सोमवार, 18 अप्रैल 2016

ये घूस जान ले लेगी।

देश में मेडिकल कालेज की हकीकत। मेडिकल कालेज खोलने के लिए घूस दो।दाखिले देने में घूस लो। सोचिए जो डाक्टर पैसे के दम पर डिग्री लेगा वह सेवा करेगा या मरीजों को लूटेगा। मेडिकल एजुकेशन पर निगरानी के लिए देश में एमसीआई है यानि मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया, जिसके बारे में कहा जाती है कि यहां भ्रष्टाचार ही शिष्टचार है। हमारी सरकारों बीतते समय के साथ मेडिकल एजुकेशन को निजि संस्थानों के पास गिरवी रख दिया। जो एमबीएस में दाखिले के लिए 50 लाख या उससे ज्यादा औऱ पीजी में दाखिले के लिए 1 से 2 करोड़ लेते हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार और एमसीआई को यह पता है। आप सोच रहे होंगे की सरकार कोे पता है तो कारवाई क्यों नही होती। जवाब सीधा और सरल है। संय्या भये कोतवाल को डर काहे का। भारत में सरकारी प्राइवेट मिलाकर कुल 422 मेडिकल काँलेज हैं। 200 सरकारी और 222 प्राइवेट। एमबीबीएस की सीटें 55000 और पीजी में 25000 सीटें हैं। मांग औऱ आपूर्ति का यह अंतर भ्रष्टाचार के बढ़वा देता है। अब नीट यानि कामन एलिजीबिलिटी और इंट्रेन्स टेस्ट के तहत परीक्षा होंगी। कुल मिलाकर सरकार को शिक्षा और स्वास्थ्य का जिम्मा सरकार के खुद उठाना चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें