मंगलवार, 17 मई 2016

जन धन योजना

जन धन योजना.....पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट
गरीब गुरबा को बैंकों से जोड़ने की मुहिम
मोदी सरकार दो साल पूरा करने जा रही है......जन धन योजना का क्या हाल है....हम यही पड़ताल करने की कोशिश कर रहे हैं ।

28 अगस्त 2014 को इस महत्वकांक्षी योजना की शुरूआत हुई। लक्ष्य बड़ा है और चुनौतियां तमाम। वैसे जनता को बैंकों से जोड़ने की ये पहली कोशिश नहीं है...मनमोहन  सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने भी ऐसी कोशिश की थी, लेकिन  टारगेट के करीब वो कभी नहीं पहुंच सके.... लिहाज़ा सबका साथ सबका विकास का नारा देकर आई बीजेपी के लिए इस योजना का क्रियान्वयन इतना आसान नही था।

2011 के आंकड़े के मुताबिक कुल 24.67 करोड़ परिवारों में से 14.48 करोड़ की पहुंच बैंकिग सेवाओं तक थी। गांव में 54 फीसदी तो शहरों में 67.68 फीसदी परिवारों की पहुंच 
बैंकिंग सेवाओं तक थी। ऐसे में देश के 42 फीसदी परिवारों का बैंकों से कोई नाता नहीं था। 
42 फीसदी आबादी को बैंकों से जोड़़ने की चुनौती बहुत बड़ी है.....2014 से सरकार आरबीआई और बैंक इस काम पर जुट गए
जन धन योजना के तहत 
जीरो बैलेंस पर खाता खोला गया
जमा राशि पर  ब्याज का प्रावधान दिया गया
पैसा निकालने के लिए रुपे नाम का डेबिट कार्ड जारी किया गया
न्यूनतम राशि रखने के प्रावधना को खत्म किया गया 
एकाऊंट खोलने के साथ ही 30 हजार का जीवन बीमा दिया गया 
साथ ही 1 लाख का दुर्घटना बीमा इस एकाऊंट के साथ कवर किया गया
सामाजिक योजना मसलन सब्सिडी और पेंशन योजना का फायदा सीधे जरूरतमंदों पहुंचाने की पुरजोर कोशिश की जा रही है

प्रधानमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के उद्घाटन के दिन ही 1.5 करोड़ बैंक खाते खोले गए
 
प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत अब तक 
21 करोड़ 81 लाख खाते खोले गए हैं
इन खातों में 37616.58 करोड़ जमा हैं
1-26 लाख बैंक मित्रों की तैनाती की गई है। 


आबादी की पहुंच बैंकिंग सेक्टर तक पहुचाने के लिए यह योजना की तारीफ हर कोई कर रहा है। लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या इससे समाज में बड़ी तब्दीली आएगी...... जानकार इसे सबका साथ सबका विकास के रास्ते पर महज एक कदम मानते हैं।

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