बुधवार, 17 जून 2009

सरकार कहिन, झुग्गी बोले तो न!

अगले पांच सालों में भारत झुग्गी मुक्त होगा । आप में से कितने लोग सोच रहे होंगे की मैं झूठ बोल रहा हूं। लेकिन नही, यह सौ आने सच बात है। यूपीए सरकार राजीव आवास योजना के तहत अगले पांच सालों में यह कारनामा कर दिखाएगी। अभी एलान ही हुआ है समय आते आते क्या होगा यह कोई नही जानता। बस इतना मालूम है कि भारत में गरीबी हटाओं योजनाओं का रिकार्ड खराब रहा है। अब आइये जरा जानते है कि स्लम मुक्त भारत क्या पांच साल में हो सकता है। सरकार के आंकडों के मुताबिक 2007 में मकानों की कमी को लेकर जो अघ्यन किया गया है उसके हिसाब से हमें 24.71 मिलीयन कह जरूरत है। जहां तक स्लम में रहने वालों का सवाल है उनकी तादाद पिछले तीन दशकों में तेजी से बड़ी है। 1981 में भारत में स्लम में रहने वालों की आबादी 2 करोड़ 60 लाख थी। जो 1991 में 4 करोड़ 62 लाख हो गई। 2001 तक आते आते इसकी संख्या 6 करोड़ 18 लाख पहंंच गई। अगर बात सिर्फ चार महानगरों की ही करें तो मुंबई की स्लम आबादी 2001 की जनगणना के अनुसार 64,75,440 थी। यानि मंबई की आबादी का 54.1 फीसदी। यह देश की आर्थिक राजधानी का हाल है। जहांं लोग अपने सपने को हकीकत में बदलने के लिए आते है।उमगर नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर है। हिन्दुस्तान का दिल कहीं जाने वाली दिल्ली में स्लम आबादी 18.7 फीसदी है जबकि चिन्न्ई में इसकी संख्या 18.9 प्रतिशत और कोलकाता में 32.5 प्रतिशत है। इसके अलावा देश के विभिन्न शहरों में हाल और भी बुरे है। शिक्षा, स्वास्थ्य, शुद्ध पानी, साफ सफाई की यहां कोई बात नही करता। 2005 में सरकार ने जवाहर लाल नेहरू अरबन रून्यूवल मिशन के सहारे देश के 63 शहरों को मूलभूत सेवाऐं देने की शुरूआत की। जानकारों की माने मे ंतो कुछ मायने में इस योजना के नतीजे अच्छे रहे है। मगर हालात अब भी संतोषजनक नही है। राजीव आवास योजना को इसी कार्यक्रम के तहत योजना के तहत शुरू किया जायेगा। यह योजना इंदिरा आवास योजना की तरह ही होगी जो भारत निर्माण के तहत ग्रामीण इलाकों में लोगो को मकान की सुविधा प्रदान कर रही है। स्लम बस्तियों के बडने की बडी वजह पलायनवाद है। आज भी लोग बडी तादार में रोजी रोटी के लिए सडकों का रूख कर रहे है। माना यह भी जा रहा है कि जेएनएनयूआरम के इस बार आवंटन अच्छा होन वाला है। मगर हवा में तीर मारने से कोई फायदा नही।ऐसा नही है कि यह पहली बार हो रहा है। इससे पहले भी गरीबों को छत मुहैया कराने के लिए तमाम उपाय किये गए। आइये एक नजर डालते है।

1990 में इंदिरा आवास योजना।

1991 में इडब्लूएस हाउसिंग स्कीम ।

1996 में नेशनल स्लम विकास कार्यक्रम।

1998 में 2 मिलीयन आवास कार्यक्रम।

2000 में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना।

2001 वािल्मकी अंबेडकर आवास योजना।

2005 जवाहरलाल नेहरू अरबन रूनवल मिशन।

यानि घर बनाने के लिए आधा दर्जन केन्द्रीय योजनाऐं। मगर अब भी बडी आबादी खुले आकाश के नीचे जीने के लिए मजबूर है। अब सवाल यह कि पांच सालों में स्लम मुक्त भारत पर कैसे विश्वास कर लें। 2005 से लेकर 2009 के बीच 50000 करोड़ सिर्फ जेएनएनयूआरम को ही आंवंटित किये गए। आज जरूरत इस बात की है कि सरकार इस समस्या को रोकने के लिए कदम उठाये। साथ ही सरकार को उपरोक्त कार्यक्रमों से सीख लेकर राजीव आवास योजना की रूपरेखा तय करनी चाहिए।

1 टिप्पणी:

  1. घर की छोडि़यो से काम चोर योजनाएँ ही बना ले रहे है बहुत बड़ी बात है।

    बेहतरीन लिखा है, आकड़ो का बेहतरीन उपयोग किया है। बधाई

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