सोमवार, 22 नवंबर 2010

कितनी बदली दिल्ली

एक बड़ा आयोजन किसी शहर की दशा और दिशा बदल सकता है। जब में कामनवेल्थ गेम्स के आयोजन के बारे में सोचना हूं तो कई बातें जेहन में उभरने लगती है। मीडिया में भ्रष्टाचार की खबरें। खेलों के आयोजन को लेकर पसोपेश। इन सबके बीच मेडल के लिए इन्तजार में खेलों का आयोजन भव्य हुआ मगर इसके बाद उन लोगों के खिलाफ अभियान छेड़ने की जरूरत थी जिसने देश की जनता के खून पसीने की गाड़ी कमाई पर अपने हाथ साफ किए।
जबरदस्त आगाज
सात साल का लम्बा इन्तजार, कई उतार चढ़ाव अलोचनाओं और आशंकाओं के बीच शुरू हुआ राष्टमण्डल खेल।दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में हुए 19वें राष्ट्रमण्डल खेलों के उदघाटन समारोह ने ऐसा समां बांधा ही हर कोई मन्त्रमुग्ध हो गया। पूरा स्टेडियम दूधिया रोशनी से नहाया था। नेहरू स्टेडियम 1982 एशियाड के बाद दूसरे मेगा इवेंट के उद्घाटन का गवाह बना। 71 देशों के खिलाड़ियों ने अलग अलग पहनावे से पूरे माहौल को रंगीन कर दिया। भारत की विविधता और सांस्कृतिक छठा का यहां अद्भुत नजारा देखने को मिला। ढोलों की थाप ने ऐसा सुर बिखेरा की हर कोई छूमने को मजबूर हो गया। भव्य समारोह की शुरूआत भारतीय परंपरा के अनुसार स्वागत गीत से हुई जिसे मशहूर गायक हरिहरन ने गाया। क्लासिकल डांस, ढोल और सितार जैसे परंपरागत वादय यन्त्रों ने सबका ध्यान खिंचा। सबसे ज्यादा दर्शकों के लिए आनन्द का पल बना आस्कर विजेता एआर रहमान का राष्ट्रमण्डल के लिए बनाया गया थीम सांग। इस समारोह में कई अदभुत नजारे देखने को मिले। उदघाटन समारोह में पहले सवालों से घिरा एरोस्टेट पैसा वसूल साबित हुआ। इसका नजारा इतना भव्य था कि सांस्कृति कार्यक्रमों के दौरान लोगों को समझ में नही आ रहा था कि एक साथा क्या क्या देंखे। एरोस्टेट से ही लटकती मटकती कठपुतलियों ने सबका दिल जीत लिया। छोटी कठपुतलियों तो आप और हम सभी ने देखी होंगी लेकिन राजा रजवाड़ों की पोशाक में सजी कई फुट उंंची कठपुतलियों ने समंा बांध दिया। इतना ही नही सूर्यनमस्कार समेत योग की कई मुद्राए दिखाई गई। मानव शरीर के सात चक्रों को जिसे खूबसूरती से दिखाया गया वह अद्भुत था। सेण्ड आर्ट के कलाकारों ने महात्मा गांधी की डाण्डी यात्रा को रेत पर उकेरकर सबको दातों तले अंगुली दबाने पर मजबूर कर दिया। अमिताभ, शाहररूख और आमिर के पोस्टर से सजी ट्रेन जब छुक छुक करती हुई ग्राउण्ड में आई तो दर्शक खुशी से झूम उठे। खास बात यह थी कि इसमें पूजा करते साधु भी दिखायी दिए तो हाथ जोड़कर वोट मांगते नेता भी। इस कार्यक्रम ने दुनिया को दिखा दिया कि भारत विश्व में वाकई अतुल्य है।
विश्वस्तरीय सुविधाऐं
खेलों के लिए इस बार बुनियादी सुविधाओं को खास तवज्जों दी गई है। 17 खेलों के आयोजनों के लिए 10 स्टेडियमों निर्माण किया गया है। यह सभी स्टेडियम विश्वस्तरीय सुविधाओ से लैस बनाया गया है। व्यस्त सड़कों में यातायात व्यवस्था के सफल संचालन के लिए दर्जनों फलाइओवर बनाये गए है। दिल्ली में बने  फुट ओवर ब्रिजों ने लोग के लिए के लिए सड़क पर करना आसान कर दिया है। पहले इन सड़को को पार करने में न सिर्फ समय बबाZद होता था। बल्कि जान जोखिम में डालनी पड़ती थी । इनमें खास बात यह है कि  इसमें एस्कलेटर के साथ साथ  लिफ्ट की भी सुविधा मुहैया कराई गई है। सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने की दिशा की ओर कदम बड़ाते हुए कई लो फलोर बसें सडकों पर उतारी गई है। मेट्रो आज दिल्ली का परिवहन व्यवस्था की लाइफ लाइन बन चुकी है। न सिर्फ दिल्ली तक बल्कि एनसीआर इलाके तक भी मेट्रो का जाल बिछाया जा चुका है।  खेलों की तैयारी के साथ साथ पर्यायवरण संरक्षण एक बडी चुनौति था।
पर्यायवरण को प्राथमिकता
विभिन्न निमार्ण कार्यो के दौरान इस बात का खास ख्याल रखा गया कि दिल्ली को हरा भरा बनाने मे कोई कोर कसर बाकी न रह जाये। डिपार्टमेंट आफ फोरेस्ट एण्ड वाइल्ड लाइफ ने 17 ग्रीन एजेंसियों के साथ मिलकर 12.06 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। साथ की ग्रीन दिल्ली कैम्पेन के चलते दिल्ली में हरियाली बड़े पैमोने में बड़ी है। मगर पार्ययवरण विद मानते है कि असली चुनौति इन खेलों के बाद शुरू होगी। यानि पेड़ को बचाये रखना अब सबसे बड़ी जिम्मेदारी होगी।
दिल्ली हुई किले में तब्दील
खेलों के मददेनज़र दिल्ली के किले में तब्दील किया गया है। जहां नज़र दौड़ती है हर तरफ सुरक्षा कर्मी मुस्तैद दिखाई देंगे। सुरक्षा में 1 लाख से ज्यादा अद्धसैनिक बल और दिल्ली पुलिस के जवान मौजूद है। सुरक्षा एजेंसियों ने हर स्थिति से निपटने के लिए पुख्ता इन्तजाम किए है। सुरक्षा बल स्टेडियमें में अत्याधुनिक हथियार और उपकरणों के साथ तैनात किए गए है। खिलाडियों की आवाजाही के लिए एक एक डैडीकेटेड लेन रिसर्च की गई है। विशेष सुरक्षा दस्ते की देखरेख में  खिलाडियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा रहा है। जगह जगह तलाशी अभियान भी चलाया गया है। दिल्ली पुलिस का भी मानना है कि सुरक्षा के इन्तजाम बेहतर है।
क्या सीखा हमने
 यह आयोजन भारत के लिए बडे गौरव का विषय था। मगर इसने हमें एक सीख भी दी कि भारत में लालच इतना बड़ चुका है कि किसी भी व्यक्ति के लिए पैसे से बड़कर कुछ नही। आज जरूरत है ऐसे लोगों के जेल भेजने की। ताकि फिर कोई व्यक्ति ऐसे कर्म करने से पहले सौ बार सोचे।

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