रविवार, 19 दिसंबर 2010

ढांचागत विकास जरूरी

ढांचागत विकास में तेजी लाने का आज सख्त दरकार है। दूरसंचार क्षेत्र को छोडकर सभी क्षेत्र मसलन सड़क रेलवे सड़क बिजली उत्पादन हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण और बंदरगाहों की क्षमता बढ़ाने जैसे क्षेत्रों में काम काफी धीमा चल रहा है।
सड़क निर्माण -2010-11 में जहां 2500 किलोमीटर सड़कों का निर्माण होना था वही पहले 6 महिने में सिर्फ 691 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हो पाया है। इसके लिए बकायदा 36524 करोड़ का आवंटन किया गया था मगर सितंबर तक केवल 7389.91 करोड़ रूपये ही खर्च हो पाए हैं। सड़क व परिवहन मंत्रालय ने 20 किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य रखा था।
बिजली उत्पादन -  यह क्षेत्र भी बढ़ती विकास दर के साथ कदमताल नही मिला पा रहा है। पहली छमाही में केवल 3.83 फीसदी की ही वृद्धि हुई है जो पिछले साल के इसी अवधि के 6.3 फीसदी के मुकाबले बहुत कम है।
रेलवे - रेलवे भी अपने सालान लक्ष्य से कोसों दूर है। इस मंत्रालय का निजाम जरूर बदल गया मगर परियोजनाओं में भारी देरी इस क्षेत्र के लिए आम बात हो गई है। 2010-11 के लिए 1000 रेलवे लाइन की विद्युतिकरण का लक्ष्य रखा गया था मगर पहुंच पाये सिर्फ 203 किलोमीटर तक। गेज परिवर्तन दोहरीकरण और नई लाइनों को बिछाने के मामले में निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले 20 फीसदी भी कार्य नही हो पाया है। सवाल यह है कि शेष बचे 6 महिनों में 80 फीसदी कार्य पूरा हो पायेगा। उदाहरण के तौर पर इस साल 1000 किलोमीटर नई रेल लाइनें बिछाने का लक्ष्य रखा गया था मगर अब तक सिर्फ 59 किलोमीटर तक ही लाइन बिछाई जा चुकी है। अगर बुनियादी क्षेत्र का यही हाल रहा तो विकास दर दोहरे अंक में नही पहुंच पायेगी। फिलहाल उघोग और वाणिज्य संगठन सीआईआई ने ढांचागत विकास के लिए सरकार को दस सूत्रीय कार्यक्रम लागू करने की सिफारिश की है।
1-अहम परियोजनाओं के लिए नियुक्त हो विशेष दूत जो केन्द्र और राज्य सरकार के समक्ष बेहतर तालमेल स्थापित कर सके।
2-सार्वजनिक निजि भागीदारी को मजबूत किया जाए।
3-योजना आयोग के योजना के मुताबिक 11वीं पंचवार्षिय योजना में होगा 500 अरब रूपये का निवेश।
4-राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं को जल्द से जल्द शुरू किया जाए।
5-नए बंदरगाहों का तेजी से निर्माण हो।
6-बिजली वितरण की व्यवस्था को दुरूस्त किया जाए। साथ ही देश में बिजली की एक समान दरें लागू हो।
7-परमाणु उर्जा में निजि क्षेत्र की भागीदारी का रास्ता साफ हो और निजि क्षेत्र की कंपनियों को परमाणु उर्जा संयंत्रो के निर्माण की छूट मिलें।
8-शहरीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाए। 2005 में शुरू हुई इस योजना की समीक्षा की जाए।
9-नागरिक उडड्यन क्षेत्र में रेगुलेटर नियुक्त हेा।
10-हवाई अडडों के आधुनिकीकरण का काम तेजी से हो।

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