शनिवार, 16 नवंबर 2013

बात निकली है तो दूर तलक जाएगी !

आज 4 मुददों पर अपने विचार साझा कर रहा हूं। पहला सचिन की विदाई बेला और उन्हें भारत रत्न देने की घोषणा करना। इस फैसले का स्वागत है। मगर सरकार ने इस फैसले के पीछे खेल भावना दिखाई या उसे दिखी राजनीति। बहरहाल लोग चाहते थे और सचिन को सम्मान मिल गया। मगर मेजर ध्यानचंद को भी अगर खेल रत्न मिला जाता तो क्या होता। राष्टीय खेल हाकी को सम्मान मिल जाता और शायद इस खेल के खिलाड़ियों को एक प्रेरणा। दूसरा मुददा नरेन्द्र मोदी का वह बयान जिसपर उन्होने केन्द्र सरकार से सवाल किया कि जो बार बार यूपीए सरकार राज्यों से कहती है कि केन्द्र ने उसे इतना पैसा दिया दरअसल यह पैसा किसका है। हाल फिलहाल में विभिन्न चुनावों में यह देखने को मिला है यह राजनीति भी खूब हो रही है। सवाल यह है कि जनता का पैसा है क्या वह जनता पर खर्च हुआ या नही सवाल यह है। तीसरा मुददा सड़क निर्माण से जुड़ा है। इस देश में सड़क निर्माण का भ्रष्टाचार इतना बड़ा है कि क्या कहने। नेताओं अफसरों ठेकेदारों इंजीनियरों और दलालों की लंबी फौज बन गई है। यह एक ऐसा गठजोड़ है जिसे तोड़ना मुश्किल दिखाई देता है। अगर  केवल हम यहीं ध्यान केन्द्रीत कर लें तो सालाना लाखों करोड़ रूपया बर्बाद होने से बचाया जा सकता है। सड़कों की गुणवत्ता ऐसी है की बनने के बाद से ही टूटनी शुरू हो जाती है। इसके पीछे सिर्फ एक ही वजह है। भ्रष्टाचार। अब 4 मुददा है विपक्षी पार्टियों का सत्तासीन पार्टी के खिलाफ आरोप पत्र जनता के सामने पेश करना। यह रिवायत दशकों पुरानी है। हर राजनीतिक दल इस परंपरा का पालन करता है। जो नहीं होता वह है चुनाव जीतने के बाद कारवाई। क्या किसी आरोप पत्र के बाद निष्पक्षा जांच हुई। किसी को जेल हुई। कभी नही। भ्रष्टाचार का मैच नेताओं के बीच फिक्स है। अखिलेश सरकार मायावती और उनके मंत्रियों पर निशान साधते रहे भ्रष्टाचार को लेकर मगर आज तक कितनों को सजा हुई। यही हाल केन्द्र और हर राज्य का है। ऐसे में पीड़ा इस बात की होती है की मीडिया भी इस आरोप पत्र पर ध्यान नही देता। इन दलों  से पूछना चाहिए अब तो आपकी सरकार आ गई है। उन आरोपों का क्या हुआ जो चुनाव से पहले आपने लगाये थे। जवाब नही मिलेगा। लोकतंत्र के सामने आज कई चुनौतियां है पैदा भी हमने की हैं और समाधान भी हमें ही खोजना है।

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