मंगलवार, 28 जून 2011

मुश्किल में माया


कानून व्यवस्था दुरूस्त करने और विकासकार्यो में तेजी लाने के लिए मायावती ने सूबे को तीन भागों में बांट दिया है। हर जोन में 6 मंडल होंगे और इसमें तैनात अधिकारियों को कानून व्यवस्था और विकास कार्यो से जुड़ी रिपोर्ट सरकार को भेेजनी होगी। ऐसा विपक्ष के दबाव में आकर मायावती ने किया है। लगातर बिगड़ती कानून व्यवस्था और बलात्कार की बढ़ती घटनाओं से मायावती सरकार चैतरफा दबाव में दिखाई दे रही है। साथ ही विपक्षी पार्टीया सपा भाजपा और कांगे्रस इस माहौल को 2010 के चुनाव तक बनाए रखना चाहती है। बहरहाल मायावती ने कुछ सख्त संकेत जरूर दिये है। मसलन महिलाओं के खिलाफ अपराध में गिरफ्तारी 10 दिन में की जाएगी। अगर ऐसा नही होता तो आरोपी की कुर्की के आदेश दिए जाऐंगे। उत्तरप्रदेश में बीते दो सप्ताह में 14 बलात्कार के मामले सामने आए हैं। साथ ही पुलिस और डाॅक्टरों की मिलीभगत को भी गंभीरता से लेने की बात कही है। सूबे में चुनाव को अब ज्यादा समय नही बचा है। ऐसे में हर राजनीतिक दल सरकार के खिलाफ निर्णायक माहौल तैयार करना चाहता है। दरअसल 2007 में कानून व्यवस्था के चलते मुलायम सिंह को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था। अकेला एक निठारी कांड उनकी सरकार पर भारी पड़ा। यही कारण था कि 2007 में यूपी की जनता ने मुलायम के खिलाफ वोट डाला था जिसका सीधा फायदा बसपा को मिला। मायावती इस बात से बेखबर नही इसलिए नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े का हवाला दिया जा रहा है। कि बाकि राज्यों के मुकाबले दिल्ली में बलात्कार की घटनाऐं कम है। मसलन असम, दिल्ली, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के मुकाबले यूपी में यह घटनाऐं कम हुई है। राजनीति का मिजाज़ देखिए की बलात्कार जैसी घटनाओं में भी आंकड़ेबाजी के सहारे एक दूसरे को गिरेबान में झांकने की नरीहत दी जाती है। पीड़ित लड़की पर क्या बीत रही होगी इसकी चिन्ता कसी को नही। वह रे राजनीति तू जो न दिखाए वो कम है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें