बुधवार, 21 मार्च 2012

अवसंरचना का बजटनामा


प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहाकार परिषद ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अवसंरचना में विकास का अभाव भारत की 9 फीसदी विकासदर को पाने के रास्ते में सबसे बड़ रोड़ा है। अवसंरचना के लिए भारी भरकम धन की जरूरत होती है। भारत सरकार 12वीं पंचवर्षिय में 50 लाख करोड़ खर्च करेगी। इस धनराशी का 50 फीसदी निजि क्षेत्र से आऐगा। 11 वीं पंचर्षिय योजना के मुकाबले यह रकम दुगनी है।इंडिया इंन्फ्रास्टकचर फाइनेन्स कंपनी लिमिटेड जिसकी स्थापना अवसंरचना से जुड़े कार्याे को फंड करने के लिए हुई है कि नियमों में
ठील दी गई है। नए नियम के मुताबिक बीडिंग से पहले कर्ज की सिद्धान्तिक मंजूरी ली जा सकती है। पिछले कई महिनों से कोयले की की के चलते बिजली के उत्पादन में दिक्कतें आ रही थी। इस बजट में कहा गया है की कोल इंडिया लिमिटेड को पावर प्लांटों के साथ समझौता हस्ताक्षर करना होगा। बशर्ते इन पावर प्लांटों को डिस्काम के साथ एक दीर्घकालिक पावर खरीद समझौता करना पड़ेगा जो 31 मार्च 2015 को चालू हो जाएगा। साथ ही पावर प्रोजक्ट को फाइनेन्स करने के लिए इीसीबी के रूट को खोला गया है। सड़कों को बनाने के लक्ष्य में बढोत्तरी की गई है। 2011-12 में 7300 के मुकाबले 8800 किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य रखा गया है। 2010-11 में 5082 किलोमीटर सड़कें का निर्माण किया गया था। इसके लिए 25360 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। नागर विमानन क्षेत्रकी अगर बात की जाए तो इंडियन कैरियर सीधे एटीएफ का आयात कर सकते हैं। कार्यशील पूंजी की जरूरतों की पूर्ति के लिए नागरविमानन उद्योग इसीबी के जरिये नकदी की जरूरत को पूरा कर सकता है मगर यह राशि एक बिलियन से कम नही होनी चाहिए। 49 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को हरि झंडी देने पर सरकार विचार कर रही है। 2011-12 में सरकार ने 30 हजार करोड़ रूपये के टैक्स फ्री बांड की घोषण की थी। इस बार इसे बढ़ाकर 60 हजार करोड़ रूपये कर दिया गया है। एनएचएआइ को 10 हजार करोड़, भारतीय रेलवे वित्त संस्थान को 10 हजार करोड़ आइआइएफसिएल को 10 हजार करोड़ हुडको को 5000 करोड़, नेशनल हाउसिंक बैंक, सीडबी को 5000 करोड़, पोर्ट को 5000 करोड और उर्जा क्षेत्र 10 हजार करोड़ रूपये बाजार से टैक्स फ्री बांड के जरिये ले सकता है।

सोमवार, 19 मार्च 2012

किसान का बजटनामा


2012-13 के बजट में किसान को क्या मिला। इस वित्तिय वर्ष में कृषि के बजट में 18 फीसदी की बढोत्तरी की गई। पिछले वर्ष कृषि से जुड़े बजट के लिए 20 पैराग्राफ बजट में देखने को मिले। इस बजट में इनकी संख्या 15 है। कुलआयोजना व्यय 20208 करोड़ रूपये है जो 2011-12 में 17123 करोड़ रूपये था। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना को 7860 करोड़ के मुकाबले 9217 करोड़ दिए गए है। पूर्वी राज्यों में हरित क्रांति लाने का सपना सच होता दिखाई दे रहा है। खरीफ वर्ष 2011 में धान के उत्पाद में 70 लाख टन का ज्यादा उत्पादन देखने को मिला है। इसी से उत्साहित होकर वित्तमंत्री ने योजना का आवंटन 400 करोड़ से बढ़ाकर 1000 करोड़ कर दिया है। कृषि ऋण की लक्ष्य 1 लाख करोड़ बढ़ाकर 57500000 करोड़ कर दिया गया है। समय से लोन अदायगी करने वाले किसानों को 3 फीसदी ऋण में छूट जारी रहेगी। इसका दायरा भी बढा़ दिया गया है। उपज के बाद हारवेस्ट के लिए भी किसान 6 माह का कर्ज ले सकते  है। बस इसके लिए उन्हें अपना उत्पाद वेयरहाउसों में रखना होगा। इस कर्ज की समय से अदायगी में भी 3 फीसदी की राहत दी जाएगी। क्षेत्रीयग्रामीण बैंकों की वित्तिय सेहत सुधारने के लिए नाबार्ड को 10000 करोड़ रूपये का प्रस्ताव किया गया है। इस बजट में कृषि अनुसंधान के लिए 200 करोड़ रूपये जारी किए गए है। सिंचाई से जुडी येाजना एआबीपी को 14242 करोड़ रूपये दिए है। यह पिछले के मुकाबले 12 फीसदी ज्यादा है। लघु सिंचाई ठेका खेती जल प्रबंधन और स्वच्छता के लिए धन की व्यवस्था करने के लिए सिंचाई एवं जल प्रबंधन वित्त कंपनी 2012 से काम करना शुरू कर चुकी है। इस बजट में प्रोसेसिंग क्षेत्र में प्रगती लाने के लिए एक राष्ट्रीय मिशन की शुरूआत की बात कही है। यह क्षेत्र 8 फीसदी के दर से विकास कर रहा है। बाजरा और चारा उगाने से जुड़े कार्यक्रम को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में शामिल किया गया है। इसके अलावा 2011-12 में शुरू की गई योजनाओं का बजट बढ़ाया गया है। भंडारण के लिए भी इस बजट में कई बातें शामिल है। 2 मिलियन टन आधुनिक साइलोस से जुड़े गोदाम में काम शुरू हो गया है। 15 मिलियन टन में कामनिजि एन्तरोपेनियौर गारंटी स्कीम के तहत चल रहा है जिसमें 3 मिलियन टन भंडारण क्षमता पूरी कर ली गई है।

रविवार, 18 मार्च 2012

बजटनामा 2012-13


हर साल देश की अवाम को बजट का इंतजार होता है। सरकार की कमाई और खर्च का यह दस्तावेज देश के विकास में अहम साबित होता है। आम आदमी से लेकर उद्योगपति, किसान से लेकर मजदूर सब कुछ न कुछ सरकार से आस लगाए बैठी होती है। आम बजट से पहले सरकार राष्टपति अभिभाषण के माध्यम से बीते साल भविष्य की नीतियों का खाका खिंचती है। इस बार सरकार ने अपनी पांच प्राथमिकताऐं गिनाई हैं।
आजीविका सुरक्षा
आर्थिक सुरक्षा
उर्जा सुरक्षा
पर्यावरण सुरक्षा
आन्तिरक सुरक्षा
भविष्य में सरकार के लिए विकास की यह पांच आधारशिला होगी। इसके बाद रेल बजट में रेल मंत्री ने 9 सालों में हिम्मत दिखाकररेल भाड़ा बढ़ाया। जनरल क्लास में 2 पैसे प्रति किलोमीटर, एसी तीन में 10 पैसे, ऐसी 2 में 15 पैसे और एसी फस्ट में 30 पैसे प्रति किलोमीटर बढ़ाया। हो सकता है राजनीति में मोहफांस में रेल मंत्री सामान्य श्रेणी में बढ़े किराये को वापस ले ले। इसके बाद बारी होती है आर्थिक समीक्षा सदन के पटल में पेश करने की। इसमें देश की न सिर्फ आर्थिक सेहत की तस्वीर पेश की जाती है बल्कि समाधन का रास्ता भी सुझाया जाता है। आखिर में पेश होता है आम बजट। इसमें इस साल जीडीपी 6.9 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है।  

रविवार, 4 मार्च 2012

यूपी का महासंग्राम


उत्तरप्रदेश के महासंग्राम के नतीजे चाहे जो भी हों सबसे बड़ी मुश्किल मायावती के लिए होगी। अपने विधायकों को समेटे रखना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौति होगी। क्योंकि सत्ता के इस खेल में माया पहले भी ऐसा झटका खा चुकीं हैं। लगभग यूपी की तस्वीर साफ है। सपा नम्बर एक पर सबसे बड़े दल के तौर पर उभर रही है। बसपा दूसरे नम्बर जबकि बीजेपी  तीसरे नंबर और कांग्रेस आरएलडी का गठबंधन चैथे नम्बर पर रहेगा। कांग्रेस बसपा और सपा दोनों को समर्थन न देने का ऐलान कर चुकी है। जबकि कुछ ऐसा ही हाल बीजेपी का भी है। किसी एक दल को बहुमत न मिलने पर खिचड़ी सरकार कैसी होगी यह कोई नही जानता। कांग्रेस और बीजेपी मिषन 2014 पर नजरें जमाऐं हुए है। इस चुनाव में अगर दलित बसपा से झटका तो बसपा के कई सासंद 2014 से पहले दूसरे दलों का हाथ थाम लेंगे। इसके लिए कई सांसदों ने बकायदा बातचीत भी षुरू कर दी है। उसके विधायकों का टूटने का खतरा लगातार बना रहेगा। आखिर क्या वजह की की मुलायम के गंुडाराज और मायावती का भ्रष्टाचार देखने के बाद भी उत्तरप्रदेश की जनता कांग्रेस और बीजेपी पर विश्वास नही कर पा रहें है। राहुल गांधी ने जिस तरह उत्तरप्रदेश में पार्टी में एक नई जान फुंकी मगर दूसरे नेता उस उत्साह को बरकरार नही कर परए । मुलायम का माई समीकरण इस बार काम कर गया है मगर सरकार बनाऐंगे इसका इंतजार करना होगा। मायावती दलित ब्राहमण और कुछ हद तक मुस्लिम का वोट मिला है। बीजेपी को अपर कास्ट के साथ भारी मात्रा में ओबीसी वोट पड़ा है। जबकि कांग्रेस को हर तबके का थोडा थोड़ा़ वोट मिलने की संभावना है। कांग्रेस का हालांकि अभी बहुत कुछ मिलता नही नजर आ रहा है मगर उसे आगे इसका फायदा जरूर मिलेगा।