सोमवार, 8 मार्च 2010

इन्दिरा आवास योजना

बजट 2010 -11 में इस योजना को 10 हजार करोड़ का आवंटन किया है। पिछले साल के मुकाबले यह राशि 1200 करोड़ ज्यादा है। इस योजना में केन्द्र और राज्य सरकार की हिस्सेदारी 75:25 की है। सरकार ने अगले पांच साल में जो 1 करोड़ 20 लाख पक्के मकान बनाने का लक्ष्य रखा है उसको ध्यान में रखकर यह राशि बड़ाई गई है। साथ ही प्रति मकान बनाने की बड़ती लागत को देखते हुए सरकार ने इस बजट में प्लेन एरिया के लिए राशि 45000 रूपये और ग्रामीण इलाकों के लिए 48500 कर दी है। पहले यह 35000 और 38500 थी। हांलाकि ग्रामीण मन्त्रालय से जुडी स्थाई समिति ने इस राशि को बड़ाकर 50000 प्लेन ऐरिया के लिए और 60000 ग्रामीण इलाके के लिए करने की सिफारिश की थी। इन्दिरा आवास योजना केन्द्र सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है जो भारत निर्माण का एक अहम हिस्सा है। 1985 -86 से ‘ाुरू हुई इस योजना का उददेश्य 2016 -17 तक ग्रामीण भारत में रहने वाले प्रत्येक गरीब परिवार को पक्का घर मुहैया कराना है। मगर सरकारी आंकडों पर ही अगर गौर करें तो सरकार ही यह मंशा समय से पूरी होती नही दिखाई देती। दरअसल सरकार को इसके लिए बडे पैमाने पर खर्च बड़़ाना पड़ेगा। साल 2009 के मुताबिक सरकार को मौजूदा गरीबी के आंकडे के हिसाब से 2 करोड़ 81 लाख घर बनाने पड़ेगें। 2009-10 में 40 लाख 52 हज़ार मकान मकान बनाने का अनुमान है। यानि फिर बचते है 2 करोड़ 40 लाख मकान। इस लिहाज से सालाना आधार पर सरकार को अगले 6 सालों में 48 लाख मकान गरीबों के लिए बनानें पडेंगे। इतना ही नही इसके लिए केन्द्र सरकार को प्रति वशZ 12701 करोड़ का आवंटन करना पड़ेगा। गौरतलब बात यह है कि यह अनुमान तब का है जब सरकार प्रति मकान के लिए प्लेन एरिया में 35000 और ग्रामीण इलाकों में 38500 दे रही थी। यानि प्रति मकान बनाने की लागत में बदलाव के बाद यह राशि और बड़ जायेगी। अब एक दूसरा पहलू। इन्दिरा आवास ग्रामीण बीपीएल परिवारों को मिलता है यानि इसके लिए पात्रता है बीपीएल की श्रेणी के तहम नामांकित होना। मगर इस समय हालात यह है कि गरीबी के आंकडे में सरकार उलझा कर रह गई है। अगर सरकार 42 फीसदी को भी गरीब मानती है तो घर मुहैया कराने का सपना और कठिन हो जायेगा। मतलब भारत निर्माण का सफर अभी लंबा है। लिहाजा सरकार को बिना देरी किये किसी तरह की समय सीमा तय करने पहले दुबारा आंकलन करना चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें