सोमवार, 18 अक्तूबर 2010

संयुक्त राष्ट्र में भारत

19 साल के अन्तराल के बाद भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य बनने में कामयाब रहा। 192 देशों में 187 देशों ने भारत की दावेदारी का समर्थन किया। भारत 1992 से पहले यूएन का 6 बार अस्थाई सदस्य रह चुका है। 1996 में वह जापान से 100 मतों से मात खा गया। वैसे कजाकिस्तान के इस साल के शुरूआत में ही पीछे हटने के बाद भारत की जीत में निश्चित माना जा रहा था। मगर भारतीय रणनीतिकार कोई कोर कसर बाकी नही छोड़ना चाहते थे। इसी के मददेनज़र विदेश मन्त्री एसएम कुष्णा ने कई देशों के विदेश मन्त्रियों से खुद मुलाकात कर निश्चित किया की इस बार माहौल बनाने में कोई कमी नही रह जाए। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिशद में कुल 15 सदस्य है जिसमें 5 स्थाई और 10 अस्थाई सदस्य है। विदेश नीति के जानकार भी मानते है कि 187 देशों का समर्थन अपने आप यह बयां करता है कि विश्व पटल में भारत की हैसियत क्या है। मगर इस मुल्क की असली परीक्षा संयुक्त राष्ट्र में सुधार की कवायद को अंजाम तक पहुंचाना है। आज भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिशद की स्थाई सदस्यता का प्रबल दावेदार है। बकायदा पी 5 देशों में से रूस, फ्रांस और ब्रिटेन उसकी दावेदारी के समर्थन का भरोसा दिला चुके है। बचा अमेरिका और चीन। अमेरिकी राष्ट्रपति  बराक ओबामा की नवंबर में भारत यात्रा के दौरान भारतीय रणनीतिकार उनका मन टटोलने का प्रयास जरूर करेंगे। और रही बात चीन की तो बदलते परिवेश में लम्बे समय तक भारत का विरोध वह कितने समय तक कर पायेगा।

रविवार, 17 अक्तूबर 2010

कुछ किये बिना जयजयकार नही होती कभी

क्वालालामपुर में 25 पदक। मेनचेस्टर में 30 स्वर्ण सहित 69 पदक, मेल्बर्न में 22 स्वर्ण सहित 50 पदक और राष्ट्रमण्डल खेलों में इस बार 38 गोल्ड, 27 सिल्वर और 36 ब्रोन्ज सहित कुल 101 मेडल। क्या हम शतक लगाऐंगे। यह सवाल हर आमोखास के दिमाग में कौन्द रहा था। लोकसभा टीवी के कार्यक्रम लोकमंच में में भी हमारा अनुमान यही था की इस बार हमारी तैयारी को देखते हुए लगता है कि हमें सैकड़ा जमाने से कोई नही रोक सकता। हालांकि यह किसी करिश्मे से कम नही था की एथलेटिक्स में भी हमें मेडल प्राप्त हुए। मगर इस मेजबानी ने देश में विभिन्न खेलों के लिए हमारे दिल में एक अहसास जगाया। मैं नही जानता था की तीरन्दाजी में स्वर्ण पदक जीतने वाली दीपिका कुमारी एक साधारण परिवार से आती है। दीपिका ने जब गोल्ड पर निशाना लगाया तो पूरे देश ने जाना की इस खिलाड़ी ने इस मुकाम को पाने के लिए कितनी साधना की होगी। हमेशा की ही तरह यहां भी निशानेबाजों में सबसे ज्यादा पदक जीते। निशानेबाजी ने हमारे खाते में 14 गोल्ड, 11 सिल्वर और 5 ब्रोन्ज मेडल आये। इसके बाद कुश्ती में 10 स्वर्ण, 5 सिल्वर और 4 ब्रोन्ज मेडल जीते। कुश्ती में 6 गोल्ड मेडल फ्री स्टाइल कुश्ती में और 4 ग्रीमोरोमन में हासिल किये। एथलेटिक्स जिसमें हमारी आशा न के बराबर थी वहां भारतीय खिलाडियों ने हमें गलत साबित किया। कुल मिलाकर इस इस खेल में हमें 2 स्वर्ण प्राप्त हुए। डिस्कस थ्रो में कृष्णा पुनिया ने गोल्ड जीतकर सबको चौंका दिया। इस खेल में सिल्वर और ब्रोन्ज भी हमारे खाते में आया। मुक्केबाजी में हालांकि आशा के अनुरूप मेडल नही मिले लेकिन हमारे मुक्केबाजों के मुक्के जमकर विपक्षियों पर बरसे। जिमनास्टिक जिसके बारे में आशा न के बराबर थी वहां आशीष कुमार ने गलत साबित करके दिखा दिया। टेनिस खिलाड़ी भी उतना नही कर पाये जितनी हम उनसे उम्मीद लगाये बैठे थे। महज सोमदेव देव वर्मन ने भारत की एक गोल्ड जीतकर लाज बचाई। हाकी में शरूआत में झटका खाकर हमने पाकिस्तान और इंग्लैण्ड को धूल चटा दी। यह बात दिगर है कि फाइनल में हमें आस्ट्रेलिया ने 8-0 से धो डाला। बैडमिंटन में साइना नेहवाल ने उलटफेर भरे मैच में भारत की जीत दिलाई। यही वह मेडल है, जिसने हमें दूसरे स्थान में लाकर खड़ा कर दिया। दिल्ली में हुए इन खेलों ने क्रिकेट के दबदबे वाले इस देश में दूसरें खलों के प्रति भी दशZको को दिवाना होते हुए देखा है। अगर यह रफतार कायम रही तो वह दिन दूर नही जब विश्व में हमारा रूतवा होगा। ऐसा नही होगा की 1 अरब से ज्यादा आबादी वाले इस देश को ओलम्पिक में 1 स्वर्ण पदक से सन्तोष करना पड़ेगा।

शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2010

महात्मा गांधी


ऐसे अदुभुत सेनानी थे,
        जो रण में खुद लड़ पड़ते थे। 
देते थे उपदेश जो हमको, 
        उसमें  आगे बड़ते थे।
दिया स्वराज अहिंसा से,  
        इतिहास बदलते चले गए।
उड़ा आजादी का झण्डा, 
            बाबू बड़ते चले गए।









हैं तैयार हम

17 खेल, 72 देश, 829 तमगे दांव पर। 3 से 14 अक्टूबर को होने वाले 19 वें राष्ट्रमण्डल खेलों की रणभेरी बच चुकी है। हर खिलाड़ी जीतना चाहता है। हर कोई तमगे से कम कुछ नही चाहता। ऐसे में मुकाबला कितना रोचक होगा इसका अन्दाजा आसानी से लगाया जा सकता है। भारत 495 खिलाड़ियों के साथ 17 विभिन्न खेलों में जीतने के इरादे से उतरेगा। 2006 मेलबर्न में भेजे गए 180 खिलाड़ियों के मुकाबले यह आंकड़ा 3 गुना ज्यादा है। इन खेलों में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत पदकों का सैकड़़ा जड़ने में कामयाब हो पायेगा। ऐसा इसलिए भी कि बाकी सालों के मुकाबले इस बार खिलड़ियों की ट्रेनिंग में खास ध्यान दिया गया है। खेल मन्त्रालय को सबसे ज्यादा भरोसा निशानेबाजों पर है जिससे 30 से 35 मेडल आने की उम्मीद है। इसके अलावा 21 कुश्ती से 10 से 12 भारोत्तोलन से, 6 से 8 मुक्केबाजी से और 8 से 10 मेडल एथलेटिक्स से आ सकते है। मगर इसके लिए हर खिलाड़ी को अपनी ऐड़ी चोटी का जोर लगाना होगा। भारत ने मेनचेस्टर खेलों में अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदशZन किया है। इसमें भारत ने 30 गोल्ड, 22 कांस्य  और 17 रजत पदक सहित कुल 69 मेडल जीते। खास उपलब्धि महिला हॉकी टीम का गोल्ड मेडल जीतना था। निशानेबाजी में अंजलीभागवत ने मेनचेस्टर में निशानेबाजी में 4 गोल्ड मेडल जीते। जसपाल राणा भी 4 गोल्ड मेडल पर निशाना लगाने में कामयाब रहे। इस बार भारत रग्बी, लॉन बोल्स और नेटबॉल्स जैसे खेलों में भी पहली बार हाथ आजमायेगा। साथ ही नज़र इस बात पर भी होगी क्या पदक तालिका में भारत पहले से सुधार कर चौन्थे से तीसरे स्थान पर कब्जा जमा पायेगा। कुल मिलाकर उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। दिल की धड़कनें तेज है। हर किसी  की निगाहें इसी पर है कि क्या भारत घरेलू माहौल का फायदा उठाते हुए हिन्दुस्तानियों की उम्मीदों पर खरा उतर पायेगा।

हैं तैयार हम

17 खेल, 72 देश, 829 तमगे दांव पर। 3 से 14 अक्टूबर को होने वाले 19 वें राष्ट्रमण्डल खेलों की रणभेरी बच चुकी है। हर खिलाड़ी जीतना चाहता है। हर कोई तमगे से कम कुछ नही चाहता। ऐसे में मुकाबला कितना रोचक होगा इसका अन्दाजा आसानी से लगाया जा सकता है। भारत 495 खिलाड़ियों के साथ 17 विभिन्न खेलों में जीतने के इरादे से उतरेगा। 2006 मेलबर्न में भेजे गए 180 खिलाड़ियों के मुकाबले यह आंकड़ा 3 गुना ज्यादा है। इन खेलों में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत पदकों का सैकड़़ा जड़ने में कामयाब हो पायेगा। ऐसा इसलिए भी कि बाकी सालों के मुकाबले इस बार खिलड़ियों की ट्रेनिंग में खास ध्यान दिया गया है। खेल मन्त्रालय को सबसे ज्यादा भरोसा निशानेबाजों पर है जिससे 30 से 35 मेडल आने की उम्मीद है। इसके अलावा 21 कुश्ती से 10 से 12 भारोत्तोलन से, 6 से 8 मुक्केबाजी से और 8 से 10 मेडल एथलेटिक्स से आ सकते है। मगर इसके लिए हर खिलाड़ी को अपनी ऐड़ी चोटी का जोर लगाना होगा। भारत ने मेनचेस्टर खेलों में अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदशZन किया है। इसमें भारत ने 30 गोल्ड, 22 कांस्य  और 17 रजत पदक सहित कुल 69 मेडल जीते। खास उपलब्धि महिला हॉकी टीम का गोल्ड मेडल जीतना था। निशानेबाजी में अंजलीभागवत ने मेनचेस्टर में निशानेबाजी में 4 गोल्ड मेडल जीते। जसपाल राणा भी 4 गोल्ड मेडल पर निशाना लगाने में कामयाब रहे। इस बार भारत रग्बी, लॉन बोल्स और नेटबॉल्स जैसे खेलों में भी पहली बार हाथ आजमायेगा। साथ ही नज़र इस बात पर भी होगी क्या पदक तालिका में भारत पहले से सुधार कर चौन्थे से तीसरे स्थान पर कब्जा जमा पायेगा। कुल मिलाकर उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। दिल की धड़कनें तेज है। हर किसी  की निगाहें इसी पर है कि क्या भारत घरेलू माहौल का फायदा उठाते हुए हिन्दुस्तानियों की उम्मीदों पर खरा उतर पायेगा।