रविवार, 4 अगस्त 2013

मानसून सत्र

संसद का सत्र आज से शुरू हो रहा हैं। 5 आर्डिनेंस को संसद में चर्चा के बाद पारित होना है। जिसमें महत्वपूर्ण खाद्य सुरक्षा कानून। साथ ही अर्थव्यवस्था की स्थिति खासकर रूपये का अवमूल्यन, उत्तराखंड में आई त्रासदी, आंतरिक सुरक्षा जैसे मुददे अहम होंगे। प्रश्नकाल चले यह भाषण हर कोई देता है मगर हंगामें की भेंट हमेशा प्रश्नकाल ही चढ़ता है। इससे सबसे ज्यादा खुश वह मंत्री होते हैं जिनको सवालों से जूझना नही पड़ता। निराश वो सांसद जिन्हें सवाल पूछने का मौका नही मिलता। इस बार राजनीतिक दल दो बातों के लेकर एकमत है। सूचना के अधिकार कानून में संशोधन करने ताकि राष्ट्रीय दल आरटीआई के दायरे से बाहर रहें और जनप्रतिनिधित्व कानून 1951में संशोधन ताकि आपराधियों के लिए संसद और विधानसभा खैरख्वाह बनी रहे। दुर्भाग्य देखिए इसका विरोध करने की हिम्मत आज किसी दल में नही। इन राजनीतिक दलों से हम अपने देश के उज्जवल भविष्य की उम्मीद लगाऐं बैठे हैं। जमीन अधिग्रहण कानून जल्द पारित हो क्योंकि हमारे देश में कानून 1894 का है। इन सबसे ज्यादा जरूरी आज नजर इस बात पर भी होगी की निलंबित ईमानदार आइएस दुर्गा शक्ति नागपाल पर सोनिया गांधी, मीरा कुमार और सुषमा स्वाराज क्या बोलतीहै। अगर स्पीकर चाहें तो इस पर अपनी टिप्पणी जरूर दे सकती है। स्पीकर की टिपप्णी बहुत मायने रखती है। यह बात दीगर है कि वह कुछ कहने का साहस जुटा पाऐंगी ? क्योंकि महिला प्रेम दर्शाने का इससे बड़ा मौका फिर नही मिलने वाला। बाकि की बात करें तो यूपी को लेकर बसपा हल्ला करेगी। सपा हंगामा करंेगी। आंध्र के सांसद अलग ड्रामा करेंगे। जसवंत सिंह भी मजबूरीवश अलग गोरखालैंड की मांग करेंगे? अंततः राजनीतिक दलों के स्वार्थ की भेंट संसद सत्रा का पहला दिन चढ़ जाएगा। आखिर में बस एक सवाल। जब संसद को चलाना नही है तो जनता के गाड़ी कमाई की यह बबादी क्यों। क्योंकि संसद चलाने की कार्यवाही में प्रतिमिनट खर्चा 2.5 लाख रूपये है।

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