मंगलवार, 28 जनवरी 2014

घोषणापत्र में किए वादे तय समय से पूरें हों!

अरविन्द केजरीवाल की सरकार को दिल्ली में 30 दिन बीत चुके हैं। आम आदती से लेकर मीडिया उनके वादों को लेकर उनसे  सवाल पूछ रहा है। उनके 18 वादों को लेकर उनकी स्थिति जानना चाहता है। उनमें भी सबसे उपर पानी, बिजली और जनलोकपाल विधेयक से जुड़ा सवाल सबसे उपर है। मगर मेरा मानना है कि एक महिने में किसी भी सरकार का आंकलन करना उसके साथ ज्यादती करना  जैसा है। हालांकि आम आदमी पार्टी ने खुद अपने मैनीफेस्टों में काम पूरा करने का समय तय कर रखा है। मसलन सरकार  बनने के 15 दिन के भीतर जनलोकपाल को पारित कराना। 3 महिने में सुराज कानून लाना और अस्थाई कर्मचारियों को एक
साल में नियमितिकरण जैसे वादे शामिल है। मगर अगर आपको याद हो तो 2009 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 100 दिन के एजेंडे में महंगाई  को रोकना शामिल था। 1 दिन में 20 किलोमीटर सड़क बनाऐंगे जैसे वादों की भरमार थी। मगर 100 दिन की जगह आज 1800 दिन से ज्यादा दिन बीत चुके हैं महंगाई कम होने के बजाए बढ़ती गई। हां नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में समिति जरूर बना दी। इसी तरह नरेन्द्र मोदी ने अपने चुनावी वादों में 5 साल में 50 लाख घर जिसमें 28 लाख ग्रामीण क्षेत्र में और 22 लाख शहरी क्षेत्र में बनाने का वादा किया था। जिसके लिए न ही जमीन अब तक चिन्हित की गई है और न ही कोई विशेष डिपार्टमेंट बनाया गया है। इसी तरह छत्तीसगढ़ में 42 लाख परिवारों को 1 रूपये किलो चावल देने का वादा किया गया था। राजस्थान में 24 घंटे बिजली और 15 लाख लोगों को रोजगार जैसे वादे शामिल थे। वहीं मध्यप्रदेश में 15 लाख बेघरों के लिए घर बनाने का वाद किया गया था। ऐसे में इन सरकरों से भी पूछा जाना चाहिए की 40 दिन से ज्यादा बीत जाने को है, आपने कितने वादे पूरे किए हैं। इसलिए जरूरी है की जनता से पूरे किए वादों की एक समय सीमा निर्धारित हो। ताकि हमेशा की तरह जनता अपने आप को ठगा महसूस न करें। 

बुधवार, 22 जनवरी 2014

आप तो ऐसे ना थे!

सोमनाथ भारती। मालवीय नगर से आप के विधायक और केजरीवाल मंत्रीमंडल में कानून मंत्री। जब से मंत्रालय संभाला है, खूब सुर्खिया बटोर रहें हैं।  पहले जजों की बैठक बुलाने की जिद, फिर सीबीआई की विशेष अदालत की भारती पर प्रतिकूल टिप्पणी, आधी रात को खिड़की एक्सटेंशन पर रेड करना, यूगांडा की महिलाओं का उनपर आरोप, अरूण जेठली और हरीश साल्वे के खिलाफ अभद्र टिप्पणी। इस सब से उपर दानिश महिला जिसका गैंगरेप हुआ उसके पहचान सार्वजनिक करना। यह सारे कांड कानून मंत्री सोमनाथ भारती की देन है। मगर केजरीवाल जो हर बात पर इस्तीफा मांगने  और सड़क पर उतरने के लिए जाने जाते हैं आज चुपचाप है। आज ने वो किसी को नैतीकता की दुहाई दे रहें है न ही उनको  सोमनाथ भारतीय में कुछ गलत नजर आता है। यह तो ठीक वही बात हुई जैसे कांग्रेस रेलमंत्री पवन कुमार बंसल और कानून मंत्री अश्विनी कुमार को बचाने में लगी रही, या बीजेपी येदयुरप्पा के बचाने में जुटी रही वही काम आज केजरीवाल कर रहें हैं। जनता के लिए इन तीनों पार्टियों में अंतर करना मुश्किल पड़ रहा हैं। दूसरी तरफ कानून मंत्री का आधी रात के रेड करना किसी के समझ में नही आ रहा है। क्योंकि कानून मंत्री किस कानून के तहत आधी रात को रेड डालने गए किसी को नही मालूम? सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद किसी महिला को गिरफतार नही किया जा सकता। इससे भी ज्यादा उस रात कोई महिला पुलिसकर्मी वहां मौजूद नही थी। हमारे देश में देवयानी खोबरागडे से अमेरिका में हुए व्यवहार के लेकर जबरदस्त आक्रोश देखा गया, दोनों सरकारों के रिश्तों में  तक तल्खी आ गई। क्या युगांडा की महिलाओं ने जो आरोप लगाए हैं वह गंभीर नही। जरा सोचिए यही व्यवहार किसी अमेरिकी या बितानी महिला से हुआ होता तो क्या होता। उससे भी ज्यादा को अपनी भाष में नियंत्रण लाना होगा। उन्हें ध्यान रखना होगा की अब हव एक आंदोलकारी नहीं बल्कि दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। आम आदमी पार्टी रायशुमारी के लिए विख्यात है। इसलिए उसेदिल्ली में अपने कानून मंत्री के लिए रायशुमारी करा लेनी चाहिए। क्या सोमनाथ भारती को इस्तीफा देना चाहिए या केजरीवाल को उन्हें हटा देना चाहिए!

सोमवार, 13 जनवरी 2014

कजरीवाल के कथन

1-किसी से न समर्थन लेंगे न देंगे!
कांग्रेस के समर्थन से सरकार चल रही है।
2-सरकारी आवास नही लेंगे!
बड़ा बंग्ले पर हल्ला हुआ तो छोटे बंग्ले की तलाश चल रही है।
3-कोई भी मंत्री सरकारी गाड़ी नही लेगा!
लाल बत्ती नही ली मगर वीआइपी नम्बर की सरकारी गाड़ी से चल रहें हैं।
4-सुरक्षा नही लेंगे!
केजरीवाल की सुरक्षा में कई गुना खर्चा आ रहा है।
5-15 दिन में जनलोकपाल पारित करेंगे!
जनलोकपाल पर समिति कर रही है विचार।
6-हर सप्ताह जनता दरबार लगाऐंगे!
अब जनता दरबार से तौबा। शिकायत दर्ज कराने के लिए दूसरे तरीकों का सहारा लिया जाएगा।
7-सारे पानी के मीटर बदले जाऐंगे!
वही पुराने मीटर लगाए जा रहे हैं।
8-सबको 700 लीटर तक मुफत पानी!
केवल पानी उनको जिनके पास मीटर है। 1 जनवरी से पानी के 10 फीसदी दाम बढ़े।
9-बिजली के बिलों में 50 फीसदी तक की कटौति!
400 यूनिट उपभोग करने वालों को दी जा रही है सब्सिडी।
10-बिजली वितरण कंपनियों का सीएजी से आडिट!
सीएजी को इसके लिए कह दिया गया है।
11-विदेशी किराना स्टोर को न!
इसका आदेश जारी कर दिया गया है।
12-सत्ता में आते ही भ्रष्टाचारियों के जेल भेजेंगे!
भ्रष्टाचार के सबूत जनता जुटाएगी।
13-शीला और उसके मंत्रियों की जांच कराऐंगे!
सरकार शीला के दल के समर्थन पर टिकी है।

रविवार, 12 जनवरी 2014

यह राह नही आसान!

राजनीति के बालकांड के पड़ाव से आगे बढ़ रही में चल रही आम आदमी पार्टी देश में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी है। लोकसभा चुनाव में हाथ आजमाने के लिए तैयार है। 10 जनवरी से देश भर में सदस्यता अभियान चला दिया है। लोगों ने  भी इस पार्टी को हाथों हाथ गले लगाया है। आप से जुड़ने की बेकरारी देखी जा सकती है। एक तरफ आप का सदस्यता अभियान तो दूसरी तरफ बीजेपी का एक वोट एक नोट अभियान शुरू हो चुका है। इसमें कोई दो राय नही की आप ने मोदी के खुले मैदान को मुश्किल बना दिया है। इसलिए मोदी कह रहें है की टेलीविजन में दिखने से वोट नही मिलता, देश चलाने के लिए  विज़न चाहिए। मतबल मोदी के समझ में आ गया है की कही पीएम इन वेटिंग का मामला वेटिंग तक ही सीमट के न रह जाए। दूसरी तरफ आप की मुश्किलें भी कम नही। पार्टी ने आम आदमी की टोपी पहनकर लोगों को आकर्षित तो किया है मगर लगता नही की इतनी जल्दी इनपर विश्वास किया जाए। आप ने हाल के दिनों में कई ऐसे काम किए हैं जिससे लोगों को लगता है  कि कहीं इनका भी कांग्रेसी और बीजेपीकरण न हो जाए। मसलन
1-प्रशांत भूषण का कश्मीर पर दिया गया रायशुमारी का बयान। ऐसा ही बयान पार्टी के विधायक विनोद कुमारी बिन्नी दे चुके है।
2-मंत्री ना बनाए जाने से नाराज विनोद कुमार बिन्नी का बैठक छोड़कर बाहर निकलना।
3-राखी बिरला की कार का शीशा टूटने से जुड़ा विवाद
4-कानून मंत्री सोमनाथ भारती की जजों की बैठक बुलाने का फैसला
5-सचिवालय के बाहर जनता दरबार में हुई बदइंतजामी जैसे कई मुददों ने आप की मुश्किलें बढ़ाई है।
6-बिजली पानी के मामले में 400 यूनिट से उपर खपत करने वाला और 700 लीटर से ज्यादा इस्तेमाल करने वाला अपने आप को ठगा महसूस कर रहा हैं।
7-चार कमरे वाला फलैट लेना और बाद में मीडिया में आने के बाद उसे न लेने का फैसला करना।
8-उपराज्यपाल के अभिभाषण में सिर्फ चार मिनट का जवाब।
9-सुरक्षा न लेकर दिल्ली पुलिस को उनकी सुरक्षा में भारी भरकम खर्च करना पड़ रहा है।

इतिहास गवाह है की 1977 का माहौल भी कुछ इसी तरह था। कांग्रेस के खिलाफ जीतकर जनता पार्टी के नेता रातों रात हीरो बन गए। यहां तक की इंदिरा गांधी रायबरेली से राजनारायणके खिलाफ चुनाव हार गई। लेकिन ढाई साल में जनता पार्टी से त्रस्त आकर जनता ने दुबारा इंदिरा गांधी को सत्ता सौंप दी। इसलिए आम आदमी को अपना हर कदम सोझ समझकर उठाना होगा।

गुरुवार, 9 जनवरी 2014

मुलायम का समाजवाद!

लोहिया ने नाम पर अपनी दुकानदारी चलाने वाले नेताओं की भारत में कमी नही है। उनमें से एक बड़ा नाम है मुलायम सिंह यादव। यादव और मुस्लिम वोट के चैपिंयन। उनका एमवाई समीकरण जब जब काम किया उनको राज्य में गददी मिली। मगर हमेशा लोगों को निराशा ही हाथ लगी। खासकार समाजवादी सरकार में कानून व्यवस्था बेलगाम हो जाती है। राज्य में 60 फीसदी आबादी के पास शौचालय नही है। 33 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जी रही है। प्रति व्यक्ति आय 30 हजार से कम है। बेरोजगारी दर 9 फीसदी तक पहुंच गई है। कानून व्यवस्था का बुरा हाल है। प्रदेश कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है यानि कर्ज का ब्याज़ चुकाना ही आने वालें दिनों में मुश्किल होने वाला है। गन्ना किसान सरकार के बेहद नाराज़ है।मगर राज्य में सबसे बड़े दाग के तौर पर मुज़फरनगर दंगों के देखा गया। इन दंगों में 60 से ज्यादा लोग मारे गए। 60 हजार  से ज्याद लोग बेघर हो गए। इनमें से ज्यादातर अब भी हाड़कपा देने वाली ठंड में पुर्नवास की राह देख रहे हैं। सरकार का कहना है कि उसने सबको मुआवज़ा दे दिया है। मगर ज्यादातर हिंसा पीड़ित वापस नही जाना चाहते क्यों दिल और दिमाग में भय  अब भी व्याप्त है। जो सरकार अपने लोगों को निर्भयता न प्रदान कर सके, उसके बारे में क्या कहा जाए। इन सब कुछ बीते जाने के बावजूद समाजवादी सरकार ने सैफई महोत्सव में जमकर पैसा खर्च किया। मुंबई कलाकारों को विशेष विमान के जरिये बुलाया गया। उनकी आवाभगत में करोड़ों लुटा दिए गए। एक अुनमान के मुताबिक यह आंकड़ा 200 करोड़ से ज्यादा है। इसके  अलावा 18 विधायकों जिसमें सपा के मंत्री भी शामिल है को पांच देशों के 14 दिन की यात्रा पर भेजा गया है। यात्रा का मकसद दूसरे देशों के लोकतांत्रिक तरीकों को सीखना है। इनमें सबसे  दिलचस्प नाम है शहरी विकास मंत्री आज़म खान, जो मुज़फरनगर जिले के प्रभारी भी है, यात्रा में हैं। खैर लोहिया ने एक महत्वपूर्ण बात कही थी की जिंदा कौमें पांच साल का इंतजार नही करती। इसका अंदाजा समाजवादी मुलायम को जल्द ही मालूम चल जाएगा। मगर इसी राजनीति के अभाव में आज लोग आम आदर्मी पार्टी को गले लगा रहें हैं। ऐसे में समाजवादी मुलायम से कुछ सवाल बनते हैं।
1.लोहिया की कसम खाने वाले मुलायम का समाजवाद कहां है?
2.सामाजिक न्याय की लड़ाई का दंभ भरने वाले मुलायम सिंह का न्याय कहां है?
3.दंगों के तीन महिने बाद भी अगर हिंसा पीड़ित परिवारों के खौफ का माहौल है तो किसी नकामयाबी है?
4. क्यों मौलाना मुलायम दंगा पीड़ितों से मिलने मुजफरनगर नही गए?
5.राहत कैपों में 34 से ज्यादा बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन?
6.सैफई महोत्सव में जनता के पैसों की बर्बादी क्यों?
7.क्या मुंबई के कलाकार के गानों से मुलायम दिल्ली पहंचेंगे?
8.दंगा पीड़ितों के पुर्नवास को लेकर राज्य सरकार संजीदा क्यों नही?
9.मुलायम के मुताबिक अब कोई हिंसा पीड़ित राहत कैंपों में नही है तो कौन है उन राहत कैपों में?
10.अगर यह बीजेपी और कांग्रेस के एजेंट है तो आपकी एलआइयू और प्रशासन हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठा है?
11.नेताओं को विदेश में सैर कराने में जनता के पैसों की बर्बादी क्यों?
12. दंगों के दोषियों पर क्या कारवाई हुई?





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सडक बनाओं ग्रोथ बढ़ाओ!

यूपीए के दूसरे कार्यकाल में सड़क एवं परिवहन मंत्रालय का जिम्मा संभालने के बाद कमलनाथ ने प्रतिदिन 20 किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य रखा। यह वह समय था जब यूपीए सरकार सडकों को बनाने के धीमी प्रगति के चलते विपक्ष का निशाना बना रही थी। यही कारण था की जानकारों और खुद योजना आयोग 20 किलोमीटर सड़क बनाने के लक्ष्य को महत्वकांक्षी मान रहा था। बहरहाल जो तस्वीर समाने है उसमें 12.3 किलोमीटर प्रतिदिन सड़को का निर्माण काराया जा रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्राधिकरण के मुताबिक जमीन अधिग्रहण में देरी कानूनी दावपेंच, फैसले लेने में देरी, समय से एनओसी का न मिलना, कुशल मानव संसाधन की कमी और कानून और व्यवस्था  जैसे मुददे सड़क बनाने की धीमी प्रगति का मुख्य कारण है। अक्टूबर 2009 से सितंबर 2010 तक कुल 201 परियोजनाओ का ठेका दिया गया है। इन परियोजनाओं की कुल लम्बाई 9923 किलोमीटर है। कुल मिलाकर इस समय 14704 किलोमीटर सड़क कार्य का काम प्रगति में है। सड़कों के मामले में दुनिया में सड़कों का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क भारत में है। देश भर में फैली सड़कों की कुल लम्बाई 33.4 लाख किलोमीटर है।
विश्व का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क
कुल लम्बाई 33.4 किलोमीटर के आसपास
राष्ट्रीय राजमार्ग          66590
राज्य राजमार्ग           128000
प्रमुख जिला सड़कें        470000
ग्रामीण व अन्य सड़कें      2650000
राष्टीªय राजमार्ग का नेटवर्क 2 प्रतिशत से कम है परन्तु यह कुल यातायात का 40 प्रतिशत भार वहन करता है। आज 65 फीसदी माल की ढुलाई और 80 फीसदी यात्री यातायात इन्ही सडको पर होता है। जहां सड़को पर यातायात 7 से 10 फीसदी सालाना आधार पर बढ़ रहा है। वही वाहनों की संख्या में तेजी 12 फीसदी के आसपास रही है। यही कारण है की अर्थव्यवस्था की गति को तेजी से बढाने के लिए सडको का तेजी से निर्माण करना जरूरी है।

देश में बिजली का हाल !

उर्जा खपत के हिसाब से भारत दुनिया का पांचवा देश है। कुल खपत का 3.4 फीसदी भारत करता है। जानकारों की माने क 2030 तक भारत जापान और रूस को पीछ छोड़कर तीसरे स्थान पर काबिज हो जाएगा। भारत की उभरती अर्थव्यवस्था के लिए उर्जा एक बहुत बड़ी जरूरत है। खुद प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहाकार परिषद ने देश की तेजी से बढ़ती विकास दर में सबसे बड़ी बांधा उर्जा की कमी को बताया है। भारत आने वाले सालों में दहाई विकास दर का सपना पाल रहा है । मगर इसके लिए जरूरी होगा बिजली का उत्पादन बढ़ाया जाए। आइये एक नजर डालते है कि भारत में उर्जा की मौजूदा स्थिति क्या है। उर्जा क्षेत्र का बड़ा भाग कोयले से निकलने वाली बिजली पर निर्भर है। यह कुल उत्पादन का 75 फीसदी है। इसके अलावा 21 फीसदी उत्पादन में जलविद्युत क्षेत्र से करते है। और बाकि बची परमाणु क्षेत्र से आती है। इस समय सामान्य अवधि में मांग और आपूर्ति में अन्तर 10 फीसदी है। जबकि पीक आवर में यह 12.7 फीसदी है। आज उर्जा विकास दर 10 प्रतिशत से बड़ रही है जबकि कोयले का उत्पादन 5 से 6 फीसदी के दर से बड़ रहा है। 11वीं पंचवर्षिय योजना में सरकार ने 78700 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा था उसे बाद में 62374 मेगावाट कर दिया गया। इसमें ताप उर्जा का लक्ष्य 59693 मेगावट से घटाकर 50757 मेगावाट जबकि पनबिजली के लक्ष्य 15627 से घटाकर 8237 मेगावाट कर दिया है। बहरहाल 12वीं पंचवर्षिय योजना में बिजली उत्पादन का लक्ष्य 1 लाख मेगावाट रखा गया है। यहां जानना जरूरी है कि उर्जा समवर्ती सूची में आता है और लिहाजा राज्यों को अपने उत्पादन में ध्यान देना होगा। परमाणु बिजली के उत्पादन के लक्ष्य को छोड़कर ताप और पनबिजली से उत्पन्न बिजली के लक्ष्य में बदलाव किया है।जून 2011 तक हम 37971 मेगावाट बिजली उत्पादन कर पाये है। बहरहाल सरकार का लक्ष्य उर्जा कानून 2003 के तहत 2012 तक हर घर में बिजली मुहैया कराना है।  मगर यह वादा सरकार 2013 तक भी पूरा नही कर पायी। मगर हां देश में बिजली के दाम को कम करने पर राजनीति खूब हो रही है।


सोमवार, 6 जनवरी 2014

आपरेशन मेनका से जुड़े सवाल

मुंबई में डांस बार धड़ल्ले से चल रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है की डांस बार के नाम से नही बल्कि आर्केस्ट्रा बार के नाम से चल रहे हैं। आकेस्ट्रा और डांस बार लाइसेंस अलग अलग होते हैं। मगर आकेस्टा को डांस बार में तब्दील होने में चंद पल लगते हैं। डांस बार में लगाम लगाने के लिए महाराष्ट्र सरकर ने बकायदा बोम्बई पुलिस कानून 1955 में संशोधन किया। इसके बाद मुंबई पुलिस संशोधन कानून 2005 अस्तित्व में आया। 14 अगस्त 2005 को महाराष्ट्र में डांस बार पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इस दौरान राज्य में 1250 डांस बार थे जिसमें 600 मुंबई में और 650 बाकी राज्य में थे। लगभग 50 से 60 हजार महिलाऐं की आजीविका इस पेशे से जुड़ी थी मगर सरकार ने यह कहकर खारिज कर दिया की ज्यादातर बार बालाऐं प्रदेश से बाहर की  हैं। 50 हजार से ज्यादा कर्मचारी इन बार से जुड़े हुए थे उन्हे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। इसके बाद हाइकोर्ट सहित  सुप्रीम कोर्ट ने डांस बार पर रोक लगाने वाले कानून को असंवैधानिक करार दिया। मगर राज्य सरकार इस फैसले पर अड़ी हुई है। कहा जा रहा है कि जल्द ही वह एक अध्यादेश या कानून ला सकती है। सबसे ज्यादा नुकसान राज्य के के राजस्व को हुआ क्योंकि 3 हजार करोड़ से ज्यादा राजस्व सालाना इन डांस बार से आता था। लेकिन सबसे दिलचस्प सुप्रीम कोर्ट की वह टिप्पणी है जिसमें कहा गया कि न्यायिक आत्ममत इस बात की सही नही मानता कि उच्च वर्ग के लोग उच्च नैतिकता और विनम्र व्यवहार ठेकदार है जबकि
जबकि नग्नता और फूहड़ता के लिए निम्न वर्गीय जिम्मेदार है। यह टिप्पणी इसलिए अहम है क्योंकि 3 सितारा या उससे उपर के होटलों के डांस बार में रोक नही है। विधानसभा में डांस बार पर रोक लगाने के पीछे सबसे बड़ी दलील यह थी कि इससे अपराध में कमी आएगी। मगर सरकार की यह दलील भी फीकी दिखाई पड़ती है। मुंबई में बच्चों से बलात्कार के मामलों  के अलाव महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध लगातार बड़े हैं। मसलन 2010 में जहां बच्चों के खिलाफ बलात्कार के मामले 747 थे वह 2012 में 917 हो गए। महिलाओं के खिलाफ अपराध जहां 2010 में 15737 थे वह 2012 में 16353 हो गए। बच्चों के खिलाफ अपराध जहां 2010 में 3264 थे वहां 2012 में  3456 हो गए। यानि इन सालों में अपराध बड़े है। इसके अलावा पुलिस का एक बड़ा तबका सिर्फ सालों से इस काम पर  लगा रखा है कि कहीं डांस बार तो नही चल रहे। यह पूरी तरह पुलिस मशीनरी का दुरूपयोग है। महाराष्ट्र सरकार और खासकर आरआर पाटिल से कुछ सवाल
1.क्या डांस बार पर रोक असंवैधाानिक नही है?
2.क्या यह संविधान के अनुच्छेद 14 जिसमें सबको बराबरी के अधिकार की बात कही गई है उसका दुरूपयोग नही है?
3.क्या यह संविधान के अनुच्छेद 19 1 जी जिसमें अपनी आजीविका के पेशे को लेकर अधिकार दिया गया है?
4.क्या इसे गृहमंत्री आरआर पाटिल ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल नही बना रखा है?
5.क्या यह सुप्रीम कोर्ट की आदेश की अवहेलना नही है?
6.क्या कानून को लागू न करा पाना राज्य सरकार की निष्क्रियता नही है?
7.क्या एक बड़े पुलिस बल को इसके लिए सालों से तैनात करना पुलिसिया मशीनरी का दुरूपयोग नही है?
8.क्या सरकार ने बार बालाओं के लिए पुर्नवास की कोई योजना तैयार की थी?
9.क्या मुंबई में अपराध की दर कम हो गई है?
10.क्या सरकार को सालाना इससे 3000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान नही हो रहा है?
11.क्या मजबूर होकर कई बार बालाओं ने वेश्यावृत्ति पेशे को नही अपनाया?
12. क्या बार बालाओं के परिवार की आजीविका के बारे में रोक से पहले सोचा गया था?
13. अगर बार में डांस करना गलत है तो तीन सीतारा और पांच सीतारा होटल में इसकी इजाज़त क्यों?
14.समलैंगिता के पैरोकार इस मुददे पर चुप क्यों?
15. क्या आरआर पाटील के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की अवमानना को मामला चलना चाहिए?

रविवार, 5 जनवरी 2014

भ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम जल्द पास होंगे!

संसद में कई भ्रष्टाचार से लड़ने वाले कानून को मंजूरी देनी है। हालांकि इनमें सबसे उपर लोकपाल था जिसे 46 साल के बाद संसद की न सिर्फ मजंूरी मिली बल्कि नए साल में यह कानून बन गया है। इसके बाद कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी की नजर बाकी बजे भ्रष्टाचार निवारण विधेयकों पर है। कहा जा रहा है इसके लिए कांग्रेस संसद का एक विशेष सत्र बुला सकती है। अगर ऐसे होता है तो राहुल भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक लड़ाई के प्रतीक के दौर पर दिखने का प्रयास न सिर्फ करेंगे बल्कि जनता का भरोसा जीतने का वह हर संभव प्रयास करेंगे। लोकपाल की नियुक्ति के लिए भी प्रधानमंत्री कार्यालय को कहा जा चुका है। यानि लोकसभा चुनाव से पहले लोकपाल नामक संस्था का गठन हो जाएगा। इसके अलावा भ्रष्टाचार के खिलाफ बनाए गए विधेयकों  को भी वह इस लोकसभा से पारित कराना चाहते हैं।

भ्रष्टाचार निरोधक संशोधन विधेयक 2013
समयबद्ध वस्तु और सेवा अधिकार और जन शिकायत निवारण विधेयक
पब्लिक प्रोक्यूरमेंट बिल 2011
विदेशों से मिलने वाले घूस संबंधी विधेयक
न्यायिक मानदंड और जवाबदेही विधेयक 2010
व्हिसलब्लोअर संरक्षण विधेयक 2011

शनिवार, 4 जनवरी 2014

राहुल से 20 सवाल

1-क्या यूपीए की नाकामियों के माहौल से वह कांग्रेस को निकाल पाऐंगे?
2-भ्रष्टाचार और महंगाई से त्रस्त जनता के लिए उनके पास क्या जवाब है?
3-पार्टी के कई नेता उनकी उम्मीदवारी को लेकर एकमत नही इस चुनौति का क्या?
4-राज्यों में पार्टी कई नेताओं में बंटी हुई है कैसे निपटेंगे?
5-सिर्फ मनरेगा जमीन अधिग्रहण कानून, शिक्षा, सूचना और भोजन के अधिकार और आपका पैसा आपके हाथ के सहारे मिशन 2014 फतह कर पाऐंगे?
6-कृषि और किसान के लिए उनका क्या रोड मैप है?
7-महिलाओं की सुरक्षा पर उनका क्या सोचना है?
7-पिछले 2 सालों में कई राज्यों में कांग्रेस की करारी हार हुई है उससे उबरने के लिए क्या करेंगे?
8-युवाओं का बड़ा वर्ग पार्टी से कट चुका है ऐसे में इस वर्ग को पार्टी से कैसे जोड़ेगे?
9-आंध्र प्रदेश जैसा मजबूत राज्य कांग्रेस के हाथ से निकल चुका है? इसकी भरपाई कहां से करेंगे?
10-कांग्रेस के खिलाफ माहौल को लेकर कोई गठबंधन को राजी नही, ऐसे में नए साथी कहां से लाऐंगे?
11-सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिए उनके पास क्या रणनीति है?
12- अर्थव्यवस्था में गति देने के लिए उनके पास क्या योजना है?
13- नक्सलवाद के खतरे से कैसे निपटेंगे?
14- देश को आतंकी घटनाओं से सुरक्षा कैसे करेंगे?
15- उनके पिता राजीव गांधी ने कहा था कि केन्द्र 1 रूपया भेजता है पहुंचता 10 पैसे है? हालात कुछ ज्यादा नही बदले हैं?
ऐसे में इस स्थिति से कैसे निपटेंगे?
16- विदेश नीति खासकर 2014 के मध्य में नाटों सेना अफगानिस्तान से कूच कर जाएगी? ऐसे में वहां काम कर रहे भारतीयों की सुरक्षा का क्या?
17- भारत अपने पड़ोसी देशों से कैसे संबंध सुधारेगा?
18- 2014 में मोदी और केजरीवाल के खिलाफ चुनाव में क्या तैयारी रहेंगी?
19-शिक्षा स्वास्थ्य स्वच्छता और रोजगार जैसे मुददों पर उनकी नीति क्या रहेगी?
20- अल्पसंख्यक दलित और आदिवासियों के लिए उनके पास क्या नीतियां है?

नरेन्द्र मोदी से 15 सवाल

1-आपके मिशन 272 का राज क्या है?
2-महंगाई को आप काबू में कैसे करेंगे?
3-भ्रष्टाचार मिटाने के लिए आपके पास भविष्य में क्या योजना है?
4-नक्सलवाद और आतंकवाद से आप कैसे निपटेंगे?
5-गठबंधन के नई साथियों को कैसे जोड़ेगे?
6-अरविन्द केजरीवाल भविष्य में आपके लिए मुश्किल पैदा करेंगे?
7-गिरती अर्थव्यवस्था को थामने के लिए आपके पास क्या कार्यक्रम है?
8-दक्षिण भारत में बीजेपी बेहद कमजोर है? ऐसे में आपके मिशन 272 का क्या?
9-क्या कांग्रेस मुक्त भारत भ्रष्टाचार मुक्त भारत से टक्कर ले पाएगा?
10-पहली बार वोट करने वाले नवयुवकों के लिए आपके पास क्या योजना है?
11-महिलाओं की सुरक्षा के लिए आपके पास क्या कोई कार्यक्रम है?
12-आपकी पड़ोसी मंल्क खासकर पाकिस्तान से निपटने की रणनीति क्या है
13-येदयुरप्पा की वापसी के लेकर कहा जा रहा है कि बीजेपी ने भ्रष्टाचार से समझौता कर रही है?
14- आपको वीजा देने से इनकार करने वाले अमेरिका को लेकर आपका क्या कहना है?
15-महिलाओं की सुरक्षा के लिए आपके पास कोई योजना है?

प्रधानमंत्री से 20 सवाल

1-साल में 1 करोड़ 20 लाख रोजगार देने का वादा करने के बावजूद रोजगार क्यों नही दे पाए?
2-100 दिन में महंगाई कम करने का वादे का क्या हुआ?
3-गिरती अर्थव्यवस्था का कारण अर्थव्यवस्था का कुप्रबंधन तो नहीं?
4-क्या वर्तमान विकास दर को वह सर्वसमावेशी मानते हैं?
5-क्या राहुल में प्रधानमंत्री बनने के गुण हैं?
6-शिक्षा और स्वास्थ्य के मोर्चे पर यह देश उनका आंकलन कैसे करेगा?
7-क्या भ्रष्टाचार पर लगाम न लगा पाना उनकी सबसे बड़ी कमजोरी थी?
8-क्या कांग्रेस के लिए मोदी से पार पाना नामुमकिन है?
9-देश में काले धन को रोकने और विदेश से कालाधन लाने के लिए उन्होने क्या कदम उठाये?
10- आर्थिक सुधारों को लेकर उनकी सरकार फैसला क्यों नही ले पाई?
11- बार बार कमजोर प्रधानमंत्री कहे जाने से उनके लिए मुश्किल नही होती?
12- निवेश से जुड़ी कई परियोजना को समय से मंजूरी ना दे पाना क्या उनकी अक्षमता नही?
13- क्या राजकोषिय घाटे को वह 4.8 फीसदी तक रख पाऐंगे
14- क्या 4 राज्यों की हार ने कांग्रेस का मनोबल तोड़ दिया है?
15-विदेश नीति के मोर्चे पर आप सबसे अहम फैसला किसे मानते हैं?
16- राजनीतिक प्रशासनिक और पुलिस सुधारों को लेकर उनकी सरकार ने क्या किया?
17- क्या आम आदमी पार्टी भविष्य में कांग्रेस के लिए एक बड़ी मुश्किल बनकर खड़ी होगी?
18- आपके कार्यकाल के दौरान प्रत्यक्ष कर संहिता यानी डीटीसी और वस्तु और सेवा कर क्याों लागू नही हो पाया?
19- नक्सलवाद की समस्या से निपटने के लिए क्या बंदूक ही एकमात्र औजार है?
20- क्या सामाजिक योजनाओं को लागू करने के लिए आपने और एनएसी के बीच हमेश मतभेद रहे?

अरूण जेठली के प्रधानमंत्री से सवाल

1-इतिहास उनके प्रधानमंत्री के कार्यकाल यानि मई 2004 से मई 2014 के कार्यकाल को किस तरह देखेगा?
2-वित्त मंत्री रहते हुए उनका कार्यकाल प्रधानमंत्री के कार्यकाल से ज्यादा संतुष्ट करने वाला है?
3-यूपीए सरकार को अब तक की सबसे भ्रष्टतम सरकार कहा जा रहा है, क्या लगता है की कहां उनसे चूक हो गई खासकर ऐसे मौके पर जब उन्हें कार्यवाही करनी चाहिए थी?
4-अर्थव्यवस्था के प्रबंधन का कहां कमी रह गई जिसके चलते निवेश की चक्र गड़बड़ा गया?
5-सीबीआई, जेपीसी, सीवीसी, जैसी संस्थाओं का कमजोर करने का उन्हें खेद है?

बुधवार, 1 जनवरी 2014

केजरीवाल की सरकार बचना तय है!

केजरीवाल की सरकार गिराने की हिम्मत किस राजनीति दल में है। अगर किसी ने इस काम को किया तो इसे राजनीतिक खुदखुशी कहेंगे। लोकसभा चुनाव के मददेनजर कांग्रेस तो छोड़िए बीजेपी भी सरकार गिराते नही दिखना चाहेगी। दूसरा खतरा दिल्ली में दुबार चुनाव का मतलब आम आदमी पार्टी की बड़ी जीत। यानि कांग्रेस और बीजेपी जानते है कि नतीजें चुनाव में उनके खिलाफ जाऐंगे। यानि मजबूरी में ही सही सरकार गिराने की यह राजनीति दल सोझ भी नही सकते।अरविन्द केजरीवाल को आज विधानसभा में बहुमत साबित करना है। इससे पहले वह साफ कर चुके है कि उनके पास 48 घंटे का समय है। इस बात को कहकर वह कांग्रेस और बीजेपी दोनों पर जबरदस्त मनोवैज्ञनिक दबाव डाल चुकें है। क्योंकि शपथ लेने के बाद आम आदमी पार्टी ने वह सबकुछ किया जिसके बाद उनसे समर्थन लेना का मतलब खुदखुशी करना होगा। 666 लीटर पानी प्रतिदिन मुफत देने के घोषणा हो चुकी है। जो उपभोक्ता 0 से 200 यूनिट तक उपभोग करते हैं उन्हे बिल में सब्सिडी दे दी गई है। इसी तरह की राहत 201 से 400 यूनिट का उपभोग करने वालों को दी जा रही है। बिजली कंपनियों के आडिट का आदेश दिया जा चुका है। सीएजी इन कंपनियों का आडिट करेगी। राजनीति में सादगी का उदाहरण वह पहले ही  दे चुके है। एक पुलिसकर्मी के हत्या करने पर उनके परिवार को वह 1 करोड़ का मुआवजा दे चुकें हैं।  45 जगह रैनबसेरों के लिए चिन्हित कर खुले  आसमान के नीचे सोने वालों के लिए इंतजाम करने के लिए वह एसडीएम को निर्देश दे चुके हैं। यानि अरविन्दकेजरीवाल देश के हीरो बन गऐं है। उनके हर काम पर मीडिया नजरें गढ़ाऐं बैठा है। ऐसे में लगता नही की कांग्रेस सरकार को गिराने की हिम्मट जूटा पाएगी। क्या हो सकता है विधानसभा में एक नजर डालते है।

अरविन्द बहुमत साबित करने से जुड़ा प्रस्ताव सदन में पेश करेंगे।
इसके बाद इस प्रस्ताव पर चर्चा होगी!
अरविन्द अपनी चर्चा में अपने एजेंडे को सामने रखेंगे।
बीजेपी और कांग्रेस के साथ साथ निर्दलीय विधायक भी इस चर्चा में भाग लेंगे।
चर्चा के दौरान ही यह पता चल जाता है कि क्या राजनीतिक दल आम आदमी पार्टी के बहुमत के प्रस्ताव का समर्थन करेंगे या विरोध।
उसके बाद जैसा कि इस मामले में 2 बजे शक्ति परीक्षण होगा। यह सबसे बड़ी चुनौति कांग्रेस के लिए होगी। अब सवाल यह कि
क्या कांग्रेस और बीजेपी व्हिप जारी करेंगे?
क्या कांग्रेस के विधायक एकजुट हैं?
कहीं क्रास वोटिंग का डर बीजेपी में भी सता तो नही रहा है?
क्या बीजेपी वोटिंग के समय सदन से वाकआउट करेंगे जिसकी की संभावना प्रबल है।
यानि हर स्थिति में केजरीवाल की सरकार बचना तय है!