सोमनाथ भारती। मालवीय नगर से आप के विधायक और केजरीवाल मंत्रीमंडल में कानून मंत्री। जब से मंत्रालय संभाला है, खूब सुर्खिया बटोर रहें हैं। पहले जजों की बैठक बुलाने की जिद, फिर सीबीआई की विशेष अदालत की भारती पर प्रतिकूल टिप्पणी, आधी रात को खिड़की एक्सटेंशन पर रेड करना, यूगांडा की महिलाओं का उनपर आरोप, अरूण जेठली और हरीश साल्वे के खिलाफ अभद्र टिप्पणी। इस सब से उपर दानिश महिला जिसका गैंगरेप हुआ उसके पहचान सार्वजनिक करना। यह सारे कांड कानून मंत्री सोमनाथ भारती की देन है। मगर केजरीवाल जो हर बात पर इस्तीफा मांगने और सड़क पर उतरने के लिए जाने जाते हैं आज चुपचाप है। आज ने वो किसी को नैतीकता की दुहाई दे रहें है न ही उनको सोमनाथ भारतीय में कुछ गलत नजर आता है। यह तो ठीक वही बात हुई जैसे कांग्रेस रेलमंत्री पवन कुमार बंसल और कानून मंत्री अश्विनी कुमार को बचाने में लगी रही, या बीजेपी येदयुरप्पा के बचाने में जुटी रही वही काम आज केजरीवाल कर रहें हैं। जनता के लिए इन तीनों पार्टियों में अंतर करना मुश्किल पड़ रहा हैं। दूसरी तरफ कानून मंत्री का आधी रात के रेड करना किसी के समझ में नही आ रहा है। क्योंकि कानून मंत्री किस कानून के तहत आधी रात को रेड डालने गए किसी को नही मालूम? सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद किसी महिला को गिरफतार नही किया जा सकता। इससे भी ज्यादा उस रात कोई महिला पुलिसकर्मी वहां मौजूद नही थी। हमारे देश में देवयानी खोबरागडे से अमेरिका में हुए व्यवहार के लेकर जबरदस्त आक्रोश देखा गया, दोनों सरकारों के रिश्तों में तक तल्खी आ गई। क्या युगांडा की महिलाओं ने जो आरोप लगाए हैं वह गंभीर नही। जरा सोचिए यही व्यवहार किसी अमेरिकी या बितानी महिला से हुआ होता तो क्या होता। उससे भी ज्यादा को अपनी भाष में नियंत्रण लाना होगा। उन्हें ध्यान रखना होगा की अब हव एक आंदोलकारी नहीं बल्कि दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। आम आदमी पार्टी रायशुमारी के लिए विख्यात है। इसलिए उसेदिल्ली में अपने कानून मंत्री के लिए रायशुमारी करा लेनी चाहिए। क्या सोमनाथ भारती को इस्तीफा देना चाहिए या केजरीवाल को उन्हें हटा देना चाहिए!
मुहे लगता है सोमनाथ भारतीय को अभी एक दो मौके देने चाहिए, क्योंकि राजनीति और मंत्री पद पर पहली बार प्रवेश किया है, और नये नये आए है, राजनीतिक समझ अभी थोड़ी कम होना लाजमी है, लेकिन जनता की सेवा करने के मुद्दे पर थोड़ा जायादा बह गये, अगर खिड़की गाँव के लोगों की जाने तो मामला इतना गंभीर नही था जितना विरोधी दलों ने बनाया .........इसी तरह सागरपुर का मामला था, जब ये कांड हुआ था तब में उस घटना स्थल पर ही था, लेकिन मीडिया की खबरें और घटना स्थल का कांड कतई एक दूसरे से मेल नही ख़ाता, पुलिस का रवैया तो कुछ और ही था, घटना स्थल पर सैकड़ो लोगो की भीड़ थी, .........लिखना बहुत कुछ चाहता हू पर समय का आभाव है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
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