शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017

कर्ज माफी से किसान के दिन बदलेंगे!

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योगी सरकार ने छोटे और मझोले किसानों का 1 लाख तक का कर्ज माफ कर दिया है। सरकार के मुताबिक 2 लाख 15 हजार किसानों को इससे राहत मिलेगी।  मगर क्या कर्ज माफी किसानों की समस्या का समाधान है। आज देश में प्रति किसान 50 हजार का कर्ज है। वहीं यूपी में ये रकम 34000, पंजाब में 90 हजार तो महाराष्ट्र में 94000 है।  सवाल यह की कर्जा माफी कब तक।  इससे पहले भी कई राज्य किसानों का कर्ज माफ कर चुके हैं। 2008 में केन्द्र सरकार ने 72 हजार करोड़ का कर्जा माफ किया था और आज देश भर से फिर कर्ज माफ करने की आवाज उठने लगी है। इससे साफ है कि कर्ज माफी समस्या का समाधान नही है। किसानों की आर्थिक हालत सुधारने के लिए कुछ ठोस उपाय करने होंगे। पहला किसानों को अच्छी  गुणवत्ता का बीज, सिंचाई के लिए पानी, उत्पादकता के लिए उर्वरक, बैंक से सस्ते ब्याज पर कर्ज और आखिर में और सबसे जरूरी उत्पाद का सही और समय से दाम। मगर दुर्भाग्य से ऐसा होता नही है। कभी बाढ़, कभी सूखा , तो बेमौसम ओले गिरने से फसलों को भारी नुकसान पहुंचता है। किसान के सपने एक पल में जमींदोज हो जाते हैं। समय से राहत ना मिलने के चलते वो निराश और हताश होकर आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है। सोचिए भारत की रीढ़ की हडडी कहे जाना वाला किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है। हालांकि सरकार 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने की बात कह रही है। स्वाइल हेल्थ कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड, प्रधानमंत्री ग्राम सिंचाई योजना और फसल बीमा योजना के साथ समय पर कर्ज चुकाने पर ब्याज माफी जैसे कदमों ने राहत दी है। मगर ये रास्ता लंबा है। खेती में निवेश बढ़ाना होगा। खासकर राज्य सरकारों को इस मामले में गंभीर होना पड़ेगा। खेती राज्यों का विषय है मगर राज्य इसके प्रति ज्यादा गंभीर नही। उपर से आबादी बढ़ने के चलते  खेती योग्य भूमि कम होने लगी है। नतीजा 85 फीसदी किसानों के पास 2 हेक्टेयर से कम जमीन है। नई आबादी खेती से तौबा कर रही है। 1981 से अब तक एक करोड़ से ज्यादा किसान खेती छोड़ चुके हैं। लाखों आत्महत्या कर चुके हैं। इसके बावजूद इस साल खाद्यान्न उत्पादन 270 मिलियन टन होने की उम्मीद जताई जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी के नीम कोटिंग यूरिया के फैसले ने किसानों की फायदा पहुंचाया है। मगर अभी बहुत काम करना बाकी है।