शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2014

कांग्रेस मांगे ज्यादा वोट!

अर्थव्यवस्था की हालत जर्जर है। विकास दर 5 फीसदी से भी कम रहने की उम्मीद है। राजकोषिय घाटा बढ़ रहा है। निवेश घट रहा है। बचत में भी कमी देखने को मिल रही है। महंगाई आसमान पर है। आरबीआई 18 बार ब्याज़ दर बढ़ा चुकी है। आइआइपी के आंकड़े चिंताजनक है। मगर यूपीए सरकार मस्त दिखाई दे रही है। लगता है कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव कें फैसले का आंकलन कर लिया है। इसलिए अगली सरकार के लिए
अर्थव्यवस्था के हिसाब से वह नर्क कर रही है। बीजेपी जानती है मगर क्या करे अगर विरोध करेगी तो जनता की नजरों के कांग्रेस उसे गरीबों का दुश्मन ठहरा देगी। कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो यह फैसले न देश हित में हैं न आम आदमी के हित में। क्योंकि पैसा हमारी ही जेब से निकाला जाता है। यह बात सच है कि पैसे पेड़ में नही उगते।

1-गैसे सिलेंडर- 9 से 12  5000 करोड़ का अतिरिक्त बोझ
2-सीएनजी -30 फीसदी सब्सिडी यानि 14 रूपये 90 पैसे सस्ती
3-पीएनजी- 20 फीसदी सस्ती यानि 5 रूपये तक सस्ती
4-न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने की तैयारी!
5-7वें वेतन गठन आयोग का गठन
6-पीएफ योगदान सीमा 15000 तक संभव
7-इपीएफ पर 1000 तक बढ़ोत्तरी।
8-10 फीसदी डीए बढ़ाया। 50 लाख केन्द्रीय कर्मचारी और 30 लाख पेंशनरों को फायदा
9-इएसआईसी - 25000 तक संभव
10-पीएफ डिपोजिट रेट- 8.5 फीसदी से बढ़ाकर 8.75 फीसदी

वोट के लिए कुछ भी करेगा!
9 लाख कर्ज पिछले साल आज हो गया है 25 लाख करोड़।
पिछले 2 सालों से अर्थव्यवस्था की हालत कमजोर मगर आज हालत खराब
अगली सरकारों के लिए होगी मुश्किल।
सरकार का राजकोषित घाटा होगा अनियंत्रित।
प्रधानमंत्री का बयान। पैसे पेड़ में नही उगते। तो अब क्यों लुटा रहे हैं?
यानि अर्थशास्त्र के घोडे़ को राजनीति के चाबुक से हांका जा रहा है।

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