रेलवे ने 10वीं योजना में कुल 84 हजार करोड़ रूपये खर्च किए थे। जबकि ग्यारहवी पंचवर्षिय योजना में 2 लाख 51 हजार रूपये खर्च करने का कार्ययोजना थी। इसके लिए रेल संशोधन विधेयक 2008 में पारित हो चुका है। एनएचएआई की तर्ज पर यह विधेयक के सहारे रेलवे जरूरत के हिसाब से जमीन का अधिग्रहण कर सकता है। आज रेलों में ग्लोबल पोजिश्निंग सिस्टम के साथ ही इलेक्ट्रानिक डिस्पले बोर्ड लगाने की बात कही जा रही है जबकि उसकी बजट होटल परियोजना खटाई में पड़ गई है।
पब्लिक एकांट कमिटि की रिपेार्ट के मुताबिक रेलवे की नई रेल लाइन परियोजना को पूरा होने में लगभग 38 साल लगेंगे जबकि गेज कनवर्जन के लिए 15 साल का समय चाहिए।
रेलवे सुरक्षा
बीते 10 सालों में तकरीबन 2000 घटनाओं में डेढ हजार से ज्यादा लोग मारे गए। इनमें 44 फीसदी हादसे मानवीय भूल का कारण हुए हैं। रेलव में आज सुरक्षा के लिहाज से 76000 जगह रिक्त पड़ी हैं। साथी ही 13000 से ज्यादा भर्ती लोकोमोटिव पायलट की करनी हैं। बहरहाल 2003 में रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए 17000 करोड़ रूपये की एक नीधि बनाई गई थी। मगर आज रेलवे के पास धन का भारी टोटा है। विज़न 2020 में रेल हादसों को जीरो टोलरेन्स की बात करने वाले रेलवे ने रेल सुरक्षा के लिए बनाई गई खन्ना समिति की ज्यादातर सिफारिशें स्वीकार तो की मगर धन की कमीं के चलते उसे लागू नही कर पाया।
पब्लिक प्राईवेट पाटर्नशिप
रेलवे की लगभग 43 हजार हेक्टेयर खाली पड़ी जमीन का व्यवसायिक इस्तेमाल करने की प्लानिंग चल रही है। इसके अलावा मुसाफिरों की बेहतर सुविधा, फे्रट टर्मिनल, लोजिस्टिक पार्क और बजट होटल इत्यादी की बात कही जा रही है। यूं तो रेलवे में नई रेल लाइन योजनाओं में रूटों के विद्युतिकरण और गेज परिवर्तन के क्षेत्र में अच्छी प्रगति हुई है। मगर अभी रेलवे को एक लम्बा सफर कम करना है। लगभग 2 करोड़ यात्री रोजाना रेल से सफर करता है। लिहाजा उसकी सुरक्षा से समझौता नही किया जा सकता। आज रेलवे का मुनाफा तो बड़ रहा है मगर बुनियादी मोर्चे में उसके प्रदर्शन में गिरावट आई है।
कुछ जरूरी बातें
पुराने हुए पुल की संख्या 127768 पुल
51000 पुल 100 साल से भी ज्यादा पुराने।
63327 किलोमीटर ट्रको का लम्बा रूट
प्रतिदिन 18371 ट्रेने दौड़ती है।
2 करोड़ लोग रोजाना सफर करते है। 20 लाख टन माल ढुलाई होती है।
रेलव के समाने सवाल
क्या बयानों में सपने ज्यादा जमीन में हकीकत कम दिखाई देती है?
हाई स्पीड ट्रेन का का सपना कब पूरा होगा?
भारत में सबसे ज्यादा तेज ट्रेन की रफतार 150 से 160 किलोमीटर है।
डेडीकेटेड फ्रेट कोरिडोर योजना नही हो पायेगी 11वीं पंचवर्षिय योजना में पूरी।
विज़न 2020 कहीं किताबों तक सीमित न रह जाए। अगले 8 सालों में रेलवे को अपने काम की रफतार बढ़ानी होगी।
पब्लिक एकांट कमिटि की रिपेार्ट के मुताबिक रेलवे की नई रेल लाइन परियोजना को पूरा होने में लगभग 38 साल लगेंगे जबकि गेज कनवर्जन के लिए 15 साल का समय चाहिए।
रेलवे सुरक्षा
बीते 10 सालों में तकरीबन 2000 घटनाओं में डेढ हजार से ज्यादा लोग मारे गए। इनमें 44 फीसदी हादसे मानवीय भूल का कारण हुए हैं। रेलव में आज सुरक्षा के लिहाज से 76000 जगह रिक्त पड़ी हैं। साथी ही 13000 से ज्यादा भर्ती लोकोमोटिव पायलट की करनी हैं। बहरहाल 2003 में रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए 17000 करोड़ रूपये की एक नीधि बनाई गई थी। मगर आज रेलवे के पास धन का भारी टोटा है। विज़न 2020 में रेल हादसों को जीरो टोलरेन्स की बात करने वाले रेलवे ने रेल सुरक्षा के लिए बनाई गई खन्ना समिति की ज्यादातर सिफारिशें स्वीकार तो की मगर धन की कमीं के चलते उसे लागू नही कर पाया।
पब्लिक प्राईवेट पाटर्नशिप
रेलवे की लगभग 43 हजार हेक्टेयर खाली पड़ी जमीन का व्यवसायिक इस्तेमाल करने की प्लानिंग चल रही है। इसके अलावा मुसाफिरों की बेहतर सुविधा, फे्रट टर्मिनल, लोजिस्टिक पार्क और बजट होटल इत्यादी की बात कही जा रही है। यूं तो रेलवे में नई रेल लाइन योजनाओं में रूटों के विद्युतिकरण और गेज परिवर्तन के क्षेत्र में अच्छी प्रगति हुई है। मगर अभी रेलवे को एक लम्बा सफर कम करना है। लगभग 2 करोड़ यात्री रोजाना रेल से सफर करता है। लिहाजा उसकी सुरक्षा से समझौता नही किया जा सकता। आज रेलवे का मुनाफा तो बड़ रहा है मगर बुनियादी मोर्चे में उसके प्रदर्शन में गिरावट आई है।
कुछ जरूरी बातें
पुराने हुए पुल की संख्या 127768 पुल
51000 पुल 100 साल से भी ज्यादा पुराने।
63327 किलोमीटर ट्रको का लम्बा रूट
प्रतिदिन 18371 ट्रेने दौड़ती है।
2 करोड़ लोग रोजाना सफर करते है। 20 लाख टन माल ढुलाई होती है।
रेलव के समाने सवाल
क्या बयानों में सपने ज्यादा जमीन में हकीकत कम दिखाई देती है?
हाई स्पीड ट्रेन का का सपना कब पूरा होगा?
भारत में सबसे ज्यादा तेज ट्रेन की रफतार 150 से 160 किलोमीटर है।
डेडीकेटेड फ्रेट कोरिडोर योजना नही हो पायेगी 11वीं पंचवर्षिय योजना में पूरी।
विज़न 2020 कहीं किताबों तक सीमित न रह जाए। अगले 8 सालों में रेलवे को अपने काम की रफतार बढ़ानी होगी।