बुधवार, 17 जून 2015

दुविधा में बीजेपी!

बीजेपी मुश्किल में है। अपने दो बड़े नेताओं सुषमा और वसंधरा पर लगे आरोपों का जवाब देते नही बन रहा है। ललित मोदी से रिश्तों को लेकर बीजपी कुछ भी बोलने की स्थिति में नही। प्रधानमंत्री मोदी को अपने मंत्र न खाउंगा, न खाने दूंगा के आधार पर इस मामले पर फैसला  लेना चाहिए। ललित मोदी की मदद करना न सिर्फ गैर कानूनी था बल्कि नेता अपने रसूक का इस्तेमाल कैसे करतें हैं उसका यह जीता जागता उहाहरण है। यही बीजेपी ने संसद के कितने सत्रो को सिर्फ इसलिए नही चलने दिया की भ्रष्टाचार में लिप्त उसके कई मंत्रियों का इस्तीफा दिया जाए। यूपीए में कलमाड़ी राजा, बंसल और अश्विनी कुमार सबका इस्तीफा हुआ। मगर अब बीजेपी की चुप्पी समझ में नही आ रही। सबसे ज्यादा चैंकाया प्रधानमंत्री ने जो मामले पर मौन है। मैं यकिन के साथ कह सकता हूं कि अगर बाकि मामलों पर भी जांच हो तो ऐसे मामलों की बाड़ आ जाएगी। क्योंकि ज्यादातर उच्च पदों पर बैठे लोग अपनों के लिए अपने विशेषाधिकार का गलत फायदा उठातें हैं। कई मुख्यमंत्रियों की पत्नियां तो सिर्फ टांसफर पोस्ंिटग के धंधों में लगी रही। उनके बेटों के तो कहने ही क्या। यह पूरी कहना इस हाथ ले, उस हाथ दे के इर्दगिर्द घूम रही है। क्या प्रधानमंत्री इंसाफ करेंगे? क्या सरकार ललित मोदी पर देश में मुकदमा चलाएगी? एक देश के भगोड़े और गंभीर आरोप झेल रहे देश को दूसरा देश कैसे शरण दे सकता है। ब्रिटेन की सरकार को इस बारे में सख्त संदेश देना चाहिए। आखिर क्यों सरकार ललित मोदी पर मेहरबान है? जरा पता लगाइये की नेताओं ने अपने बेटों को कैसे सेट कर रखा है। अब देखतें है कि इन दो बड़े नेताओं की छुटटी कर किसी गंभीर अपराध में लिप्त आरोपी करने के जुर्म में मुकदमा क्यों न दर्ज किया जाए। 

2 टिप्‍पणियां:

  1. मुझे लगता है कि मोदी भी मनमोहन की तरह हैं। उनके भी आस पास दागी हैं जैसे मनमोहन जी के पास थे

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  2. मुझे लगता है कि मोदी भी मनमोहन की तरह हैं। उनके भी आस पास दागी हैं जैसे मनमोहन जी के पास थे

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