बुधवार, 12 मार्च 2014

अगड़े नेता, पिछड़ा देश!

देश का 16 आम चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। सभी दल अपनी ढपली अपना राग गा रहें है। कोई कह रहा
 है देश को बदल दिया तो कोई कह रहा है कि देश बर्बाद हो गया। मगर जनता से जुड़े मुददों को लेकर कोई
कुछ बोलने को तैयार नही। मसलन
1- 67 साल बाद में आबादी का बड़ा हिस्सा अशिक्षित क्यों?
2- देश में 80 फीसदी स्वास्थ्य का हिस्स निजि हाथों में क्यों?
3- 48 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार क्यों?
4- 67 फीसदी आबादी अब भी खुले में शौच जाने के लिए मजबूर क्यों?
5- गरीबों का 51 फीसदी सस्ता राशन काले बाजार में क्यों बिक जाता है?
6- बीते 10 सालों में 3 लाख से ज्यादा किसान आत्महत्या क्यों कर चुके हैं?
7-41 फीसदी किसान किसानी क्यों छोड़ना चाहते हैं?
8-100 में केवल 14 बच्चे ही उच्च शिक्षा तक क्यों पहुंच पाते हैं?
9-50 लाख करोड़ करोड़ का अनाज सालाना क्यों बर्बाद हो जाता है?
10-महिला के प्रति हिंसा क्यों बढ़ रही है?
11- 77 फीसदी आबादी प्रतिदिन 20 रूपये तक खर्च रखने की हैसियत रखती है?
12- गरीबी का आंकलन गांव और शहर में 26 और 32 रूपये में क्यों?
जीविकोपार्जन के लिए इन मूलभूत सुविधाओं का अभाव नेताओं के वादों पर सवाल खड़ करता है। क्या मोदी राहुल और केजरीवाल के पास इन मुददों
के समाधान का रास्ता तैयार है?

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