मंगलवार, 15 जुलाई 2014

उम्र न पूछों गुनाह की!

सुप्रभात मित्रों
आज का मुददा बेहद अहम है। जुवेनाइल की उम्र 18 से घटाकार 16 कर देनी चाहिए। या अपराध को आधार पर सज़ा तय होनी चाहिए। क्योंकि यौनाचार के 50 फीसदी मामलों में हाथ नाबालिकों का है या यूं कहें कि इनकी उम्र 16 साल है। इनमें शहरों में 2001 से 2010 के बीच जुवेनाइल द्धारा किए गए अपराधों में में 40 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी गई। अकेले देश की राजधानी दिल्ली में 22 फीसदी जुवेनाइल बार बार गुनाई करते
पाए गए जबकि देश में यह आंकड़ा 11.5 फीसदी है। वहीं अमेरिका में जुवेनाइल को भी उम्र कैद की सज़ा का प्रावधान है। कनाड़ा में 14 से 17 साल की उम्र में किया गया गुना दंड संहित से तय होता है तो पाकिस्तान में 7 साल के बाद आप पर अपराध का मुकदमा चलेगा। मगर भारत में 18 साल से कम उम्र होने का लाभ मिल रहा है। निर्भया गैंग रेप मामला हो या मुंबई शक्ति मिल गैंग रेप मामला, सब में सबसे ज्यादा वहशियाना पर जुवेनाइल ने दिखाया। सोचिए अगर कसाब जुवेनाइल होता, सोचिए कल आतंकी 18 साल से कम्र उम्र के लड़कों का भारत के खिलाफ प्रयोग करें? या नक्सलियों  की यंग ब्रिगेड किसी नरसंहार को अंजाम दें? तो हमारे देश का जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2000 के तहत उसे अधिकतम तीन साल बाल सुधार गृह में सुधार के लिए भेजा जाएगा। आज अपराध को उम्र देखकर नहीं उसकी अपराध  को देखकर फैसला होना चाहिए। 14 वर्ष के बच्चे को मालूम है कि वह क्या कर रहा है। जरूरी नहीं की आप उम्र घटाए बस अपराध को देखकर फैसला होना चाहिए। वरना किसी बड़ी घटना को हम आमंत्रण दे रहें हैं।

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