने की छूट दी गयी है। एक अनुमान के मुताबिक प्रस्तावित राष्ट्रीय खाघ सुरक्षा कानून के अधिन प्राथमिकता वाले परिवारों के लिए 41.1 मिलियन टन खाद्यान्नों की आवश्यकता होगी जबकि गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के लिए मौजूदा आवंटन 27.7 मिलियन टन है। इसलिए इस कानून के तहत गरीबों के लिए अतिरिक्त 13.4 मिलियन टन अतिरिक्त खाघान्न की जरूरत होगी।
जून माह में 20 राज्यों में 15 किलोग्राम प्रति परिवार को दिया जा रहा है जबकि उत्तराखंड और हिमांचल प्रदेश में 35 किलोग्राम प्रति परिवार प्रति कार्ड दिया जा रहा है।
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