सोमवार, 18 मार्च 2013

नीतीश मांगे मोर!


 17 मार्च 2013।  नीतीश कुमार को अधिकार रैली में भाषण देते सुना। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के साथ साथ वह सभी पिछड़े राज्यों को इस श्रेणी में लाने की वकालत करते दिखे। वहीं कांग्रेस भी उनकी मांग के देखते हुए विशेष राज्य के मापदंडों को बदलने की बात कह रही है। लेकिन यह सब इतना आसाननही। आखिर बिहार की इस हालत का जिम्मेदार कौन है। अगर बिहार पिछड़ है तो इसलिए की उसे विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त नही है। या इसलिए की नेताओं की भूख ने इस राज्या का बंटाधार कर दिया। अब भला कांग्रेस क्यों चाहेगी की ऐसा काम करना जिससे विशेष राज्य का दर्जा मांगने वालों की बाढ़ आ जाए। पहले से ही राजस्थान, ओडिसा, झारखंडऔर छत्तीगढ़ विशेष राज्य का दर्जा मांग रहें है। ऐसे में कांग्रेस आ बैल मुझे मार वाली स्थिति क्यों पैदाकरना चाहेगी। दूसरी तरफ सही मायने में नीतीश कुमार इस मांग को अपना एक ऐसा औजार बनाना चाहते हैं कि जिससे बिहार में तीसरी बार वह सत्ता में आ जाऐं। वहीं वह जानते है कि गठबंधन की राजनीति के इस दौर में प्रधानमंत्री बनने की मुराद भी पूरी हो सकती है बर्शतें वह आने वाले लोकसभा चुनाव में बिहार में एक पार्टी के तौर पर उभरें। उन्होने अपने भाषण में कहा जो उनकी मांग मानेगा वही दिल्ली में राज करेगा। यानि वह जनता को संदेश दे रहें है कि यह तभी संभव होगा जब आप मुझे केन्द्र में मजबूत करेंगे। और जब वह मजबूत होंगा तभी जाकर यह लड़ाई जोर शोर से लड़ जस सकेगी। मगर कुछ सवाल उनकी इस राजनीति को लेकर उठते हैं। अगर वह सही मायने में बिहार का विकास चाहते हैं और बिहारी अस्मिता को लेकर इतने फिक्रमंद हैं तो
1-उन्हे इस मुददे पर बिहार की सभी पार्टियों को एकजुट करना चाहिए था।
2-लोकसभा में शरद यादव तकरीबन हर मुददे पर भाषण देते है मगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा
मिले इसको लेकर उन्होने अब तक मुंह नही खोला। यही हाल उनके ज्यादातर सांसदों और प्रवक्ता
शिवानंद तिवारी का है।
3- नीतीश कुमार कांग्रेस के साथ गठबंधन बिहार में नही करेंगे क्योंकि बिहार में कांग्रेस के पास
कुछ नही है।
4- बिहार में नीतिश कुमार की सीटें जरूर बड़ी मगर उनके वोट प्रतिशत में कोई इज़ाफा नही हुआ।
5-नीतीश से अब जनता का मोहभंग हो गया है मगर वह आने वाले चुनाव में विशेष राज्य के दर्जे
को बिहारी अस्मिता से जोड़कर अपनी राजनीतिक नैया पार लगाना चाहते है।
6- बिहार में बीजेपी का अपना वोटबैंक है। बिना गठबंधन के नीतीश का सत्ता में लौटना नामुमकिन है।
 हालांकि बिहार बीजेपी में गुटबाजी चरम पर है।
कुल मिलाकर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नही मिलने वाला। इसके बारे में सबसे ज्यादा अगर
कोई व्यक्ति जानता है तो वह खुद नीतीश कुमार है। वह सिर्फ और सिर्फ राजनीति कर रहे हैं।

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